पैक किए गए भोजन और खाद्य पदार्थ में सीमित करें चीनी की मात्रा, एक्सपर्ट कमेटी ने दिया सुझाव

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन यानी एनआईएन ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने मिलकर पैकेज्ड खाने और पेय पदार्थों में चीनी की मात्रा पर कड़ी सीमाएं लगाने का सुझाव दिया है।

Publish: May 30, 2024, 05:30 PM IST

अगर हद से ज्यादा चीनी का कोई सेवन करता है तो ये कई बड़ी बीमारियों की वजह बन सकता है। इस पर नए सिरे से बहस तब शुरु हुई जब खाने पीने की चीजें बनाने वाली कंपनी नेस्ले और बॉर्नविटा विवादों में घिर गई। रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि नेस्ले ने निडो और सेरेलैक के सैंपल में शहद के रूप में चीनी मिलाई थी। पिछले महीने सरकार ने ई-कॉमर्स वेबसाइटों से बॉर्नविटा को ‘हेल्दी ड्रिंक्स’ सेक्शन से भी हटाने को कहा था। 

इसी कड़ी में पहली बार नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन यानी एनआईएन ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने मिलकर पैकेज्ड खाने और पेय पदार्थों में चीनी की मात्रा पर कड़ी सीमाएं लगाने का सुझाव दिया है। एक्सपर्ट कमिटी ने बताया है कि पीने वाले चीजों में और पैकेज्ड खानों में एडेड शुगर और टोटल शुगर की कितनी मात्रा तय होनी चाहिए। 

एडेड शुगर-टोटल शुगर क्या है?

कोई भी चीनी जो उत्पादन से पहले स्वाभाविक रूप से उत्पाद में मौजूद होती है, लेबल पर उसे टोटल शुगर लिखा जाता है और अगर मैन्युफैक्चरर की तरफ से उत्पाद में अलग से चीनी मिलाई गई हो तो उसे एडेड शुगर कहते हैं। आसान भाषा में कहें तो मान लिजिए आप एक संतरा उठाते हैं और उसे एक कप में निचोड़ते हैं, तो उस कप में मौजूद चीनी को टोटल शुगर कहेंगे। अगर आप उसी संतरे को चुनते हैं, उसे निचोड़ते हैं, फिर चीनी का एक पैकेट मिलाते हैं तो चीनी के पैकेट को एडेड शुगर कहेंगे।

एक्सपर्ट कमिटी ने कहा है कि सॉलिड खानों में एडेड शुगर की मात्रा 5 फीसदी से उपर नहीं होनी चाहिए और टोटल शुगर 10 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। पेय पदार्थों के लिए वहीं एडेड शुगर की लिमिट 10% तय गई है और टोटल शुगर की लिमिट 30% से उपर नहीं होनी चाहिए। पैकेज्ड फूड कंपनियां इस मुद्दे पर 10 दिनों के भीतर आईसीएमआर और एनआईएन को संयुक्त प्रतिनिधित्व देने के लिए तैयार हैं।