डायबिटीज और मेमोरी लॉस का है गहरा कनेक्शन, इन उपायों से खुद को रखें सुरक्षित
भारत में 65 साल से ज्यादा उम्र के 10 से में 4 शुगर पेशेंट्स को हो रहा है मेमोरी लॉस, बढ़ता शुगर लेवल है वजह, खास तरह का प्रोटीन दिमाग की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाकर कमजोर कर रहा याददाश्त

भारत में करीब 77 मिलियन एडल्ट लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं। इससे ज्यादा चौकाने वाला आकंड़ा यह है कि देश में शुगर पेशेंट महिलाओं की संख्या बहुतायात में हैं। महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा डायबिटीज का खतरा ज्यादा होता है। भारत में करीब 57 प्रतिशत डायबिटीज केसों का पता ही नहीं चलता है, इसका मुख्य कारण स्वास्थ्य के प्रति लोगों की उदासीनता है, अनियमित दिनचर्या के बाद भी लोग शुगर टेस्ट करवाने से बचते हैं।
टाइप 2 डायबिटीज में मेमोरी लॉस का खतरा
डायबिटीज की बीमारी अपने साथ कई दूसरी बीमारियों को लेकर आती है। इन्ही में से एक है याददाश्त का कमजोर होना। टाइप 2 डायबिटीज मरीजों में 65 साल की उम्र के बाद मेमोरी लॉस की समस्या देखने को मिलने लगती है। एक रिसर्च में कहा गया है कि 10 में से 4 शुगर पेशेंटस में याददाश्त कमजोर होने की समस्या होती है। मरीज शुरुआती दौर में छोटी-छोटी चीजें भूलने लगता है। अगर तभी इनपर ध्यान नहीं दिया गया तो यह आगे चलकर बड़ी समस्या बन सकता है।
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एक्सपर्ट्स की मानें तो अगर किसी की उम्र 65 वर्ष के आसपास है और वह डायबिटीज से पीड़ित है। तो उन्हें ध्यान देना चाहिए कि कहीं वे लोगों के नाम, डेट जैसी चीजें भूलने तो नहीं लगे हैं। अगर ऐसे लक्षण दिखाई दें तो उसे गंभीरता से लें। अपने डाक्टर से सलाह लेकर इसका इलाज करवाएं, ताकि शुरूआती दौर में ही मेमोरी लॉस या अल्जाइमर को रोका जा सके। इसमें याददाश्त की कमी, निर्णय लेने में दिक्कत, बोलने में परेशानी आने लगती है। जिसकी वजह से मरीज और उनके परिवार को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
ब्रेन को नुकसान पहुंचाती है शुगर, कमजोर करती है मेमोरी
डायबिटीज को साइलेंट किलर माना जाता है। इसे कंट्रोल करना जरूरी है। जब हाई बीपी और कोलेस्ट्रोल बढ़ता है तो दिल का दौरा पड़ने की आशंका भी बढ़ जाती है। डायबिटीज से होने वाला मेमोरी लॉस को कंट्रोल किया जा सकता है। मरीज का शुगर लेवल गड़बड़ाने से नर्वस सिस्टम की नर्व्स को नुकसान होता है। जिसकी वजह से धीरे-धीरे याददाश्त कमजोर होने लगती हैं। यह प्रोसेस इतनी धीमी होती है कि अक्सर मरीज इसे समझ ही नहीं पाते हैं।
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साउथ एशियन फेडरेशन ऑफ एंडोक्रायन सोसाइटीज की रिसर्च में कहा गया है कि अल्जाइमर में मरीज के दिमाग की सेल्स के बीच में बीटा-एमिलॉयड प्लेक्स नामक प्रोटीन बन जाता है। जिसकी वहज से सूचनाओं का ट्रांसमिशन ठीक से नहीं हो पाता है। रिसर्च में कहा गया है कि टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों के पैंक्रियाज में बीटा एमिलॉयड प्रोटीन जम जाता है, यह ठीक वैसे ही होता है जैसा की अल्जाइमर मरीजों के दिमाग में होता है।
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इंसुलिन रेजिस्टेंस की वजह से दिमाग की सेल्स में ग्लूकोज की सप्लाई नहीं हो पाती है, यही वजह है कि मरीज किसी तरह के काम करने में परेशानी का अनुभव करता है। ब्रेन में इंसुलिन की आपूर्ति रुकने को टाइप 3 डायबिटीज कहते हैं। मेमोरी लॉस के लक्षण पहले तो काफी कम नजर आते हैं, लेकिन दिमाग की नर्व्स के ज्यादा नुकसान की वजह से स्थिति बिगड़ने लगती है। शुरुआत मे ही इसकी पता चलन पर इसके लक्षणों का इलाज किया जा सकता है। मेमोरी लॉस से बचने के लिए ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज का लेवल कंट्रोल करना सबसे ज्यादा जरूरी है।
कैसे कंट्रोल करें शुगर
डायबिटीज से बचने के लिए अपनी दिनचर्या नियमित करें। इसमे खान पान से लेकर व्यायाम का रुटीन तय करें। समय पर सोना जागना औऱ बैलेंस डाइट लेना तय करें। मीठी चीजें चाहे वह आर्टीफीशियल स्वीटनर्स ही क्यों ना हों उनका सेवन बंद कर दें। हाई कार्ब फूड जैसे मैदे और शुगर से बनी चीजें जैसे कुकीज, केक, मिठाइयों से दूरी बना लें। ज्यादा तला भुना खाना खाने से बचें।
नाश्ता कभी मिस ना करें
डायबिटीज के मरीजों को ज्यादा देर तक भूखा नहीं रहना चाहिए। भूखा रहने से ब्लड शुगर लेवल गिर जाता है, जिससे तबीयत खराब हो जाती है। रात के खाने और सुबह के नाश्ते में कई घंटों का अंतर हो जाता है, ऐसे में उठने के दो घंटे के भीतर नाश्ता कर लिया जाना चाहिए। नाश्ता कभी मिस ना करें। नाश्ते में कुछ जरूरी आइटम्स को शामिल करने से शुगर लेवल कंट्रोल रखा जा सकता है। दिन की शुरूआत भीगे हुए बादाम और अखरोट से करें। बादाम खाने से टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों का ग्लाइसीमिक लेवल कंट्रोल में रहता है। साथ ही लिपिड प्रोफाइल भी अच्छा रहता है। रोजाना 5-6 भीगे बादाम और एक मौसमी फल खाएं। फल से शरीर में एंटीऑक्सीडेंट और दूसरे जरूरी पोषण मिलेगा।
ओट्स से मिलेगी ऊर्जा, कंट्रोल होगी शुगर
शुगर पेशेंट्स के लिए ओटमील जरुर अपनाना चाहिए। इससे पेट भरा-भरा लगता है। फाइबर रिच ओटमील ब्लड शुगर लेवल और मोटापा भी कंट्रोल करता है। ओट्स में ओमेगा 3 फैटी एसिड, फोलेट और पोटैशियम होता है। अगर आप लो फैट दूध में पकाकर खाएं तो यह ज्यादा लाभ देगा। मीठा करने के लिए शक्कर की जगह शहद मिलाएं।
प्रोटीन रिच जौ से कंट्रोल होगी भूख
मधुमेह के मरीजों को खाने में जौ का भी उपयोग करना चाहिए। इसमें में ओट्स से दोगुना प्रोटीन होता है। जबकि कैलोरी की मात्रा आधी होती है। जौ भूख को कंट्रोल करता है। वहीं हार्ट से जुड़ी तमाम बीमारियों से होने वाला खतरा कम करता है।डाइट में दही को जरूर शामिल करें, इससे इंसुलिन की मात्रा कंट्रोल होती है। यह टाइप 2 डायबिटीज का खतरा काफी हद तक कम करता है।
सुपर फूड किनोआ को दे थाली में जगह
किनोआ को सुपर फूड कहते है, यह फाइबर रिच होता है, इससे ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखने में मदद मिलती है।यह मल्टी विटामिन है। इसमें एंटीऑक्सिडेंट, फ्लेवोनोइड्स, क्वेरसेटिन और केफिरोल भी होता है।
मल्टीग्रेन आटा खाकर शुगर करें कंट्रोल
गेहूं के आटे की जगह मल्टीग्रेन आटा उपयोग करने से भी शुगर लेवल कंट्रोल किया जा सकता है। ज्वार, बाजरा, रागी, जौ, साबुत चना, सोयाबीन का आटा मिलाकर मल्टीग्रेन आटा तैयार किया जा सकता है। इसे खाने से पाचन तंत्र के साथ-साथ ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहता है। इससे हाइपरग्लाइसीमिया याने हाई ब्लड शुगर को कंट्रोल किया जा सकता है।
मेडिटेरेनियन डाइट से होगा फायदा
हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस समस्या में मेडिटेरेनियन डाइट फायदेमंद होती है।ये प्लांट बेस्ड डाइट है जिसमें सभी तरह की सब्जियां, फल और साबुत शामिल किया जाता है। वहीं नट्स और सीड्स से इस डाइट को बेहतर बनाया जाता है। इस तरह का खाना बनाने में ऑलिव ऑयल का उपयोग किया जाता है।इसे फॉलो करने से दिमाग एक्टिव रहता है, याददाश्त भी तेज रहती है। इस दौरान किसी भी तरह का प्रोसेस्ड फूड्स तले हुए हाई कैलोरी खाने से बचें। मौदा और मिठाई का सेवन ना करें, तभी यह लाभदायक होगा।