किसान आंदोलन के समर्थन में न्यूयॉर्क टाइम्स में छपा पूरे पेज का विज्ञापन

अमेरिकी अख़बार में 70 संगठनों की मदद से छपा विज्ञापन, भारत में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए आगे आने की अपील

Updated: Feb 18, 2021, 05:13 AM IST

Photo Courtesy: The Print
Photo Courtesy: The Print

अमेरिका के एक प्रमुख अखबार में कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे भारतीय किसानों के समर्थन में पूरे एक पेज का विज्ञापन छपा है। द न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे इस विज्ञापन में न सिर्फ आंदोलनकारी किसानों की खुलकर तरफदारी की गई है, बल्कि भारत सरकार के रवैये पर तीखे सवाल भी उठाए गए हैं। साथ ही इसमें उन 70 मानवाधिकार संगठनों के नाम भी दिए गए हैं, जिन्होंने किसान आंदोलन के समर्थन में यह विज्ञापन छपवाने में योगदान किया है।

न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे इस विज्ञापन में किसानों के मुद्दे उठाने के साथ ही साथ यह आरोप भी लगाया गया है कि भारत सरकार शांतिपूर्ण प्रदर्शन का जवाब राज्य प्रायोजित हिंसा से दे रही है। विज्ञापन में यह भी कहा गया है कि भारत सरकार आंदोलन को दबाने के लिए गिरफ्तारी, आंसू गैस के गोलों और वॉटर कैनन जैसे दमनकारी उपाय आज़मा रही है।

न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे इस विज्ञापन में लिखा है कि ‘’भारत में देशभर के किसान कई महीनों से संगठित और शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने अब तक सरकार की तरफ़ से की जा रही हिंसा, उत्पीड़न और प्रतिशोध का सामना किया है। प्रदर्शन वाली जगहों पानी की सप्लाई, इलेक्ट्रिसिटी और अन्य जरूरी सेवाओं को बंद कर दिया गया है। साथ ही इंटरनेट सेवा भी रोक दी जा रही है। इतना ही नहीं, मीडिया संस्थानों पर भी पाबंदियां लगाई जा रही हैं और उन्हें धमकियां दी गई हैं। प्रदर्शनकारियों, एक्टिविस्ट और पत्रकारों को गिरफ्तार करके प्रताड़ित किया गया है।

विज्ञापन में बताया गया है कि किसान आंदोलन में शामिल बहुत सारे लोगों के लिए यह जीने-मरने का सवाल है। इसमें दावा किया गया है कि भारत सरकार के बनाए नए कृषि कानूनों से कुछ कॉरपोरेट को फायदा होगा, जबकि किसानों को भारी नुक़सान होगा। यही वजह है कि भारत के लाखों किसान अपने हितों की रक्षा के लिए आंदोलन कर रहे हैं। विज्ञापन में कहा गया है किहम मानवाधिकार का समर्थन करने वाले अमेरिका समेत दुनिया भर के सभी लोगों से आह्वान करते हैं कि वे हमारे साथ आएं और भारत में किसानों, श्रमिकों और प्रदर्शनकारियों के साथ हो रहे बर्ताव की निंदा करें।

विज्ञापन में वैश्विक नागरिकों से लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए आगे आने की अपील की गई है। इसमें कहा गया है कि ये वही मूल्य हैं, जिनकी बुनियाद पर लोकतांत्रिक देश खड़े हैं। इस विज्ञापन में कई मशहूर मानवाधिकार संगठनों के नाम दिए गए हैं। इनमें हिन्दू फॉर ह्यूमन राइट्स, ग्लोबल प्रोजेक्ट्स अगेंस्ट हेट एंड एक्स्ट्रिमिज़्म, न्यूयॉर्क सिटी फेयर ट्रेड कोलिशन, द रेवोल्युशनरी लव प्रोजेक्ट, विन विदाउट वॉर जैसे कई संगठन शामिल हैं।

अमेरिका के एक प्रमुख अखबार में यह विज्ञापन ऐसे समय में प्रकाशित हुआ है जब भारत में पुलिस और सरकार से जुड़े लोग लगातार किसान आंदोलन के पीछे विदेशी साजिश होने का आरोप लगा रहे हैं। गिरफ्तार पर्यावरण एक्टिविस्ट दिशा रवि पर किसान आंदोलन में हिंसा भड़काने की अंतरराष्ट्रीय साज़िश में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। जबकि दो और एक्टिविस्ट निकिता जैकब और शांतनु मुलुक पर इसी तरह के आरोप में गिरफ़्तारी की तलवार लटक रही है। इससे पहले पॉप स्टार रिहाना और क्लाइमेट चेंज एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग समेत अमेरिका और ब्रिटेन की कई हस्तियों ने भारत में जारी किसान आंदोलन में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर चिंता जताई थी।

भारत सरकार किसान आंदोलन को मिलने वाले अंतरराष्ट्रीय समर्थन पर लगातार उंगली उठाती आ रही है। उसने सोशल मीडिया पर किसानों का समर्थन करने वाली अंतरराष्ट्रीय हस्तियों को बाकायदा बयान जारी करके जवाब भी दिया। ऐसे में सबकी नज़रें इस बात पर भी रहेंगी कि सरकार इस विज्ञापन का जवाब किस तरह से देती है।