पाकिस्तानी NGOs के काले कारनामें, भारत की मदद के नाम पर जुटाए पैसे, अब टेरर फंडिंग की तैयारी

दिस इन्फो लैब ने खुलासा किया है कि कोरोना संकट में भारत की मदद के लिए पाकिस्तानी NGOs ने अरबों रुपए इकट्ठा किए, अब इन पैसों को भारत में आतंकी गतिविधियों को ऑपरेट करने में खर्च किया

Updated: Jun 16, 2021, 05:59 AM IST

Photo Courtesy: TV9
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वॉशिंगटन। भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के काले कारनामे एक बार फिर दुनिया के सामने आ गए हैं। कोरोना संकट के दौरान भारत को ऑक्सीजन और वेंटिलेटर मुहैया कराने के नाम पर पाकिस्तानी गैर सरकारी संगठनों ने अरबों रुपए इकट्ठा किए। अब खबर आई है कि इन पैसों का उपयोग भारत में बम और बारूद सप्लाई करने के लिए किया जाएगा।

दिस इन्फो लैब ने अपनी एक विस्तृत रिपोर्ट में ‘कोविड-19 स्कैम 2021’ का खुलासा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये मानव इतिहास के सबसे बड़े घोटालों में से एक है। रिपोर्ट के मुताबिक ‘हेल्पिंग इंडिया ब्रीथ’ (Helping India Breath) कैंपेन के नाम पर के नाम पर अरबों रुपए की चोरी की गई है। दिस इन्फो लैब ने कई चैरिटी संगठनों का पर्दाफाश किया, जो भारतीय नागरिकों के प्रति सद्भावना का फायदा उठाकर धन जुटाने में कामयाब रहे। 

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इन संगठनों ने दावा किया कि वह भारत को ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और वैक्सीन समेत अन्य मेडिकल उपकरणों में मदद करेंगे। इसके लिए उन्होंने दुनिया के लोगों से आर्थिक सहयोग देने की अपील की। दुनियाभर में भारतीयों के बेहतर साख की वजह से उन्हें अरबों रुपए भारत की मदद के लिए मिले। लेकिन सांस देने के नाम पर जुटाए गए इन पैसों का इस्तेमाल भारतीयों से सांस छीनने के लिए किए जाने की आशंका है।

IMANA यानी 'इस्लामिक मेडिकल एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका' ऐसा ही एक संगठन है जिसने भारत के लिए काम करने का दावा किया है। 27 अप्रैल 2021 को इमाना ने सोशल मीडिया साइट इंस्टाग्राम पर #Helpindiabreathe कैंपेने शुरू किया। शुरुआती दौर में कैंपेन का लक्षता था। 

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हालांकि संगठन ने ना ही यह बताया कि इस कैंपेन से कितना पैसा इकट्ठा हुआ और ना ही इस बात की जानकारी दी कि कौन सी रकम कहां खर्च की गई।बताया गया कि सन 1967 में स्थापित इमाना का कहीं कोई दफ्तर या ब्रांड तक नहीं है। इमाना के पाकिस्तानी सेना द्वारा संचालित आतंकी संगठनों से गहरे रिश्ते होने की भी बात सामने आई है। 

इमाना के मौजूदा अध्यक्ष का नाम इस्माइल मेहर है। मेहर ने कई मौकों पर मेडिकल उपकरण खरीदने का फर्जी दावा किया, लेकिन उनके भारत पहुंचने का कोई रिकॉर्ड नहीं है। एक अनुमान के मुताबिक उसे 30 से 158 करोड़ मिले। दिस इन्फो लैब का कहना है कि भारत की मदद के नाम पर ऐसे एक दो नहीं बल्कि करीब 66 अभियान चलाये गए थे, जिनसे मिली राशि गलत कार्यों में इस्तेमाल हो सकती है।