नाटो को खुलकर ये स्वीकार करना चाहिए कि वो रूस से डरते हैं : ब्लादिमिर जेलेंस्की 

रूस के साथ किसी समझौते की सूरत में नाटो देश यूक्रेन की सुरक्षा की गारंटी सुनिश्चित करें, यूक्रेनी राष्ट्रपति के रुख में आया बदलाव 

Updated: Mar 22, 2022, 03:57 AM IST

नई दिल्ली। यूक्रेन के राष्ट्रपति ब्लादिमिर जेलेंस्की ने एक बार फिर ये दावा किया है कि नाटो देश रूस से डरते हैं इसीलिए वो यूक्रेन की मदद में खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं। जेलेंस्की के अनुसार अब समय आ गया है जब नाटो को ये कहना पड़ेगा कि वे यूक्रेन को स्वीकार कर रहे हैं या खुलकर ये बताएं कि वे हमें स्वीकार नहीं कर रहे हैं क्योंकि रूस का यूक्रेन पर लगातार आक्रमण जारी है। नाटो देशों की तमाम कोशिशों के बावजूद इसमें कमी के कोई संकेत नहीं हैं। एक पब्लिक ब्रॉडकास्टर को दिए अपने साक्षात्कार में जेलेंस्की ने ये बातें कहीं हैं। 

जेलेंस्की ने आगे कहा कि नाटो देश बिना अपने संगठन में शामिल किये भी यूक्रेन को सुरक्षा की गारंटी दे सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो ही रूस के साथ किसी समझौते   का कोई मतलब है। वहीं विशेषज्ञों का ये मानना है कि नाटो में शामिल होने की यूक्रेन की महत्वाकांक्षा के कारण ही रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया है। अगर यूक्रेन नाटो में शामिल होने की इच्छा नहीं दिखाता तो युद्ध की नौबत ही नहीं आती। हालाँकि हांल के दिनों में ऐसा लगता है कि जेलेंस्की ने ये स्वीकार कर लिया है कि उनका देश नाटो सैन्य गठबंधन का सदस्य नहीं बन सकता। ऐसी सूरत में जेलेंस्की रूस से कोई समझोता होने पर नाटो देशों से यूक्रेन की सुरक्षा की गारंटी  चाहते हैं। 

मार्च महीने की शुरुआत में ही जेलेंस्की ने ये कहा था कि उन्हें ये महसूस हो गया है कि नाटो उनके देश को अपने संगठन में शामिल करने के लिए तैयार नहीं है, क्योंकि नाटो रूस के साथ किसी तरह का टकराव नहीं चाहता। हालांकि जेलेंस्की के रुख में आये बदलाव से ये स्पष्ट है कि रूस के लगातार बढ़ रहे सैन्य अभियान को रोकने के लिए वो रुस के साथ समझौता करना चाहते हैं। साथ ही नाटो देशों से अपने देश की सुरक्षा की गारंटी भी ले लेना चाहते हैं। अब नाटो के सामने मुश्किल ये है कि बिना अपने संगठन में शामिल किये वो यूक्रेन को सुरक्षा की गारंटी कैसे दे।