Unlock 1 : कड़ी टिप्‍प्‍णी के बाद High court ने की गुजरात सरकार की तारीफ

हाई कोर्ट ने कहा- 'सरकार कुछ न करती हो हम सब मर गए होते', विपक्ष राजनीतिक रंग न दे

Publish: Jun 02, 2020, 12:14 AM IST

Photo courtesy : hindustan times
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कोरोना संक्रमण से हो रहे मौतों की वजह से विपक्ष द्वारा सरकार की आलोचना के बाद अब हाईकोर्ट से राज्य सरकार को राहत मिली है। अहमदाबाद हाईकोर्ट ने इस महामारी को मानवीय संकट बताते हुए कहा है कि सरकार की आलोचना करने से मरीज चमत्कारिक रूप से ठीक नहीं होंगे। लिहाजा, इस मुद्दे को राजनीतिक रंग न दिया जाए। कोर्ट ने सरकार की तारीफ करते हुए कहा है कि अगर राज्य सरकार कुछ नहीं कर रही होती तो हम सब मर गए होते। कोरोना महामारी संबंधित पीआईएल पर सुनवाई करते हुए रविवार को न्यायालय ने राज्य सरकार को स्वास्थ्य निर्देशों का पालन करने को भी कहा है।

दरअसल, गुजरात के अहमदाबाद स्थित उच्च न्यायालय में 11 मई से कोरोना संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई हो रही है। 22 मई को इसी मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पारडीवला और वोरा की अगुवाई में न्यायालय ने राज्य की मौजूदा स्थिति का तुलना डूबते हुए टाइटेनिक से किया था। इस दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा संचालित अहमदाबाद सिविल अस्पताल की हालत दयनीय व कालकोठरी से भी बदतर बताया था। अदालत के इस टिप्पणी के बाद विपक्ष द्वारा लगातार सरकार की आलोचना की जा रही थी।

इसी मामले पर चीफ जस्टिस विक्रम नाथ की अगुवाई में कोर्ट ने विपक्ष द्वारा सरकार के आलोचना किए जाने पर तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा, 'कोरोना संक्रमण राजनीतिक नहीं बल्कि मानवीय संकट है। महज सरकार की आलोचना करने से कोरोना संक्रमित मरीज चमत्कारिक रूप से ठीक नहीं होने लगेंगे और न हीं मर चुके लोग जिंदा हो जाएंगे। जैसा कि आरोप लगाया जा रहा है, अगर वाकई सरकार कुछ काम नहीं करती तो हम सब मर गए होते।

बता दें कि अहमदाबाद के अस्पतालों में अबतक 789 कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हुई है जिसमें 415 मौतें अकेले इसी अस्पताल में हुई है। मामले पर गुजरात सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि इस अस्पताल में कोरोना संक्रमण से दम तोड़ने वाले 83 फीसदी मरीज पहले से ही गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे। सरकार का दावा है कि इन मौतों का विशेषज्ञों से विश्लेषण करवाने के बाद पता चला है कि मरने वाले 415 में से 351 मरीज शुगर, हाइपरटेंशन, फेंफड़ों की बीमारी, थॉयरॉयड व किडनी की बीमारी जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रहे थे।

लापरवाही से एक भी मरीज की जान नहीं जानी चाहिए

कोर्ट ने राज्य सरकार को हर श्रेणी के मरीजों के लिए जरूरी स्वास्थ्य निर्देशों को पालन करने का आदेश दिए हैं वहीं विपक्ष को मदद करने के लिए हाथ बढ़ाने को कहा है। कोर्ट ने कहा, 'प्रशासनिक लापरवाही व गैर जिम्मेदाराना रवैए के कारण एक भी मरीज की जान नहीं जानी चाहिए। संकट के समय में हमें लड़ने की बजाय साथ आना चाहिए। आलोचना में मशगूल रहने वाले लोग आलोचना करना छोड़ मदद के लिए हाथ बढ़ाएं।' मामले पर अगली सुनवाई 19 जून को तय की गई है।