पिछले 8 महीने में प्रदेश के 31 बाघों की हुई मौत, देश भर में सबसे ज्यादा MP में गई बाघों की जान

मध्य प्रदेश के बाद इस अवधि में महाराष्ट्र में 21 और कर्नाटक में 13 बाघों की मौत हुई, बीते 6 सालों में मध्य प्रदेश में 170 बाघ मरे हैं

Updated: Oct 02, 2021, 04:23 PM IST

भोपाल। टाइगर स्टेट के नाम से देश भर में प्रसिद्ध मध्य प्रदेश बाघों की मौत के मामले में भी पहले पायदान पर है। बीते 8 महीनों में देश भर में सबसे ज्यादा बाघों की जान मध्य प्रदेश में गई है। मध्य प्रदेश के बाद दूसरा स्थान महाराष्ट्र का है। आठ महीने की अवधि में महाराष्ट्र में 21 बाघों की मौत हुई है। जबकि कर्नाटक में कुल 13 बाघ इस अवधि के दौरान मरे हैं। 

आठ महीनों में मध्य प्रदेश में 31 बाघों की मौतों का आंकड़ा चिंताजनक इसलिए है, क्योंकि पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की इतनी संख्या बनाने में 12 साल से ज्यादा का वक्त लगा है। 2009 में पन्ना टाइगर रिजर्व बाघ रहित हो गया था। इसके बाद दूसरे टाइगर रिजर्व से कुछ बाघ बाघिनों को पन्ना टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया गया। जिसके बाद धीरे धीरे बाघों की संख्या 31 तक पहुंच पाई। 

बाघों के मरने का सिलसिला सिर्फ इस आठ महीने के अंतराल से शुरू नहीं हुआ है। हिंदी के एक प्रमुख अख़बार की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते 6 सालों में मध्य प्रदेश में 170 बाघों की मौत हुई है। सबसे ज्यादा 34 मौतें 2016 में हुई थीं। 2017 में 27, 2018 में 19, 2019 में 29 और 2020 में 30 मौतें हुई थीं।

इस साल के समाप्त होने में अभी चार महीने का वक्त बाकी है, लेकिन बाघों की मौत का आंकड़ा पहले ही पिछले साल के आंकड़े को पार कर गया है।वन्य प्राणी प्रेमी बाघों की मौत के पीछे सबसे बड़ा कारण अधिकारियों की लापरवाही को मानते हैं। उनका कहना है कि टाइगर रिजर्व में ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति की जाती है जिनका वाइल्ड लाइफ प्रबंधन से कोई सरोकार नहीं होता।