संविधान और संस्कृति का रक्षक बनें, पटेल संघ की महापंचायत में कमलनाथ का आह्वान

विश्व में ऐसा कोई देश नहीं, जहां इतनी जातियां, धर्म, भाषाएं, त्योहार और देवी-देवता हों। जब हम दक्षिण भारत में जाते हैं, तो हमारा पजामा लुंगी बन जाता है। यह है हमारी अनेकता मैं एकता। यह अपना भारत है: कमलनाथ

Updated: Jun 08, 2023, 07:38 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ गुरुवार को भोपाल के मानस भवन में आयोजित आदर्श ग्रामीण पटेल संघ की महापंचायत में शामिल हुए। यहां पूर्व सीएम ने लोगों से संविधान और संस्कृति का रक्षक बनने का आह्वान किया। खास बात ये है कि डॉक्टरों द्वारा मना करने के बाद भी पीसीसी चीफ पटेलों के इस कार्यक्रम में शामिल हुए। पूर्व सीएम ने खुद इस बारे में जानकारी दी।

कमलनाथ ने कहा, "मेरा गला खराब है। डॉक्टर ने किसी भी कार्यक्रम में जाने से मना किया था, लेकिन मैंने कहा कि पटेलों के कार्यक्रम में जरूर जाऊंगा। जब मुझे बताया गया कि यहां गांव-गांव से सब पटेल आए हैं। हर गांव में पटेल का अपना स्थान होता है। यह हमारे सामाजिक मूल्यों का अंग है। विश्व में ऐसा कोई देश नहीं, जहां इतनी जातियां, धर्म, भाषाएं, त्योहार और देवी-देवता हों। जब हम दक्षिण भारत में जाते हैं, तो हमारा पजामा लुंगी बन जाता है। यह है हमारी अनेकता मैं एकता। यह अपना भारत है।"

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कमलनाथ ने आगे कहा, "पूरा विश्व ताज्जुब से देखता है कि यह कैसा भारत है, जहां इतनी अनेकता, विभिन्नता है फिर भी एक झंडे के नीचे सब भारतवासी खड़े हैं। क्योंकि देश की संस्कृति और हमारी पार्टी की संस्कृति जोड़ने की संस्कृति है। हम दिल संबंध जोड़ते और रिश्ता जोड़ते हैं। आपके गांव में कितनी जातियां, कितने धर्म हैं, लेकिन आपकी जोड़ने की संस्कृति है। इसी संस्कृति के कारण भारत एक झंडे के नीचे खड़ा है।"

कमलनाथ ने आगे कहा, "मध्य प्रदेश की मांग है कि हम संस्कृति को जीवित रखें, संविधान सुरक्षित रखें। यह सबसे बड़ी आवश्यकता है। हम अपने गांव में बैठकर भूल जाते हैं कि देश में कैसा माहौल है। हम केवल अपने गांव के बारे में सोचते हैं। देश के बारे में भूल जाते हैं। आप लोग अनुभवी हैं। मेरी दूसरी मांग है कि देश सामाजिक मूल्यों पर टिका है। सामाजिक मूल्यों को आप सुरक्षित रखें। नई पीढ़ी फिसल जाती है। आज के नौजवानों की पीढ़ी इंटरनेट की पीढ़ी है। यह फिसल जाती है।"

कमलनाथ ने पटेलों के मांग पत्र को लेकर कहा, "आपने कुछ मांगे रखी हैं, उन पर चर्चा के पहले मैं अपनी मांग रखता हूं। आपको संस्कृति का रक्षक बनना है। जो जोड़ने की संस्कृति है। आपको संविधान और संस्कृति का रक्षक बनना है। तभी हम आने वाली पीढ़ियों के लिए गांव, प्रदेश सुरक्षित छोड़ सकते हैं। यह बड़ी जिम्मेदारी है। आपने मानदेय की बात कही। मानदेय बढ़ेगा, तो गांव के किराने की दुकान भी अच्छी चलेगी, क्योंकि आप खर्च भी करेंगे। मैं घोषणा करना चाहता हूं कि आपका मानदेय तय करेंगे। जरूरी मानदेय मिलेगा।"