भोपाल में पटाखा गन से बच्चे की आंख झुलसी, AIIMS ने दिवाली के लिए जारी की एडवाइजरी
भोपाल में 11 साल का बच्चा पटाखा गन लोड करते समय घायल हो गया। गन अचानक चलने से पटाखा उसकी आंख में लगा, जिससे पलक झुलस गई और पुतली पर सफेदी छा गई। बच्चे का इलाज गांधी मेडिकल कॉलेज में चल रहा है।

भोपाल। दिवाली से पहले राजधानी भोपाल में पटाखों से जुड़ा पहला बड़ा हादसा सामने आया है। गुरुवार रात 11 साल का एक बच्चा पटाखा गन लोड करने के बाद उसे चेक कर रहा था तभी गन अचानक चल गई और पटाखा उसकी आंख में लग गई। हादसे में बच्चे की पलक झुलस गई और पुतली पर सफेदी (ल्यूकोकोरिया) छा गई। गंभीर रूप से घायल बच्चे को गांधी मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों के अनुसार अब शनिवार को सर्जरी की जाएगी ताकि उसकी आंख की रोशनी बचाई जा सके। यह इस साल दिवाली से जुड़ा पहला गंभीर हादसा है।
डॉक्टरों के मुताबिक, बच्चे की आंख में थर्मल और केमिकल दोनों तरह की इंजरी हुई है। हॉस्पिटल के विशेषज्ञों का कहना है कि ल्यूकोकोरिया जैसी स्थिति में समय पर उपचार न मिलने पर आंखों की रौशनी स्थायी रूप से प्रभावित हो सकती है। फिलहाल बच्चा खतरे से बाहर है, लेकिन डॉक्टरों ने सर्जरी को जरूरी बताया है।
बीते साल भोपाल में दिवाली के दौरान ऐसे ही हादसों में कुल 52 लोग झुलस गए थे। उनमें से एक 91 वर्षीय बुजुर्ग महिला भी शामिल थीं जिनकी साड़ी में दीये से आग लग गई थी। 70% झुलसने के बाद उन्हें एम्स भोपाल लाया गया था जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। उस समय एम्स में 15, जेपी अस्पताल में 13 और हमीदिया अस्पताल में 24 मरीज पहुंचे थे जिनमें से छह की सर्जरी करनी पड़ी थी।
हर साल की तरह इस बार भी दिवाली पर सबसे ज्यादा मरीज आंखों से जुड़ी चोटों के साथ अस्पताल पहुंच रहे हैं। पिछले साल एम्स भोपाल में 14 साल के बच्चे और 29 वर्षीय युवक की आंखों की रोशनी चली गई थी। वहीं, हमीदिया अस्पताल में दो मरीज 50% से अधिक झुलस गए थे जिन्हें बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी विभाग में करीब 20 दिन के इलाज के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया था।
यह भी पढ़ें:पराली जलाने पर कानूनी कार्रवाई से राहत की मांग, मंडला में किसानों में निकाली ट्रैक्टर रैली
दिवाली से पहले एम्स भोपाल ने लोगों को सावधानी बरतने की अपील की है। एम्स के बर्न्स और प्लास्टिक सर्जरी विभाग ने एक एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि दिवाली केवल एक त्योहार नहीं बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी और सामूहिक जागरूकता का अवसर है। पटाखे फोड़ते समय सुरक्षा नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है ताकि त्योहार खुशियों का रहे, हादसों का नहीं।
गांधी मेडिकल कॉलेज की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अदिति दुबे ने बताया कि दिवाली के दौरान आंखों की दो तरह की इंजरी सबसे ज्यादा होती है। पहली केमिकल और दूसरी थर्मल। केमिकल इंजरी तब होती है जब आंखों में चूना या रंग-रोगन में इस्तेमाल होने वाली सामग्री चली जाती है। जबकि, थर्मल इंजरी ज्यादातर पटाखों से जलने के कारण होती है। उन्होंने बताया कि पटाखों से हुई चोटें लंबे समय तक असर डालती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इनमें पहले थर्मल बर्न होता है और फिर उसमें मौजूद केमिकल्स का नुकसान देर तक बना रहता है। डॉ. दुबे ने कहा कि ऐसे मामलों में देरी खतरनाक साबित हो सकती है इसलिए किसी भी व्यक्ति को आंख या शरीर पर जलन होने पर तुरंत अस्पताल पहुंचना चाहिए। समय रहते इलाज मिलने से आंख की रोशनी बचने की संभावना अधिक रहती है।
यह भी पढ़ें:भोपाल में रेप पीड़िता पर एसिड अटैक, एक्स बॉयफ्रेंड पर ही लगाया था रेप का आरोप
दिवाली के दौरान बढ़ते हादसों को देखते हुए गांधी मेडिकल कॉलेज ने इस बार एक विशेष रूम तैयार किया है जिसे इन्फॉर्मेशन सेंटर नाम दिया गया है। यह सेंटर दिवाली के दौरान आने वाले सभी मामलों के प्रबंधन के लिए आवश्यक उपकरणों और सामग्री से लैस है। इमरजेंसी मेडिसिन और नेत्र रोग विभाग के समन्वय से यह सेंटर मरीजों को तुरंत उपचार उपलब्ध कराने का काम करेगा।
एम्स के बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी विभाग के विशेषज्ञ डॉ. आनंद गौतम ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के जलने पर सबसे पहले 10 से 15 मिनट तक ठंडा पानी डालना चाहिए। उन्होंने सलाह दी कि किसी भी स्थिति में टूथपेस्ट, स्याही, आलू, मिट्टी या कंबल जैसी चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे जलन और संक्रमण बढ़ जाता है। दिवाली नजदीक है, ऐसे में डॉक्टरों ने अपील की है कि लोग पटाखे जलाते समय सावधानी बरतें, बच्चों को अकेला न छोड़ें और किसी भी तरह की चोट लगने पर घरेलू उपायों की बजाय तुरंत अस्पताल पहुंचें।
यह भी पढ़ें:ग्वालियर में पेड़ से लटका मिला किसान का शव, परिजनों ने लगाया हत्या का आरोप