जनप्रतिनिधियों के अधिकार अधिकारियों को क्यों दिए, दिग्विजय सिंह ने पंचायती राज व्यवस्था पर सीएम से पूछे सवाल

क्या कारण है कि कांग्रेस सरकार ने मध्यप्रदेश में ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत और जिला पंचायत को असीमित अधिकार देकर एक विकेंद्रीकृत व्यवस्था लागू की थी उसे भाजपा सरकार ने पूरी तरह ध्वस्त क्यों कर दिया: दिग्विजय सिंह

Updated: Sep 15, 2023, 11:27 AM IST

भोपाल। विधानसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश कांग्रेस सभी मोर्चों पर शिवराज सरकार की विफलता उजागर कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पंचायती राज व्यवस्था को लेकर राज्य सरकार को निशाने पर लिया है। सिंह ने पूछा है कि आखिर भाजपा सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था को पूरी तरह ध्वस्त क्यों कर दिया?

पूर्व मुख्यमंत्री ने शुक्रवार सुबह एक ट्वीट थ्रेड में लिखा, 'कांग्रेस सरकार ने 1993 - 2003 के बीच मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था लागू की। मेरे मुख्यमंत्रित्व काल में 73वें व 74वें संविधान संशोधन के तहत पंचायत राज कायम करने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बना। हमारे कार्यकाल में ग्राम स्वराज की व्यवस्था लागू करने वाला मध्यप्रदेश देश में पहला राज्य बना। पारदर्शी प्रशासन के लिए ग्राम संपर्क अभियान चलाने वाला और प्रदेश को ई-प्रशासन के द्वारा हर गांव का डाटा ऑनलाइन करने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बनाया।'

सिंह ने आगे लिखा, 'मेरा सवाल शिवराज सरकार से है कि क्या कारण है कि कांग्रेस सरकार ने मध्यप्रदेश में ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत और जिला पंचायत को असीमित अधिकार देकर एक विकेंद्रीकृत व्यवस्था लागू की थी उसे भाजपा सरकार ने पूरी तरह ध्वस्त क्यों कर दिया? क्या कारण है कि हमारी सरकार के समय अधिकार संपन्न रहे सरपंच, जनपद अध्यक्ष और जिला पंचायत अध्यक्ष सिर्फ डाकिए बनकर रह गए हैं? भाजपा सरकार ने विकेंद्रीकृत व्यवस्था को केंद्रीकृत करते हुए सारे अधिकार जनप्रतिनिधियों से छीनकर शासकीय अधिकारियों को क्यों दे दिए?'

पूर्व मुख्यमंत्री ने आगे पूछा कि, 'आखिर क्या कारण है कि पंचायतों द्वारा विभिन्न योजनाओं पर किए जा रहे कार्यों के भुगतान एक पोर्टल द्वारा भोपाल से अधिकृत करने के बाद किए जा रहे हैं? क्या कमिशन के हिस्से को बढ़ाने के लिए जबरिया भोपाल से स्वीकृत कराने की व्यवस्था नहीं बनाई गई है?' बता दें कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस अब बीजेपी के कुप्रचार का जोर-शोर से जवाब दे रही है। दो दिन पहले ही पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने आंकड़े जारी कर बताया था कि उनके कार्यकाल में प्रदेश में साक्षरता दर में रिकॉर्ड वृद्धि हुई।