कोरोना में हांफती व्यवस्था से BSF जवान का मार्मिक सवाल, पत्नी की मौत के बाद मासूम बच्चों को देखूं या देश सेवा का फर्ज निभाऊं

कोरोना संक्रमित पत्नी के लिए 8 घंटे अस्पताल में भर्ती के लिए भटका था जवान, रीवा के संजय गांधी अस्पताल में जब बेड मिला तो पत्नी चली गई, जवान पर टूटा दुखों का पहाड़, देश सेवा करे या बच्चों की परवरिश

Updated: Apr 24, 2021, 03:23 PM IST

Photo courtesy: twitter
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रीवा। मैं देश के लिए अपना फर्ज देखूं या फिर अपने दो मासूम बच्चों को, यह शब्द उस BSF जवान के हैं, जो मध्य प्रदेश में सिस्टम की नाकामी की वजह से अपनी पत्नी को खो बैठा है। त्रिपुरा में तैनात बीएसएफ जवान विनोद तिवारी का सिस्टम से ये प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल रहा है। विनोद की कोरोना संक्रमित पत्नी की मौत हो गई है।अब वे अपने दो छोटे बच्चों के लिए परेशान हैं।

तीन दिन पहले रीवा के अस्पताल में पत्नी को भर्ती कराने के लिए विनोद को घंटों एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकना पड़ा था। और जब रीवा के संजय गांधी अस्पताल में बेड मिला तो पत्नी हांफती हांफती गुजर गईं। 38 साल की पत्नी श्यामवती के खोने का दर्द और दो बच्चों की परवरिश ने विनोद को मजबूर कर दिया है। वो व्यवस्था से सवाल कर रहे हैं कि अब कौन सी देश सेवा करूं?

 

सीधी जिले के मूल निवासी BSF जवान विनोद का परिवार रीवा शहर में रहता है। जब वे त्रिपुरा में थे तब उन्हें पता चला कि उनकी पत्नी की तबीयत बेहद खराब है, जिसके बाद वे चार दिन की छुट्टी लेकर रीवा आए थे। जवान अपनी कोरोना संक्रमित पत्नी को लेकर एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल चक्कर काटते रहे। लेकिन कहीं उन्हें भर्ती नहीं किया गया। जवान ने रोते हुए लोगों से मदद की गुहार लगाई थी, जिसका वीडियो भी वायरल हुआ है। बड़ी मशक्कत के बाद अस्पताल में जगह मिली, लेकिन सही इलाज फिर भी नहीं मिला।

जवान विनोद तिवारी का 13 साल का बेटा और एक 8 साल की बेटी है। पत्नी की मौत के बाद उनके सामने एक बड़ा सवाल है कि उन्हें देश सेवा के लिए ड्यूटी पर लौटना है और बच्चों की परवरिश के लिए कोई नहीं है। बच्चों को पता ही नहीं कि उनकी मां इस दुनिया में नहीं रही। सिस्टम की लाचारी का शिकार जवान पत्नी की मौत से दुखी है। उन्हें बस यही सवाल खाए जा रहा है कि उनके मासूम बच्चों का क्या होगा।