कांग्रेस ने सभी उम्मीदवारों का किया एलान, खंडवा से राज नारायण सिंह लड़ेंगे चुनाव

कल्पना वर्मा रैगांव सीट पर दावा ठोकेंगी, तो वहीं महेश पटेल आदिवासी बहुल क्षेत्र जोबट से कांग्रेस के टिकट पर हुंकार भरेंगे

Updated: Oct 05, 2021, 03:41 PM IST

भोपाल। कांग्रेस ने मध्य प्रदेश उपचुनाव के मद्देनज़र सभी सीटों पर अपने उम्मीदवारों का एलान कर दिया है। खंडवा लोकसभा सीट के लिए कांग्रेस ने पूर्व विधायक राज नारायण सिंह को टिकट दिया है। जबकि विधानसभा सीटों पर कल्पना वर्मा और महेश पटेल को चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया है। कल्पना वर्मा को रैगांव से टिकट मिला है और महेश पटेल जोबट सीट से चुनावी मैदान में उतरेंगे।


मध्य प्रदेश में कुल चार सीटों पर उपचुनाव होने हैं। इनमें विधानसभा की तीन सीटें और खंडवा लोकसभा सीट पर चुनाव होना है। एक अन्य विधानसभा की सीट पृथ्वीपुर पर कांग्रेस पहले ही अपने उम्मीदवार का एलान कर चुकी है। कांग्रेस ने इस सीट से दिवंगत कांग्रेस नेता बृजेंद्र सिंह राठौर के बेटे नितेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है। 

30 अक्टूबर को होने वाले चुनाव से पहले कांग्रेस अपने सभी उम्मीदवारों को मैदान में उतार चुकी है, लेकिन सत्ताधारी दल बीजेपी अब भी असमंजस में पड़ी हुई है। चुनाव सिर पर होने के बावजूद बीजेपी अब तक अपने उम्मीदवारों के नाम तय नहीं कर पाई है। उम्मीदवारों के एलान से पहले ही पार्टी में गुटबाज़ी का उजागर होना बीजेपी के लिए चिंता का सबब बन गया है। सोमवार को जोबट में प्रदेश सरकार में मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा की मौजूदगी में हुए भारी हंगामे ने बीजेपी की तैयारियों की पोल खोल कर रख दी है।

चर्चा है कि रैगांव विधानसभा सीट और खंडवा लोकसभा सीट पर बीजेपी क्रमशः जुगल किशोर बागरी और नंदकुमार सिंह चौहान के परिवार के सदस्यों को चुनावी मैदान में उतार सकती है। सबसे बड़ा पेंच जोबट सीट को लेकर फंसा हुआ है। 2018 में यह सीट कांग्रेस के खाते में गई थी। इसे अपने पाले में करने के लिए बीजेपी ने दलबदलू नेता सुलोचना रावत और उनके बेटे विशाल रावत को अपने कुनबे में शामिल तो कर लिया लेकिन इसका परिणाम यह हुआ कि बीजेपी की अंतर्कलह सतह पर आ गई है।

दूसरी तरफ खंडवा लोकसभा सीट पर बीजेपी  दिवंगत नेता नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान को मैदान में उतारने का लगभग मन तो बना चुकी है, लेकिन वहां भी आंतरिक गुटबाज़ी बीजेपी का खेल बिगाड़ सकती है। हर्षवर्धन सिंह चौहान की दावेदारी का विरोध करने के लिए खंडवा से बीजेपी के कुछ नेता शनिवार को भोपाल भी पहुँचे थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक विरोध जताने वाले नेता कृष्णमुरारी मोघे और अर्चना चिटनिस के समर्थक थे।

मध्य प्रदेश में होने वाले इन उपचुनावों आगामी विधानसभा चुनावों के लिहाज़ से बड़ा अहम माना जा रहा है। 2023 में प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिस वजह से कांग्रेस इन चुनावों को अपने पक्ष में भुनाने की भरपूर कोशिश कर रही है। तय समय पर उम्मीदवारों के नाम के एलान से तमाम उम्मीदवारों को क्षेत्र की जनता तक पहुँच बनाने का पर्याप्त समय भी मिल गया है। उपचुनावों से पहले कांग्रेस के पक्ष में सबसे अहम बिंदू यह है कि टिकट बंटवारे को लेकर किसी तरह का कोई मतभेद सामने नहीं आया है। जबकि बीजेपी को उपचुनाव की तैयारियों के बनिस्बत अपने घर को ही संभालने में मशक्कत करनी पड़ रही है। आंतरिक गुटबाज़ी का खामियाज़ा बीजेपी दमोह उपचुनाव में भी भुगत चुकी है।

जिन चार सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उन सीटों पर पिछले चुनावों में दो पर कांग्रेस को जीत मिली थी, जबकि दो सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार जीते थे। चारों सीटों पर निर्वाचित सदस्यों की मृत्यु होने के कारण उपचुनाव हो रहे हैं। इन सीटों पर सहानुभूति लहर को एक बड़ा फैक्टर तो माना जा रहा है, लेकिन खासकर कोरोना की दूसरी लहर के दौरान शिवराज सरकार की नाकामी भी लोगों के ज़हन में अब भी ताज़ा है। साथ ही मध्य प्रदेश में बढ़ती बेरोज़गारी, महंगाई भी बड़ा मुद्दा है। प्रदेश में लगातार बढ़ रहे अपराध के ग्राफ के कारण भी जनता के मन में शिवराज सरकार के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि इन उपचुनावों में बीजेपी के सामने  सिर्फ कांग्रेस उम्मीदवार चुनौती बन कर नहीं खड़े हैं, बल्कि जनता में शिवराज सरकार के प्रति बढ़ता अविश्वास भी बीजेपी के लिए इन उपचुनावों को और कठिन बना रहा है।