पंढरपुर में एमपी भवन की स्थिति बदतर, दिग्विजय सिंह बोले- उचित व्यवस्था करे या ट्रस्ट को सौंप दे सरकार

आषाढ़ी एकादशी के मौके पर भगवान विठ्ठल के दर्शन करने पंढरपुर गए थे दिग्विजय सिंह, मध्य प्रदेश भवन की कुव्यवस्था पर जताई नाराजगी, बोले- मैंने इसका निर्माण कराया, अब सरकार उचित रख रखाव भी नहीं कर रही, इसे ट्रस्ट को सौंप देना चाहिए

Updated: Jul 11, 2022, 07:03 AM IST

पंढरपुर। कांग्रेस के दिग्गज नेता व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह रविवार को आषाढ़ी एकादशी के मौके पर पंडरपुर स्थित भगवान बिट्ठल का दर्शन लाभ लेने पहुंचे थे। उन्होंने मध्य रात्रि में करीब 2.30 बजे भगवान बिट्ठोबा के दर्शन किए। इस दौरान सिंह ने वहां स्थित एमपी भवन की अनदेखी पर भी सवाल उठाए और तीर्थाटन की दम भरने वाली बीजेपी सरकार को वास्तविक स्थिति से रूबरू कराया।

दिग्विजय सिंह ने यहां मध्य प्रदेश भवन कि बदतर स्थिति को देख नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार इसकी उचित रख रखाव की व्यवस्था करे अथवा महाराष्ट्र सरकार के भगवान बिट्ठल मंदिर ट्रस्ट को रख रखाव के लिए सौंप दे। बता दें कि मध्यप्रदेश के इंदौर, बैतूल छिंदवाड़ा समेत कई ज़िलों के हज़ारों लोग विठ्ठोबा के दर्शन के लिए पंढरपुर जाते हैं। उनकी सुविधा के लिए तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार ने पंढरपुर में मध्य प्रदेश भवन का निर्माण करवाया था।

हालांकि, 2004 के बाद इस भवन के उचित रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया गया जिसके कारण उसकी बुरी दशा हो गई है। प्रदेश के लोग जब यहां आते हैं तो एमपी भवन में उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। तीर्थाटन को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाली शिवराज सरकार द्वारा पंडरपुर तीर्थस्थल की अनदेखी से वहां जाने वाले भक्तों में काफी नाराजगी है।

हर वर्ष दर्शन करने जाते हैं दिग्विजय सिंह

बता दें कि पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह सन 1992 से नियमित रूप से भगवान बिट्ठल का दर्शन करने जाते हैं। उन्होंने इस बात की जानकारी देते हुए एक ट्वीट में लिखा है कि, 'आज आषाढ़ी एकादशी के शुभ अवसर पर दो सालों बाद पण्डरपुर में विट्ठो बा के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। दो साल तक कोरोना के कारण दर्शन पर प्रतिबंध था। सन् 1992 से हमारे स्व भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ शंकरदयाल जी शर्मा की प्रेरणा से लगातार हर वर्ष दर्शन करता रहा हूँ। विठ्ठो बा से यही विनती है कि मुझे मेरे जीवन की हर आषाढ़ी एकादशी पर उनके दर्शन का लाभ मिलता रहे।'