नहीं मिल रहा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना का लाभ, रायसेन में किसानों ने सड़कों पर फेंके टमाटर

खून पसीने से उगाई टमाटर की खेती को नहीं मिल रहे खरीददार, खाद बीज का खर्चा तक निकालना हुआ मुश्किल, किसानों ने सड़कों पर फेंके सैकड़ों क्विंटल टमाटर

Updated: Apr 02, 2021, 07:40 AM IST

Photo courtesy: social media
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रायसेन। सरकार की उदासीनता का खामियाजा किसानों को उठाना पड़ रहा है। रायसेन के सैकड़ों किसानों ने अपनी टमाटर की फसल सड़कों पर फेंक दिया है, जिसे जानवर खा रहे हैं। इस साल यहां टमाटर की बंपर फसल हुई है और इन्हें अपनी फसल को सस्ते में बेचना पड़ रहा है। आलम यह है कि 22 किलो टमाटर का बॉक्स मजह 40 रुपए में बेचना पड़ रहा है। किसानों को टमाटर के लिए मार्केट नहीं मिल पा रहा और खेती की लागत निकलना मुश्किल हो रहा है।

पहले ये टमाटर दूसरे प्रदेशों में भेजे जाते थे। लेकिन किसानों के पास माल ढुलाई के पैसे नहीं होने से उन्होंने जानवरों के खाने के लिए सैकड़ों क्विंटल टमाटर सड़को और नालियों में फेंक दिए हैं। किसानों को उम्मीद थी कि फसल के अच्छे दाम मिलेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

दरअसल प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना के तहत सरकार द्वारा रायसेन को टमाटर जिला घोषित किया गया था। जिसकी वजह से यहां के किसानों ने टमाटर की खेती की थी। यहां का टमाटर उत्तर और दक्षिण भारत में सप्लाई किया जाता था। लेकिन अब सरकार की ओऱ से कोई मदद नहीं मिलने की वजह से किसान परेशान हैं। निराशा का आलम ये है कि खून पसीने से सींचा और उपजाया गया टमाटर अब रायसेन की सड़क किनारे फेंक दिए गए हैं।

असम में ज्यादा उपज होने के कारण टमाटर के दाम गिर गए हैं। रायसेन के बाड़ी इलाके में टमाटर खूब पैदा होता है। जिसके कारण भाव लगातार औंधे मुंह गिरे हैं। सैकड़ों किसानों का सिंचाई, खाद, बीज, दवाई तक का खर्चा निकालना मुश्किल हो गया है। सस्ता बेचने के बाद भी ग्राहक नहीं मिल रहे हैं।