ABVP ने बुद्धिजीवियों की मानसिकता को बताया देशद्रोही, यूनिवर्सिटी ने रद्द कराया वेबिनार 

हरिसिंह गौड़ यूनिवर्सिटी के एंथ्रोपोलॉजी डिपार्टमेंट ने आयोजित किया था वेबिनार, एबीवीपी की शिकायत के बाद मध्य प्रदेश पुलिस ने दी चेतावनी, दो घंटे पहले आयोजकों ने खींचे हाथ

Updated: Jul 31, 2021, 02:23 PM IST

सागर। मध्य प्रदेश के डॉ हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने ही द्वारा रखे गए दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार के शुरू होने से दो घंटे पहले अपने हाथ पीछे कर लिए। कारण ये था कि आरएसएस की छात्र इकाई एबीवीपी ने इसमें शामिल होने वाले बुद्धिजीवियों की मानसिकता को देशद्रोही करार दिया था। एबीवीपी की शिकायत के बाद सागर एसपी ने भी यूनिवर्सिटी को चेतावनी देते हुए कानून व्यवस्था बिगड़ने की बात कही थी।

जानकारी के मुताबिक हरिसिंह गौड़ यूनिवर्सिटी के एंथ्रोपोलॉजी यानी मानव विज्ञान विभाग ने 30 और 31 जुलाई को दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया था। इस वेबिनार में अमेरिका की मोंटक्लेयर स्टेट यूनिवर्सिटी भी साझा मेजबानी कर रही थी। वेबिनार का विषय 'वैज्ञानिक प्रवृत्ति के अचीवमेंट में सांस्कृतिक और भाषाई बाधाएं' था। प्रमुख वक्ताओं में सीएसआईआर के चीफ साइंटिस्ट रहे गौहर रजा, दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अपूर्वानंद, आईआईटी हैदराबाद के प्रोफेसर हरजिंदर सिंह और अमेरिका के मैसाचुसेट्स में स्थित ब्रिजवाटर स्टेट यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर डॉ असीम हसनैन शामिल थे।

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दरअसल, एबीवीपी ने इस वेबिनार को लेकर 22 जुलाई को आपत्ति जताई थी। हैरानी की बात ये है कि विद्यार्थी परिषद ने विश्वविद्यालय प्रशासन से शिकायत करने के बजाए पुलिस को ज्ञापण सौंपने गए थे। एबीवीपी का कहना था कि इनमें दो वक्ता प्रो अपूर्वानंद और गौहर रजा देशविरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहते हैं। एबीवीपी का दावा था कि प्रोफेसर अपूर्वानंद की संलिप्तता दिल्ली दंगों में पाई गई है वहीं वैज्ञानिक गौहर रजा ने आतंकी अफजल गुरु के लिए कविताएं लिखी थी।

एबीवीपी के इस ज्ञापण पर संज्ञान लेते हुए सागर एसपी अतुल सिंह ने विश्वविद्यालय को चेतावनी दी थी। एसपी ने विश्वविद्यालय के कुलपति जेडी अही को नोटिस भेजकर कहा था कि इस वेबिनार से यदि कानून व्यवस्था खराब होती है तो आयोजनकर्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 505 के तहत एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। एसपी ने नोटिस में लिखा कि वेबिनार में शामिल हो रहे वक्ताओं के देशविरोधी मानसिकता और जाति से संबंधित बयानों' के बारे में उन्हें जानकारी मिली है। ऐसे में जिस तरह के विचार ज़ाहिर किए जाने वाले हैं, उन पर पहले से सहमति होनी चाहिए।

रजिस्ट्रार ने दिया रद्द करने का निर्देश

सागर एसपी के नोटिस के बाद विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार संतोष सोहगौरा ने एंथ्रोपोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड राजेश गौतम को शुक्रवार सुबह लिखित निर्देश देते हुए कहा कि उन्होंने इसके आयोजन के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से परमिशन नहीं ली है, इसलिए इसे रद्द करें। हालांकि, विभाग ने शिक्षा मंत्रालय को परमिशन संबंधी पत्र भी लिखा था लेकिन कोई जवाब नहीं मिल सका। ऐसे में वेबिनार शुरू होने से महज दो घंटे पहले एंथ्रोपोलॉजी डिपार्टमेंट को इसे रद्द करना पड़ा।

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चूंकि, हरिसिंह गौड़ यूनिवर्सिटी इस वेबिनार की सह-मेजबान थी इसलिए यूनिवर्सिटी के हाथ खींचने के बावजूद तय समय पर ऑनलाइन वेबिनार की शुरुआत हुई। दरअसल, मोंटक्लेयर स्टेट यूनिवर्सिटी ने इसपर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और उन्होंने अकेले इसकी मेजबानी की। इस वेबिनार में हरिसिंह गौड़ यूनिवर्सिटी के कोई भी फैकल्टी शामिल नहीं हुए और न ही लोगो का उपयोग किया गया।

मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए साइंटिस्ट गौहर रजा ने कहा कि, 'भारत उस स्थिति का सामना कर रहा है जिसका सामना यूरोप ने 15वीं और 16वीं शताब्दी में किया था। जब चर्च को ठेस पहुंचाने के लिए गैलेलियो और बर्नो जैसे लोगों को मार दिया गया था। राज्य तंत्र वैज्ञानिक स्वभाव के खिलाफ कैसे काम कर सकता है। इसकी गारंटी संविधान में दी गई है। मेरी भावनाओं का क्या जो इस घटना से आहत हुए।'

वहीं, प्रोफेसर अपूर्वानंद ने कहा कि, 'पुलिस प्रशासन एबीवीपी को चुप कराने के बजाय, आयोजकों के खिलाफ हो गई है। यह बेहद दुखद है। एबीवीपी का प्रभाव अधिक है। विश्वविद्यालय ने पुलिस के दबाव का विरोध करने की कोशिश नहीं की। कुलपति पुलिस को यह जवाब दे सकते थे कि ये हमारा काम है।'

कुपढ़ों की जमात है एबीवीपी- एनएसयूआई

इस पूरे घटनाक्रम को मध्य प्रदेश एनएसयूआई ने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। एनएसयूआई के प्रदेश प्रवक्ता सुहृद तिवारी ने कहा, 'विद्यार्थी परिषद के लोग विद्यार्थी छोड़ सबकुछ हैं। उन्हें पढ़ाई, लिखाई और बौद्धिक ज्ञान से कोई मतलब नहीं है। एबीवीपी कुपढ़ों की जमात है। संघ की विचारधारा ही यही है, न खुद पढ़ो न समाज को पढ़ने दो। क्योंकि लोग पढ़ लेंगे तो सवाल करना सीख जाएंगे। आरएसएस की सरकार में भी वैसे लोगों को ही ज्यादा तवज्जों मिलती है जो कम पढ़े लिखे हों। यहां सबसे बड़े मूर्ख को सबसे बड़ा ओहदा दिया जाता है।'