शिवपुरी में वन अमले की गुंडागर्दी, आदिवासियों को लाठियों से पीटा, महिला-बच्चों पर भी नहीं आई दया

शिवपुरी में वन भूमि से कब्जा हटाने पहुंची वन विभाग की टीम ने झोपडी लगाकर रह रहे आदिवासियों की बेरहमी से पिटाई की। इस दौरान एक महिला का हाथ टूट गया।

Updated: Oct 16, 2024, 04:13 PM IST

शिवपुरी। मध्य प्रदेश में दलित-आदिवासियों के साथ अत्याचार की घटनाएं नहीं थम रही हैं। शिवपुरी से एक ऐसा ही मामला सामने आया है। यहां वन अमले की गुंडागर्दी देखने को मिली है। वन विभाग के कर्मचारियों ने अतिक्रमण हटाने के नाम पर आदिवासियों की बेरहमी से पिटाई की। वन अमले ने महिला और बच्चों तक को लाठियों से पीटा। एक महिला का हाथ भी फ्रैक्चर हो गया।

घटना मंगलवार दोपहर करीब 3 बजे कोलारस के मोरई गांव की है। करीब 8 आदिवासी परिवार यहां सालों से झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं। वन विभाग का उड़नदस्ता और कोलारस थाना का पुलिस बल कब्जा हटाने पहुंचा था। वनकर्मी और आदिवासियों में बहस हुई। इसके बाद वन अमला मारपीट पर उतरू हो गया।

कोलारस के सनवारा बीट में वन विभाग प्लांटेशन का काम चल रहा है। कार्यवाहक वनपाल गिरीश नामदेव ने बताया, जहां आदिवासी रह रहे हैं, वह वृक्षारोपण की जमीन है। आदिवासियों की झोपड़ी हटाने के निर्देश मिले थे। टीम मौके पर पहुंची तो आदिवासी मारपीट पर उतारू हो गए। मेरी कॉलर पकड़कर वर्दी फाड़ दी। इसके बाद अमले पर पथराव कर दिया। बीट गार्ड रामचरण केवट और दिनेश सहरिया घायल हुए हैं।

वहीं, पीड़ित आदिवासी मंगलवार शाम को कोलारस थाने पहुंचे। महिलाओं का कहना है, वनकर्मियों सहित पुलिसकर्मियों ने महिलाओं और बच्चों के साथ बेरहमी से मारपीट की। कृष्णा आदिवासी ने बताया, वन अमला झोपड़ी हटाने पहुंचा था। हम जगह खाली करने को तैयार थे। सामान निकालने के लिए थोड़ा समय मांगा था, लेकिन वनकर्मी झोपड़ी तोड़ने पर उतारू थे। वन विभाग के बड़े बाबू को झोपड़ी तोड़ने के लिए मना किया, लेकिन उन्होंने मेरे बाल पकड़कर लात मार दी। मेरा एक हाथ टूट गया। इसके बाद लाठियों से हमला बोल दिया। बच्चों को भी मारा।

मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्य सरकार को निशाने पर लिया है। कमलनाथ ने ट्वीट किया, 'शिवपुरी के कोलारस के मोरई गांव में करीब 8 आदिवासी परिवारों पर वन विभाग के अमले ने लाठियाँ भांजीं। इस अत्याचार के पीछे अतिक्रमण हटाने का बहाना बनाया गया। मैं मुख्यमंत्री से जानना चाहता हूँ कि क्या प्रदेश में आदिवासियों पर ऐसे ही अत्याचार होते रहेंगे?

कमलनाथ ने आगे लिखा, 'क्या आपकी सरकार ने झोपड़ी में रह रहे आदिवासियों की आवास और आजीविका की व्यवस्था कर दी है? क्या आदिवासियों पर जुल्म ढा कर आप आदिवासियों का हित कर रहे हैं। जल जंगल ज़मीन पर असिवासियों का पहला हक़ है क्या आप इस सिद्धांत को नहीं मानते? कृपया सभी पीड़ितों को समुचित सहायता दें।'