10 का 36: साढ़े तीन गुने से भी महंगा हुआ इंदौर-महू का सफर, देश में पहली बार एक साथ इतना बढ़ा रेल किराया

प्लेटफॉर्म टिकटों से लेकर यात्रा किरायों तक इतिहास में पहली बार बढ़े इतने दाम, रेल टिकट महँगा होने के कारणों के बारे में रेलवे के अपने ही बयानों में दिख रहा है विरोधाभास

Updated: Mar 04, 2021, 12:51 PM IST

Photo Courtesy : Anadolu Agency
Photo Courtesy : Anadolu Agency

इंदौर। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी माने जाने वाले इंदौर में कोरोना संक्रमण के 11 महीने बाद लोकल ट्रेनों को दुबारा से शुरू किया गया है। लेकिन इस शुरुआत के साथ ही रेलवे ने आमलोगों की जेब पर इतिहास का सबसे बड़ा प्रहार भी कर दिया है। रेलवे ने कम दूरी का सफर करने वालों के लिए लोकल ट्रेन का किराया साढ़े तीन गुने से भी ज्यादा बढ़ा दिया है। आलम यह है कि अब रेल से सफर करना बस के मुकाबले भी दुगना महंगा हो गया है।

मध्य प्रदेश के इंदौर और महू के बीच की दूरी महज 25 किलोमीटर है। यह दूरी रेल से तय करने के लिए पहले 10 रुपए का टिकट लेना होता था। लेकिन अब उसी सफर के लिए लोगों को 36 रुपये खर्च करने होंगे, जबकि इंदौर से महू का बस का किराया 20 रुपए ही है। इंदौर और महू के बीच सफर करने वालों में सबसे ज्यादा संख्या छात्र-छात्राओं की है। शहर में मजदूरी के साथ नौकरी और छोटे व्यवसाय करने वाले लोग भी अपडाउन करते हैं। बढ़े हुए किराए की वजह से रेल यात्रा शुरू होने का लंबे समय से इंतज़ार कर रहे इन लोगों को भारी निराशा हाथ लगी है। किराए में की गई इस रिकॉर्ड बढ़ोतरी से परेशान यात्री इस बारे में रेलवे के अफसरों से शिकायत कर रहे हैं और उनसे इसे वापस लेने की मांग भी कर रहे हैं। लेकिन सच तो यह है कि रेल का किराया कम-ज़्यादा करना रेल अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात है। 

यात्रियों पर बोझ बढ़ाने के पीछे रेलवे की अजीब दलील

यात्रियों पर किराए के रूप में आर्थिक बोझ बढ़ाने के पीछे रेलवे अजीबोगरीब दलीलें दे रहा है। रेलवे के जीएम आलोक कंसल के मुताबिक, कोविड-19 संकट के कारण पश्चिम रेलवे को करीब 5 हजार करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान झेलना पड़ा है। अभी भी पश्चिम रेलवे की जो यात्री ट्रेनें चल रही हैं, उनमें से कुछ ट्रेनों में तो कुल सीट क्षमता के केवल 10 प्रतिशत लोग ही सफर कर रहे हैं। इसलिए रेलवे को भारी घाटा हो रहा है। इसकी भरपाई करना मुश्किल है। ऐसे में किराये को कम रखना संभव नहीं है।

यह भी पढ़ें: भोपाल समेत कई शहरों में आज से 50 रुपये का प्लेटफॉर्म टिकट, पांच गुना बढ़ाए गए दाम

लेकिन पश्चिम रेलवे के अधिकारी का यह बयान खुद रेलवे के कुछ और बयानों के बिल्कुल विपरीत है। इंडियन रेलवे ने हाल ही में बाकायदा बयान जारी करके कहा था कि किराया इसलिए बढ़ाया गया है ताकि लोग ट्रेनों से कम सफर करें। रेलवे का कहना था कि हमारा मकसद यह है कि कम दूरी की ट्रेनों का किराया बढ़ाया जाए ताकि लोग बेमतलब यात्रा न करें और जरूरी पड़ने पर ही कहीं जाएं। लोग कम यात्रा करेंगे तो सोशल डिस्टेंसिंग के दिशा निर्देशों को भी पालन किया जा सकेगा।

यह बड़ी हैरतअंगेज़ नीति है कि एक तरफ यात्रियों की कम संख्या के कारण रेलवे को घाटा होने के बात सामने आ रही है और दूसरी तरफ रेल विभाग खुद कम दूरी के मुसाफिरों को दूर रखने के लिए किराया बढ़ाने की दलीलें दे रहा है। रेलवे के इन बयानों की बाजीगरी जबतक यात्रियों के पल्ले पड़ती की एक और अधिकारी ने तीसरी दलील दे डाली।

यह भी पढ़ें: यात्रियों को दूर रखने के लिए बढ़ाया ट्रेनों का किराया, जनता पर बोझ बढ़ाने के लिए रेलवे की अजब दलील

पश्चिम रेलवे के सीनियर पीआरओ जितेन्द्र कुमार जयंत का कहना है कि इंदौर और महू के बीच किराया तो अब भी 10 रुपए ही है, उसमें केवल कुछ खर्च जुड़ गए हैं, जिससे लोगों को ज्यादा पैसे देने पड़ रहे हैं। मीडिया में आए जयंत के बयान के मुताबिक, 'कोविड के कारण सभी ट्रेनों को स्पेशल ट्रेन के रूप में चलाया जा रहा है, जिनमें  सिर्फ रिजर्वेशन वाले यात्री ही सफर कर सकते हैं। इसीलिए लोकल ट्रेनों में भी रिजर्वेशन किया जा रहा है। इंदौर-महू का ट्रेन का किराया अब भी 10 रुपये ही है। इसमें 15 रुपये रिजर्वेशन चार्ज और आईआरसीटीसी (IRCTC) का चार्ज 11 रुपये जुड़ जा रहा है। इसी वजह से दस रुपये का टिकट लोगों को 36 रुपये का पड़ रहा है।'  बहरहाल, रेलवे अधिकारी की ये गणना सही हो सकती है, लेकिन एक आम यात्री को क्या अंतर पड़ता है? बढ़ी हुई रकम चाहे जिस भी मद में जोड़ी जा रही हो, लोगों को तो दस रुपये के बदले 36 रुपये देने की वजह से भारी नुकसान उठाना पड़ ही रहा है।