जोबट विधानसभा उपचुनाव: कांग्रेस तीन परिवारों में फंसी, भाजपा घात लगाकर तैयार

कांग्रेस ने अपनी तमाम संभावनाएं तीन परिवारों, भूरिया, रावत व पटेल परिवार के आसपास केंद्रित कर रखी हैं.. जबकि बीजेपी को लगता है कि कांग्रेस की इसी कमज़ोरी में उसकी ताक़त का राज़ छिपा है

Updated: Sep 04, 2021, 05:50 PM IST

झाबुआ। अलीराजपुर जिले के जोबट विधानसभा उपचुनाव की आहट अब साफ सुनाई पड़ने लगी है। राजनीतिक सरगर्मियां लगातार तेवर बनाए हुए हैं। चुनावी इतिहास के मुताबिक जोबट सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है। लेकिन यहां कांग्रेस फिलहाल तीन बड़े परिवारों के बीच फंसी हुई नजर आ रही है। आपसी गुटबाजी कांग्रेस के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। जबकि बीजेपी घात लगाकर तैयार है। मौका मिलते ही भाजपा कांग्रेस के इस गढ़ में सेंध लगाती नज़र आ सकती है।
 

कांग्रेस की परंपरागत सीट है जोबट                                                                                                                                       इस वर्ष कोरोना की दूसरी लहर में कांग्रेस विधायक कलावती भूरिया का निधन होने से यह सीट खाली हुई है। अब कांग्रेस अपनी सीट बचाने व भाजपा किसी भी तरह से इसे हथियाने की रणनीति में लगी है। बीजेपी की सफलता का रास्ता कांग्रेस के गुटीय असंतुलन पर केंद्रित है। वहीं कांग्रेस के सामने एकता बनाये रखने के अलावा सत्ता व धन बल से निपटने की बड़ी चुनौती है।

रिश्तेदारों की जोड़ियां घातक
कांग्रेस ने अपनी तमाम संभावनाएं तीन परिवारों- भूरिया, रावत व पटेल परिवार के आसपास केंद्रित कर रखी हैं। पिता-पुत्र, माता-पुत्र और भाईयों की जोड़ियां इस कदर हावी हैं कि आम कार्यकर्ताओं के पास करने के लिए कुछ नहीं बचा है। तीनों परिवारों से ही दावेदारी हो रही है। यदि किसी एक परिवार के पक्ष में फैसला होता है तो बाकी के दोनों परिवार उसकी जड़ें खोखली करने में देर नही करेंगे। इसीलिए भी बीजेपी कांग्रेस के अंदरुनी संग्राम पर नजरें गड़ाए हुए है।

पहला दावा

41 वर्षो तक रावत परिवार का जोबट पर कब्जा रहा लेकिन विशाल रावत को 2018 में कलावती भूरिया के सामने निर्दलीय खड़े होकर अपनी ताकत बतानी पड़ी। अब कांग्रेस में वापस शामिल होकर वे फिर टिकट मांग रहे हैं।

दूसरा दावेदार

अलीराजपुर के जिला कांग्रेस अध्यक्ष महेश पटेल विधायक बनने का सपना 18 वर्षो से देख रहे हैं। उनके भाई यहां के विधायक हैं और अब वे जोबट पर कब्जा करके पूरे जिले में अपना वर्चस्व जमाना चाह रहे हैं। कलावती  भूरिया की मौत के बाद से दावेदारी करने लगे थे।

तीसरा दावेदार

कलावती के चचेरे भाई व प्रदेश युवक कांग्रेस अध्यक्ष विक्रांत भूरिया को भी सहानुभूति लहर का फायदा मिल सकता है। 2018 में वे झाबुआ सीट से हार चुके हैं। और यहां भी परिवारवाद का आरोप लगातार उनका पीछा कर रहा है।

बीजेपी से हो सकते हैं सेंधमार

दो बार जोबट सीट को जीतकर कांग्रेस को पीछे ढकेलने का रिकॉर्ड पूर्व विधायक माधोसिंह डाबर के ही नाम है। इस बार भी वे दावेदार हैं लेकिन भाजपा संगठन व सर्वे की आड़ लेकर अभी तक डाबर को लेकर अपने पत्ते नही खोल रही है।

लगातार दौरे हो रहे
उपचुनाव के चलते लगातार दौरे हो रहे हैं। भाजपा फिलहाल इसमें आगे है। संगठन के अलावा सत्ता के कई प्रतिनिधि बारी-बारी से जोबट आकर जा चुके हैं। झाबुआ के नेताओं को सक्रिय करते हुए जोबट भेजा जा रहा है। आंतरिक तैयारियां जोरों पर है। जबकि कांग्रेस में कलावती को श्रद्धांजलि देने के अलावा कोई बड़ा राजनीतिक दौरा नही हुआ है।