भोपाल में महापौर का पद OBC के लिए आरक्षित होने के आसार, कल होना है फैसला

मध्य प्रदेश निकाय चुनाव: पिछले तीन बार से भोपाल के महापौर की सीट अनारक्षित रह रही है, लिहाज़ा इस बार यह सीट आरक्षित रहने की संभावना है

Updated: Dec 08, 2020, 08:10 PM IST

Photo Courtesy : Zee News
Photo Courtesy : Zee News

भोपाल। राजधानी भोपाल में इस दफा ओबीसी वर्ग का महापौर होने की पूरी संभावना है। चूंकि पिछले तीन मर्तबा से भोपाल महापौर की सीट अनारक्षित रही है, ऐसे में चार बार के चक्र के क्रम में इस बार यह सीट आरक्षित रहेगी। लिहाज़ा इस दफा भोपाल महापौर ओबीसी  वर्ग के खाते में जाना लगभग तय है। अगर कोई तकनीकी पेंच नहीं फंसता है तो यह सीट ओबीसी महिला के लिए आरक्षित होगी। मध्य प्रदेश निकाय चुनाव से पहले महापौर और अध्यक्ष पद को लेकर सारी स्थिति कल यानी बुधवार को स्पष्ट हो जाएगी।

वहीं राजधानी भोपाल के बाद राज्य की औद्योगिक राजधानी इंदौर से इस बार महापौर सामान्य वर्ग से होने की संभावना है। क्योंकि पिछली दफा यह सीट ओबीसी महिला के लिए आरक्षित थी। नगर निगम में महापौर के लिए अनुसूचित जाती, अनुसूचित जन जाति का आरक्षण आबादी के अनुसार होता है, जबकि ओबीसी आरक्षण 25 प्रतिशत होता है। ओबीसी आरक्षण में नियम यह है कि पिछली मर्तबा ओबीसी के लिए आरक्षित रहे निकायों को हटा कर यह आरक्षण होता है। इस आधार पर इंदाैर के महापाैर का पद सामान्य के लिए खुला रहेगा, क्याेंकि पिछली बार यहां महिला ओबीसी का आरक्षण था। 

यहाँ रेखांकित करने योग्य बात यह है कि इस दफा भी पिछले बार की तरह वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर ही आरक्षण हो रहा है। ऐसे में जनसंख्या का अनुपात पिछले आरक्षण यानी 2014 जैसा ही होगा। लिहाज़ा एसटी एससी के लिए आरक्षण में बदलाव नहीं होगा।

बता दें कि आरक्षण में सबसे स्पष्ट स्थिति सिंगराैली, मुरैना ओर उज्जैन की है। सिंगराैली इस बार अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हाेगी, पिछली बार यह अनुसूचित जनजाति महिला के लिए सुरक्षित थी।एससी के लिए रिजर्व उज्जैन व मुरैना की स्थिति इस बार आपस में बदल जाएगी। पिछली बार उज्जैन एससी महिला के लिए आरक्षित थी, इस बार एससी का आरक्षण हाेगा। वहीं, मुरैना एससी महिला के हिस्से जाएगी। बाकी बचे 13 नगर निगम में इंदाैर, छिंदवाड़ा, बुरहानपुर व सागर ओबीसी से हटकर सामान्य में शिफ्ट हाेंगे। इनके स्थान पर बचे नाै नगर निगम में से चार निकाय ओबीसी में जाएंगे।

महिला आरक्षण की बात करें तो मध्यप्रदेश में नगरीय निकायों में 50 प्रतिशत महिला आरक्षण बाय रोटेशन होता है। यानी पिछली बार महिला वर्ग के लिए आरक्षित निकाय इस बार अनारक्षित होंगे। इसका अभिप्राय यह है कि पिछली बार अनारक्षित रहे नगर निगम इस बार महिला वर्ग के लिए आरक्षित होंगे। लाॅट निकालने में कई बार तकनीकी पेंच आ जाते हैं, जिसमें कभी स्थिति बदल भी जाती है। 

भोपाल में क्या रही है आरक्षण की स्थिति ? 

1994 – अनारक्षित
1999 – ओबीसी महिला
2004 – अनारक्षित
2009- अनारक्षित महिला
2014-  अनारक्षित  

 

पिछली बार क्या थी आरक्षण की स्थिति ? 

सामान्य- भोपाल, ग्वालियर, खंडवा, देवास, कटनी
सामान्य महिला- जबलपुर, रतलाम, रीवा, सतना
ओबीसी महिला - इंदौर और छिंदवाड़ा
ओबीसी- बुरहानपुर, सागर
एससी- मुरैना
एससी महिला - उज्जैन
एसटी महिला - सिंगरौली