मध्य प्रदेश के गौ कैबिनेट की पहली बैठक अभयारण्य में नहीं
गौ कैबिनेट की बैठक ऑन-लाइन करने के बाद सीएम शिवराज जाएंगे आगर, बढ़ते कोरोना संक्रमण के मद्देनज़र पहले से तय कार्यक्रम में बदलाव

भोपाल। मध्य प्रदेश में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए आज शिवराज सरकार की गौ-कैबिनेट की बैठक अब गौ-अभयारण्य में नहीं होगी। सरकार ने अब यह बैठक ऑनलाइन करवाने का फैसला किया है। अब तक यह बैठक आगर-मालवा स्थित गौ-अभयारण्य में होने वाला था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक करेंगे। बैठक के बाद वे गौ-अभयारण्य आगर-मालवा जाएंगे और वहीं भोजन करेंगे।
शिवराज अभयारण्य में गायों का पूजन कर एक सभा को भी संबोधित करेंगे। शिवराज अभयारण्य के निरीक्षण के बाद अधिकारियों के साथ एक बैठक करेंगे जहां गायों की देखरेख, इलाज और अन्य प्रबंधन को लेकर कई निर्णय लिए जाएंगे। गोवंश संरक्षण और संवर्धन पर ध्यान दे रही शिवराज सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के प्रयास कर रही है। सरकार का लक्ष्य इसके माध्यम से किसानों की आय दो गुनी करना है। इसलिए कृषि कैबिनेट की तर्ज पर गौ-कैबिनेट का गठन किया गया है।
गौ–कैबिनेट के गठन के साथ मुख्यमंत्री चाहते हैं कि गोवंश से संबंधित फैसलों में देरी न हो। इस कैबिनेट की पहली बैठक गोपाष्टमी के मौके पर 22 नवंबर को देश के पहले गो-अभयारण्य सालरिया में प्रस्तावित थी। लेकिन भोपाल में हाल के कुछ दिनों में कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से कार्यक्रम बदल दिया गया। अब बैठक ऑनलाइन होगी।
बैठक के बाद सीएम चौहान देश के 14 जाने-माने गौ-विशेषज्ञों से बात करेंगे और फिर एक ऑनलाइन गौ–संगोष्ठी में भी सम्मिलित होंगे। चौहान ने कहा है कि वे विशेषज्ञों के साथ गो-संवर्धन की कार्ययोजना तैयार कर शीघ्र अमल में लाएंगे। चौहान ने बताया कि गो-पालन में देशी नस्ल की गायों को बढ़ावा देंगे।
बता दें कि जिस अभ्यारण्य से गौ–कैबिनेट की शुरुआत प्रस्तावित थी वहां 35–40 गायें हाल में मृत पाई गईं थीं। हालांकि तहसीलदार ने बताया कि करीब 16 गायों की मौत की बात कर्मचारियों ने बताई है। मृत गायों का परीक्षण करते डाॅक्टरों की तसवीरें मीडिया के कैमरों में कैद हुईं। उधर अफ़सरों ने दावा किया कि केवल दो गायें मरी हैं, इन गायों की मौत बीमारी से हुई है।
ग्रामीणों का कहना है कि हर दिन 20 के लगभग गायें पिछले कई दिनों से मर रही हैं। भूख और समुचित देखभाल ना होने की वजह से गायों की मौत होने का आरोप भी ग्रामीणों ने लगाया। यही नहीं, शुभारंभ के दो महीने बाद ही 2017 में भी अभ्यारण्य में तीन सौ गायों की मौत हो गई थी।