पंचायत चुनाव पर रोक लगाने से जबलपुर हाईकोर्ट का इनकार, सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे विवेक तन्खा

मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव को लेकर छिड़ा बीजेपी और कांग्रेस में घमासान, चुनाव पर स्टे लगाने की मांग को जबलपुर हाईकोर्ट ने ठुकराया, अब सर्वोच्च न्यायालय में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देंगे विवेक तन्खा

Updated: Dec 09, 2021, 09:08 AM IST

Photo Courtesy: Bar and Bench
Photo Courtesy: Bar and Bench

जबलपुर। मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। पंचायत चुनाव की घोषणा होने के साथ ही सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी दल कांग्रेस में घमासान छिड़ गया है। इसी बीच खबर आई है कि जबलपुर हाईकोर्ट ने चुनाव पर स्टे लगाने की मांग को ठुकरा दिया है। उधर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के दिग्गज वकील विवेक तन्खा अब इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने की तैयारी में है।

जानकारी के मुताबिक जबलपुर हाईकोर्ट में करीब 40 मिनट चली सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने चुनाव पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। मामले की सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डबल बेंच ने कहा है कि पंचायत चुनाव पर सरकार का ही निर्णय मान्य होगा। बता दें कि भिंड से जिला पंचायत अध्यक्ष रामनारायण हिंडोलिया ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की मुख्य पीठ जबलपुर में याचिका दायर कर न्यायालय में गुहार लगाई है कि पंचायत चुनावों पर रोक लगाई जाए।

याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में दिग्गज वकील विवेक तन्खा उतरे थे। तन्खा का तर्क था कि प्रदेश सरकार ने चुनाव के नियमों का उल्लंघन किया है और यह लोकतंत्र के खिलाफ है। मामले पर उच्च न्यायालय से झटका लगने के बाद विवेक तन्खा ने बाहर पत्रकारों से कहा कि हम हाईकोर्ट के इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। कोर्ट के इस फैसले ने सरकार को बड़ी राहत दी है।

गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मामले कहा है कि कांग्रेस अब पलायन कर रही है। मिश्रा ने कहा कि, 'लोकतंत्र में सबसे छोटी इकाई पंचायत है। सरकार में रहते हुए भी कांग्रेस ने पंचायत चुनाव को टालने की कोशिश की और आज भी यही कर रही है। दरअसल हार की डर से कांग्रेस पंचायत ‌चुनाव से पलायन कर रही है।'

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दरअसल, कांग्रेस का कहना है कि चुनाव के नोटिफिकेशन में साल 2014 के चुनाव वाली आरक्षण व्यवस्था लागू की गई है जो पंचायत राज अधिनियम के विरुद्ध है। क्योंकि नियमों में स्पष्ट प्रावधान है कि पांच साल में रोटेशन के आधार पर आरक्षण होगा। सरकार जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए 14 दिसंबर को आरक्षण करने जा रही है। यह दोहरी व्यवस्था स्पष्ट रूप से नियमों के विपरीत है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राज्य निर्वाचन आयोग पर दबाव डालकर चुनाव कार्यक्रम घोषित कराया गया है।