पंचायत चुनाव नहीं कराना चाहती है शिवराज सरकार, चुनाव आयोग पर दबाव: पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री

पंचायत चुनाव के नोटिफिकेशन में आरक्षण नियमों के उल्लंघन पर पूर्व मंत्री ने उठाए सवाल, कांग्रेस बोली- चुनाव से भाग रही है शिवराज सरकार, हाईकोर्ट लगा सकता है स्टे

Updated: Dec 06, 2021, 09:37 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव का नोटिफिकेशन जारी होते ही शिवराज सरकार आलोचनाओं से घिर गई है। पूर्व ग्रामीण एवं विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा है कि शिवराज सरकार चुनाव कराना ही नहीं चाहती है। उन्होंने कहा है कि यही वजह है कि संवैधानिक प्रावधानों और नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। उन्होंने निर्वाचन आयोग पर सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगाया है। 

कमलेश्वर पटेल ने सोमवार को भोपाल स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि सत्ता परिवर्तन के बाद से ही भाजपा सरकार चुनाव कराने के पक्ष में नहीं रही है। इसी कारण किसी न किसी बहाने चुनाव को टाला जाता रहा। इस बार भी पंचायत चुनाव को विवादित बनाने का प्रयास किया गया है। साल 2019 में हुए परिसीमन को निरस्त कर दिया गया है। इससे एक हजार से ज्यादा जो नई पंचायतें बनी थीं, वह समाप्त हो गईं।'

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पटेल के मुताबिक चुनाव के नोटिफिकेशन में साल 2014 के चुनाव वाली आरक्षण व्यवस्था लागू की गई है जो पंचायत राज अधिनियम के विरुद्ध है। क्योंकि नियमों में स्पष्ट प्रावधान है कि पांच साल में रोटेशन के आधार पर आरक्षण होगा। सरकार जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए 14 दिसंबर को आरक्षण करने जा रही है। यह दोहरी व्यवस्था स्पष्ट रूप से नियमों के विपरीत है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य निर्वाचन आयोग पर दबाव डालकर चुनाव कार्यक्रम घोषित कराया गया है। कांग्रेस नेता ने यह भी कहा है कि हम हाईकोर्ट नहीं जाएंगे लेकिन जो प्रभावित लोग न्यायालय जाएंगे उनका भरपूर सहयोग किया जाएगा।

बता दें कि शनिवार को अचार संहिता लगने के बाद पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कहा था कि जो सीट महिलाओं के लिए पूर्व में आरक्षित थी वही फिर से है जबकि रोटेशन पद्धति अनुसार एक तिहाई सीटों पर महिलाओं के लिए आरक्षण में बदलाव किया जाना चाहिए। सिंह ने पूरी चुनाव प्रक्रिया को कानूनी रूप से गलत बताया है।

चुनाव से भाग रही सरकार: कमलनाथ

प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा है कि शिवराज सरकार इन चुनावों से डरी हुई है इसलिए चुनाव से भाग रही है। कमलनाथ ने कहा कहा कि, 'सरकार चाहती है कि भविष्य में चुनावो पर रोक लग जाए और वो कह सके कि हम तो चुनाव कराना चाहते थे। पता नही क्यों वर्ष 2014 के आरक्षण के आधार पर वर्ष 2021-22 में चुनाव करवाये जा रहे है? रोटेशन पद्धति से आरक्षण प्रक्रिया के नियम का पालन क्यों नही किया जा रहा है? लोकतांत्रिक अधिकारो का दमन क्यों किया जा रहा है?'