खरगोन में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुई झूठी FIR, अस्पताल में भर्ती व्यक्ति को आरोपी बनाने का दावा

खरगोन दंगे में पहली मौत की पुष्टि हुी है, 10 अप्रैल से लापता इब्रिस खान की मौत हो गई है, इंदौर के एमवाय अस्पताल में पुलिस ने परिजनों को शव भी सौंप दिया

Updated: Apr 18, 2022, 05:38 AM IST

खरगोन। रामनवमी पर खरगोन में हुए हिंसा मामले में पुलिस कार्रवाई लगातार सवालों के घेरे में है। इसी बीच सेंधवा की तर्ज पर यहां भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ झूठी एफआईआर का खुलासा हुआ है। यहां पुलिस ने दो ऐसे लोगों को आरोपी बनाया है जिनमें से एक व्यक्ति अस्पताल में भर्ती था जबकि दूसरा उस दिन कर्नाटक में था। खरगोन दंगे में पहली मौत की भी पुष्टि हो चुकी है।

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रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस ने 11 और 12 अप्रैल को दर्ज दंगों के दो मामलों में फरीद को आरोपी बनाया है। हालांकि, फरीद दंगे वाले दिन जिला अस्पताल में भर्ती थे। इसी तरह 12 अप्रैल को दर्ज प्राथमिकी में आजम सह-आरोपी है जो उस दिन कर्नाटक में था। खरगोन के संजय नगर इलाके में 10 अप्रैल को कथित तौर पर दंगा करने और दूसरों की संपत्ति में आग लगाने के मामले में दोनों के खिलाफ आईपीसी की कई धाराओं में केस दर्ज किया गया है। फरीद के भाई रफीक और पिता सुभान के खिलाफ भी मुकदमे दर्ज किए गए हैं।

आजम इस मामले में सह-आरोपी हैं। उनकी पत्नी फरीदा का कहना है कि वह दंगे वाले दिन खरगोन में नहीं थे। फरीदा के मुताबिक 8 अप्रैल को आजम कर्नाटक के लिए बेकरी उत्पादों के साथ खरगोन से निकले थे। 9 अप्रैल को उन्हें पाइल्स की शिकायत हुई। उन्होंने कर्नाटक में एक डॉक्टर को दिखाया, उसके बाद 13 अप्रैल को धुले के लिये निकले। वहां से 14 को इंदौर गये। उनके खिलाफ झूठी रिपोर्ट लिखाई गई है। हम सब परेशान हैं, चाहते हैं कि झूठी रिपोर्ट से उनका नाम काटा जाए। एफआईआर को लेकर पूछे जाने पर पुलिस अधिकारियों का कहना है की जो रिपोर्ट हुई है वो पीड़ितों की शिकायतों पर दर्ज की गई हैं। 

खरगोन दंगा मामले में पहली मौत की भी पुष्टि हो चुकी है। मृतक का नाम इब्रीस खान बताया जा रहा है। इब्रीस बीते 10 अप्रैल से ही लापता थे। परिजनों के मुताबिक वह इफ्तारी करने मस्जिद गए थे, वहां से निकलने के बाद कुछ लोगों ने धारदार हथियार से उन्हें मार दिया। पुलिस हफ्ते भर तक बोलती रही की हम उसे ढूंढ रहे हैं। अब हमें इंदौर बुलाया गया, जहां एमवाई अस्पताल में इब्रिस का शव है।