Shivraj cabinet: हर तारीख पर बदलता विस्तार का फैसला

मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार की कोई जल्दबाज़ी नहीं है

Publish: Jun 02, 2020, 01:30 AM IST

courtesy: India Today
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Madhya Pradesh में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट का विस्‍तार कब होगा यह यक्ष प्रश्‍न हो गया। पहले मंत्री बनाने में शिवराज ने 29 दिनों का समय लिया अब विस्‍तार पर हर दिन नए कयास लगाए जा रहे हैं। पहले मध्‍यप्रदेश संगठन में मंत्रियों के नामों पर सहमति नहीं बनी। अनिर्णय पर गेंद केंद्र के पाले में डाली दी गई। रविवार शाम तक सूचना आई कि 1 जून को मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्‍ली जाएंगे और 2 जून की शाम को मिंटो हाल में शपथ ग्रहण होगा। अब सुबह मुख्‍यमंत्री चौहान ने मीडिया से कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार की कोई जल्दबाज़ी नहीं है। आज मैं  दिल्ली नहीं जा रहा हूं अब इंतज़ार कीजिए कल कल या परसों तक जा सकता हूं।

मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस बयान के बाद ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया खेमे में फिर बेचैनी बढ़ गई हैं। मार्च में कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में गए तत्‍कालीन विधायक और पूर्व मंत्री भाजपा सरकार में मंत्री बनने का इंतजार कर रहे हैं मगर उनका नंबर ही नहीं आ रहा है। इस इंतजार पर कांग्रेस ने तंज भी कसा है। कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने कहा है कि कांग्रेस में रहकर सिंधिया जी को मुख्यमंत्री बनाने वाले "(बे)चारे" खुद मंत्री नहीं बन पा रहे हैं,'तारीख पर तारीख' !  समर्थकों के "छोटे पापा" (सिंधिया जी) दिल्ली पर दबाव बना रहे हैं, "बड़े पापा" (शिवराज जी) को दिल्ली ही नहीं बुला रही है...। अब हालात यह हो गए हैं कि "ये सभी (बे)चारे भंडारे में प्रसादी खाने तो पहुंच गए पर अंदर गए तो भोजन (प्रसादी) खत्म, बाहर आये तो जूते भी गायब"... आगे-आगे देखिए होता है क्या? इसी के लिए भारतीय संस्कृति में कोई भी परिवार अपने बच्चों-बच्चियों का नाम "विभीषण/जयचंद" और  "सूर्पणखा" नहीं रखता है...!

कांग्रेस को तंज करने का मौका मिला है क्‍योंकि सिंधिया खेमा लगतार मंत्री पद पाने की जुगत कर रहा है मगर भाजपा से ऐसे संकेत नहीं मिल रहे हैं। सिंधिया समर्थक कितने नेताओं को मंत्री बनाया जाए तथा भाजपा के किन वरिष्‍ठ नेताओं का कद कम किया जाए इसी पर असमंजस है। मुख्यमंत्री चौहान के साथ-साथ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा एवं संगठन महामंत्री सुहास भगत कई दौर की चर्चा कर चुके हैं। इन दोनों मुद्दों पर पार्टी आलाकमान को निर्णय करना है मगर दिल्ली से समय नहीं मिल रहा है। रविवार को भी दिल्ली से बुलावे का इंतजार किया गया मगर वहां से कोई संदेश नहीं आया।