MP में खाद की भयंकर किल्लत, खाद न मिलने से परेशान किसान ने की आत्महत्या

मध्य प्रदेश में खाद का शॉर्टेज, एक एक बोरी खाद के लिए तरस रहे किसान, 15 दिन से खाद के लिए भागदौड़ कर रहे थे धनपाल यादव, सोयाबीन की पिछली फसल हो चुकी थी बर्बाद, रबी ही था आखिरी सहारा, बुआई के लिए नहीं मिली खाद, परेशान होकर खाया जहर

Updated: Oct 29, 2021, 09:11 AM IST

Photo Courtesy: New Indian Express
Photo Courtesy: New Indian Express

अशोकनगर। मध्य प्रदेश में उर्वरक संकट गहराता जा रहा है। एक-एक बोरी खाद के लिए किसान गोदामों के बाहर रात काटने को मजबूर हैं, बावजूद उन्हें खाद नहीं मिल पा रहा है। अशोकनगर में खाद न मिलने से परेशान एक किसान ने आत्महत्या कर ली। बताया जा रहा है कि मृतक किसान पिछले पंद्रह दिनों से खाद के लिए भागदौड़ कर रहे थे।

मामला अशोकनगर जिले के ईशागढ थाना एरिया अंतर्गत बड़ी पिपरोल गांव का है। यहां 44 वर्षीय किसान धनपाल यादव ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। मृतक किसान के भतीजे जयपाल यादव ने बताया कि उसके चाचा ने गेहूं में डालने वाली कीटनाशक दवा सल्फास खाकर प्राण त्याग दिया। 

यह भी पढ़ें: MP के खुरई में किसान ने की आत्महत्या, खेत में पेड़ से लटका मिला शव, सिंचाई न होने से थे चिंतित

परिजनों के मुताबिक धनपाल यादव करीब 10 बीघे में खेती करते थे। पिछली सोयाबीन की फसल बर्बाद होने के कारण उन्हें काफी नुकसान झेलना पड़ा था। इस बार रबी सीजन में बुआई को लेकर वे बहुत परेशान हो गए थे। चूंकि, बुआई का समय गुजर रहा है और यहां खाद नहीं मिल रहा। मृतक धनपाल यादव पिछले करीब 15 दिनों से खाद के लिए सोसायटी का चक्कर काट रहे थे। बावजूद खाद कहीं नहीं मिल पाया।

बुधवार करीब रात 8 बजे सिस्टम से तंग आकर उन्होंने सल्फास की गोलियां खा ली। इसके बाद उनकी तबियत बिगड़ने लगी। घरवालों को जब पता चला तो वे आनन-फानन में उन्हें ईसागढ़ स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया। हालांकि, रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। 

मामला सामने आने के बाद विपक्ष ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने दावा किया है कि सीएम शिवराज ने सारा खाद उपचुनाव वाले क्षेत्रों में भेज दिया है। उन्होंने यह भी कहा है कि चुनाव बाद वहां भी खाद मिलने बंद हो जाएंगे और इसके बाद खाद की कालाबाजारी होगी। बता दें कि प्रदेश में बुआई के लिए अब महज दो हफ्ते बचे हैं। इन्हीं 15 दिनों में रबी सीजन की फसलें गेहूँ, चना, मसूर और सरसों की बुआई होनी है।