सिंधिया और तोमर के बीच बढ़ने लगी दूरियां, एक दूसरे का नाम तक लेने से परहेज कर रहे दोनों नेता

बीजेपी के कद्दावर नेता नरेंद्र सिंह तोमर और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच मतभेद की खबर, डबरा में इमरती की हार के बाद से ही बढ़ने लगी थी दूरियां

Updated: May 17, 2021, 03:35 PM IST

Photo Courtesy: Zeenews
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ग्वालियर। कांग्रेस से पाला बदलकर बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के अब बीजेपी के दिग्गज नेताओं से भी मतभेद उभरकर सामने आने लगे हैं। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में दबदबा कायम रखने को लेकर सिंधिया और तोमर में होड़ मची हुई है। कल ग्वालियर में सीएम के कार्यक्रम के बाद ऐसे संकेत है कि दोनों नेताओं के बीच पनपी दूरियां अब खाई में तब्दील हो गई है।

मध्यप्रदेश के राजनीतिक गलियारों में भी दोनों नेताओं के बीच मतभेद के किस्से आम हैं। हालिया मामला कल का है जब सीएम शिवराज ने ग्वालियर में क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की बैठक ली थी। बैठक के दौरान ही दोनों नेताओं का आमना सामना हुआ। इस दौरान दोनों नेता एक दूसरे के आमने-सामने बैठे भी थे। बताया जा रहा है कि बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने अफसरों को अलग-अलग निर्देश भी दिया।

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सोशल मीडिया पर सिंधिया ने बताया कि, 'ग्वालियर-चंबल संभाग में ऑक्सीजन, दवा, बेड की कमी ना हो इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश दिए गए।' वहीं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि, 'बैठक में कोरोना महामारी से उत्पन्न संकट से निपटने के लिए किये जा रहे कार्यों की समीक्षा की और संबंधित अधिकारियों को उचित दिशानिर्देश दिए।' 

इतना ही नहीं दोनों नेताओं ने इस ट्वीट के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को तो मेंशन किया लेकिन एक दूसरे का नाम लिखना जरूरी नहीं समझे। पहले सिंधिया ने तोमर का जिक्र किए बगैर ट्वीट किया इसके बाद तोमर ने भी अपने ट्वीट से सिंधिया को गायब करना ही उचिय समझा। हालांकि, इस दौरान बीजेपी डैमेज कंट्रोल करती दिखी। बीजेपी के आधिकारिक ट्वीटर हैंडल समेत अन्य सभी नेताओं ने इन दोनों को मेंशन किया। 

उपचुनाव से बढ़ने लगी थी दूरियां

सिंधिया और तोमर के रिश्तों के बीच खटास की खबरें तो पिछले साल हुए उपचुनाव के पहले से ही सामने आने लगी थी। लेकिन जानकारों का मानना है कि यह विवाद तब और बढ़ गया जब डबरा विधानसभा क्षेत्र से सिंधिया की चहेती इमरती देवी चुनाव हार गईं। इस हार का कारण यह माना जा रहा है कि भीतरखाने नरेंद्र सिंह तोमर गुट ने इमरती को हराने में अहम भूमिका निभाई थी। इस बात की जानकारी सिंधिया को भी है और इसी वजह से वे तोमर का नाम लेने तक से परहेज करते हैं।

शराबकांड के बाद खुल्लम-खुल्ला हुआ मतभेद

बीजेपी के दोनों नेताओं के बीच यब मतभेद तब सार्वजनिक हुआ जब इसी साल जनवरी महीने में तोमर के संसदीय क्षेत्र में जहरीली शराब पीने से 25 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद सिंधिया तत्काल पीड़ितों से मिलने पहुंच गए और वहां उन्हें आर्थिक सहायता भी दिया। बताया जाता है कि अपने संसदीय क्षेत्र में सिंधिया की दखल से तोमर भड़क गए। हालांकि, उन्होंने इसपर सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं। इसके बाद अगले दिन वह भी पीड़ितों से मुलाकात करने पहुंचे।