Kamal Nath: चुनाव आयोग ने कमलनाथ से छीना स्टार प्रचारक का दर्जा, फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी पार्टी
MP By Elections: कांग्रेस के लिए पार्टी के खर्चे पर प्रचार नहीं कर पाएंगे कमलनाथ, चुनाव प्रचार के आखिरी दिनों में कमलनाथ को बुलाने में कांग्रेस उम्मीदवारों की बढ़ सकती है मुसीबत

भोपाल। मध्य प्रदेश। उपचुनाव में प्रचार के आखिरी दिनों में निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस के लिए एक नई मुसीबत खड़ी कर दी है। निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस के सीएम पद के उम्मीदवार कमलनाथ से स्टार प्रचारक का दर्जा छीन लिया है। चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद प्रचार के आखिरी दिनों में कमलनाथ अब जिन कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए प्रचार करने जाएंगे उनकी मुसीबतें बढ़ सकती हैं। चुनाव आयोग के अनुसार ये फैसला पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की अमर्यादित भाषा को लेकर किया गया है। कांग्रेस नेता विवेक तनखा ने इसे अलोकतांत्रिक बताया है और कहा है कि कांग्रेस इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी।
Order of ECI removing kamal Nath ji from the list of star campaigner two day before campaign closure on Nov 1 is completely undemocratic. Given without notice to Mr kamal Nath & Congress party. We are approaching Supreme Court to intervene & save democracy. @INCMP @OfficeOfKNath
— Vivek Tankha (@VTankha) October 30, 2020
अपने प्रत्याशियों के प्रचार के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में कमलनाथ अब प्रचार नहीं कर पाएंगे। यानी उनकी हवाई यात्रा से लेकर अन्य खर्चे अब प्रत्याशी के खाते में जुड़ेंगे, पार्टी के खाते में नहीं। जबकि स्टार प्रचारक के प्रचार का सारा खर्च पार्टी के खाते में जुड़ता है, प्रत्याशी पर इसका भार नहीं आता है। लेकिन कमलनाथ की अमर्यादित भाषा का हवाला देकर आयोग ने यह कदम उठाया है।
और पढ़े: सरकारी खर्च पर चुनाव प्रचार कर रहे हैं मुख्यमंत्री शिवराज, कांग्रेस ने चुनाव आयोग से की शिकायत
चुनाव आयोग ने अपने आर्डर में कहा है कि अब से कमलनाथ ने अगर एक भी चुनाव प्रचार कार्यक्रम में हिस्सा लिया तो उसका पूरा खर्च वह उम्मीदवार वहन करेगा जिसके विधानसभा क्षेत्र में प्रचार कार्यक्रम आयोजित हो रहा होगा। चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद एमपी कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से ट्वीट कर कहा है कि मध्यप्रदेश उपचुनाव में बीजेपी ने हार मान ली है।
मध्यप्रदेश उपचुनाव में बीजेपी ने मानी हार..!
— MP Congress (@INCMP) October 30, 2020
निष्पक्ष नहीं होंगें मध्यप्रदेश में चुनाव
वहीं मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता केके मिश्रा ने आयोग के इस फैसले पर सवाल खड़ा करते हुए तंज किया, 'हम आभारी हैं भारत निर्वाचन आयोग के जिसने हमारे नेता कमलनाथ की नागरिकता नहीं छीनी, चुनाव प्रचार समाप्ति के मात्र 48 घंटों पहले यह "निष्पक्षता" किसे लाभ पहुंचाने के लिए है? अब तो तय है कि चुनाव निष्पक्ष नहीं होंगे।'
हम आभारी हैं भारत निर्वाचन आयोग के,जिसने हमारे नेता मान.कमलनाथ जी की नागरिकता नहीं छीनी,चुनाव प्रचार समाप्ति के मात्र 48 घंटों पहले यह "निष्पक्षता" किसे लाभ पहुंचाने के लिए है?अब तो तय है कि चुनाव निष्पक्ष नहीं होंगे! @ChouhanShivraj @OfficeOfKNath
— KK Mishra (@KKMishraINC) October 30, 2020
बीजेपी सत्ता का दुरुपयोग कर रही है
मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मुकेश शर्मा ने इस आदेश को लेकर निर्वाचन आयोग पर बीजेपी के दबाव में काम करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि निर्वाचन आयोग का यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने आरोप लगाया कि सीएम शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी उपचुनाव में पराजय से बौखलाकर प्रशासन का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ की लहर है और ऐसा पहली बार हुआ है जब 15 महीने के छोटे कार्यकाल और काम के दम पर कोई नेता वोट मांग रहा है और जनता साथ दे रही है।'
और पढ़ें: जो दागदार हैं, वो हमेशा रहेंगे, कमलनाथ का शिवराज पर पलटवार
चुनाव आयोग ने क्यों की यह कार्रवाई
निर्वाचन आयोग ने कमलनाथ से स्टार प्रचारक का दर्जा छीने जाने को लेकर यह कारण बताया है कि वह बार-बार आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे थे। आयोग ने कांग्रेस नेता के दो बयानों को अचार संहिता उल्लंघन के लिए उदाहरण के तौर पर मेंशन किया है जिसमें एक बयान में उन्होंने शिवराज को नौटंकी का कलाकार बताया था और मुंबई जाकर एक्टिंग करने की हिदायत दी थी। वहीं दूसरे बयान में उन्होंने कहा था कि 'आपके भगवान तो माफिया हैं, जिससे आपने मध्यप्रदेश की पहचान बनाई। आपके भगवान तो मिलावटखोर हैं।'
चुनाव आयोग के इस फैसले का क्या होगा असर
जानकारों की मानें तो निर्वाचन आयोग के इस फैसले ने कमलनाथ और कांग्रेस प्रत्याशियों की मुसीबत तो बढ़ा दी है लेकिन प्रचार अभियान इससे बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं होगा। इसका कारण यह है कि चुनाव प्रचार में अब मात्र दो दिन ही बाकी है। ऐसे में कमलनाथ सीमित खर्चे में चुनाव प्रचार चारपहिया वाहनों से कर सकते हैं।
बता दें कि चुनाव प्रचार में प्रत्याशियों के खर्च में 30 स्टार प्रचारकों के रैलियों का खर्च नहीं जोड़ा जाता है। वहीं इस बार चुनाव आयोग ने एक उम्मीदवार के लिए अधिकतम खर्च सीमा भी 28 लाख से बढ़ाकर 30.8 लाख रुपये तय किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक ज्यादातर प्रत्याशियों ने अबतक इसके आधा ही खर्च किए हैं। ऐसे में कमलनाथ की रैली का खर्च वह अपने खर्चे में जोड़ सकते हैं।