कांग्रेस की मोर्चेबंदी: गिरीश गौतम के खिलाफ भतीजे पद्मेश को मैदान में उतारा, सागर में भी दिलचस्प हुआ मुकाबला

सागर विधानसभा सीट पर बीजेपी ने सिंटिंग विधायक शैलेंद्र जैन को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन कांग्रेस ने यहां उनके छोटे भाई सुनील जैन की पत्नी निधि जैन को प्रत्याशी बनाया है।

Updated: Oct 20, 2023, 11:02 AM IST

भोपाल। कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में एक सीट छोड़कर बाकी 229 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। खास बात यह है कि इस बार कांग्रेस ने टिकट वितरण में सभी समीकरणों को साधा है, जिससे मुकाबला काफी रोचक हो गया है। कांग्रेस ने कहीं जेठ के खिलाफ बहू को तो कहीं चाचा के खिलाफ भतीजे को चुनावी मैदान में उतारा है। नर्मदापुरम में तो मौजूदा विधायक के सगे भाई को कांग्रेस ने टिकट दिया है।

दरअसल, रीवा जिले की देवतालाब विधानसभा सीट पर बीजेपी ने वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम को प्रत्याशी बनाया है, जबकि कांग्रेस ने यहां से उनके सगे भतीजे पद्मेश गौतम को उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में देवतालाब में चाचा बनाम भतीजा का मुकाबला हो गया है। 

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पद्मेश गौतम देवतालाब विधानसभा सीट पर न सिर्फ उभरता हुआ चेहरा है, जिला पंचायत चुनाव में उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के बेटे राहुल गौतम को चुनाव हराया था। जिसके बाद से ही वह कांग्रेस में टिकट के लिए लगातार दावेदारी कर रहे थे। खास बात यह है कि 2018 में भी देवतालाब विधानसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर हुई थी। ऐसे में पद्मेश को टिकट मिलने के बाद गिरीश गौतम का चुनाव जीतना मुश्किल होगा।

इसी तरह बुंदेलखंड अंचल की एक सीट पर कांग्रेस ने जेठ के सामने बहू को उतार दिया है, जिससे यहां मुकाबला रोचक होता नजर आ रहा है। दरअसल, सागर विधानसभा सीट पर बीजेपी ने सिंटिंग विधायक शैलेंद्र जैन को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन कांग्रेस ने यहां उनके छोटे भाई सुनील जैन की पत्नी निधि जैन को प्रत्याशी बनाया है, जो रिश्ते में शैलेंद्र जैन की बहू लगती हैं। जेठ और बहू के बीच चुनाव के कारण यह मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है।

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कांग्रेस ने नर्मदापुरम विधानसभा से वर्तमान विधायक सीताशरन शर्मा के सगे भाई गिरजा शंकर शर्मा प्रत्याशी बनाया है। गिरिजाशंकर शर्मा भी भाजपा से दो बार विधायक रह चुके है। 2003 से 2013 तक विधायक रहे। 2013 से उनके भाई डॉक्टर सीतासरन शर्मा विधायक हैं। गिरिजाशंकर शर्मा जनसंघ के समय से जुड़े रहे। करीब 45 साल उन्होंने जनसंघ एवं भाजपा में काम किया। कुछ साल से मान-सम्मान न मिलने व लगातार उपेक्षाएं होने से उन्होंने डेढ़ महीने पहले भाजपा से इस्तीफा दिया। 10 सितंबर को कांग्रेस की सदस्यता ली थी। इसी सीट से फिलहाल भाजपा ने टिकट फाइनल नहीं किया है। सीतासरन शर्मा के समर्थन में समर्थक भोपाल टिकट मांगने जा चुके तो विधायक विरोधी भाजपा का दूसरा धड़ा परिवर्तन की मांग कर रहा है।