देश में थम नहीं रहा गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का कहर, जानें क्या है लक्षण और कैसे करें बचाव

देश के कई राज्यों में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामले बढ़ते जा रहे हैं। महाराष्ट्र और आंद्र प्रदेश में इससे मौतें भी हो रही है ऐसे में इस बीमारी से कैसे बचा जाए, और क्या होते है इसके लक्षण आप भी जान लीजिए।

Updated: Feb 22, 2025, 05:36 PM IST

Photo courtesy: Hindustan
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देश के कई राज्यों में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। हाल ही में आंध्र प्रदेश में एक 45 वर्षीय महिला की इस बीमारी के कारण मौत हो गई, जबकि एक नाबालिग लड़के की मौत का कारण भी यही बीमारी है। राज्य में अब तक दो लोगों की जान इस सिंड्रोम से जा चुकी है। वहीं महाराष्ट्र में भी यह बीमारी तेजी से फैल रही है और अब तक छह लोगों की मौत हो चुकी है। 

राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने इसकी पुष्टि भी की है कि इनमें से एक व्यक्ति की मौत GBS के कारण हुई है, जबकि पांच अन्य की मौत संदिग्ध मानी जा रही है। राज्य में अब तक कुल 173 संदिग्ध मामलों का पता चला है, जिनमें से 140 मरीजों में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से कई की हालत गंभीर है और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है।

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क्या है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण 

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल विकार है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से पेरिफेरल नर्वस सिस्टम पर हमला करता है। इसके लक्षण आमतौर पर पैरों से शुरू होते हैं और धीरे-धीरे हाथों और चेहरे तक पहुंचते हैं। गंभीर मामलों में यह लकवे और सांस लेने में कठिनाई का कारण बन सकता है, जिससे जान जाने का खतरा भी बढ़ जाता है।

यह बीमारी किसी को भी व्यक्ति को हो सकती है, लेकिन वयस्कों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले वृद्ध लोगों में इसका खतरा अधिक होता है। 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में इसके होने की संभावना ज्यादा रहती है। अधिकतर मामलों में यह किसी वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद देखा जाता है, जिसमें कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी नामक बैक्टीरिया प्रमुख कारण माना जाता है। फ्लू, साइटोमेगालोवायरस, एपस्टीन-बार वायरस और कोविड-19 के बाद भी इस सिंड्रोम के विकसित होने की संभावना देखी गई है। इस बीमारी का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इम्यून ग्लोब्युलिन थेरेपी और प्लाज्मा एक्सचेंज जैसे उपचारों से लक्षणों को प्रबंधित किया जा सकता है।

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम बीमारी से कैसे रहे दूर

स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है, जिसमें उबला हुआ या बोतलबंद पानी पीना, फलों और सब्जियों को अच्छी तरह धोना, मांस और चिकन को पूरी तरह पकाकर खाना, अधपके भोजन से बचना और समुद्री भोजन, सलाद, अंडे और कबाब के सेवन से परहेज करना शामिल है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह बीमारी सीधे तौर पर पानी या खाने से नहीं फैलती, लेकिन बैक्टीरियल संक्रमण के कारण इसके होने का खतरा बढ़ सकता है। हालांकि, खान-पान से यह बीमारी होने की संभावना बेहद कम होती है, लेकिन स्वच्छता और उचित भोजन प्रथाओं का पालन करना जरूरी है, जिससे न केवल GBS बल्कि अन्य कई बीमारियों से भी बचा जा सकता है।