MP में नहीं चलेगा अंडे का फंडा, बालगृहों में अंडा परोसने के आदेश पर नरोत्तम मिश्रा ने ली आपत्ति

महिला एवं बाल विकास विभाग ने पोषण आहार के नए मानक तैयार किए हैं, इसमें न्यूट्रिशन के लिए अंडा परोसने का निर्देश दिया गया था, अब गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि एमपी के अंडे का फंडा नहीं चलेगा

Updated: Sep 04, 2022, 08:49 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में कुपोषण के बड़ी चुनौती है। लेकिन पोषण की खातिर बच्‍चों को अंडा परोसने का मुद्दा एक बार फिर विवादों में आ गया है। इतना ही नहीं अंडे को लेकर दो विभाग आमने-सामने भी आ गए हैं। महिला एवं बाल विकास ने अंडे परोसने के निर्देश जारी किए हैं। वहीं गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि एमपी में अंडे का फंडा नहीं चलेगा।

दरअसल, मध्य प्रदेश में बाल आश्रय और बाल संप्रेषण गृहों में रहने वाले बच्चों को खाने में अंडा और चिकन देने का निर्णय लिया गया है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने बीते 25 अगस्त को बाल सुधार गृह, आश्रय गृह में रहने वाले बच्चों की देखभाल को लेकर करीब 681 पेजों का आदेश मप्र के राजपत्र में प्रकाशित किया। इसमें किशोरवय बच्‍चों को सप्‍ताह में एक दिन चिकन व चार दिन अंडा परोसने की बात कही गई थी।

लेकिन जब गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को इस बात की जानकारी मिली तो वे भड़क गए। उन्होंने रविवार को प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि, 'मध्‍य प्रदेश में अंडे का फंडा नहीं चलेगा। और इसे किसी भी हालत में चलने भी नहीं देंगे। ये जो विषय आया है, मेरे ख्‍याल से भ्रम की स्‍थिति है। इस तरह का कोई भी प्रस्‍ताव सरकार के पास विचाराधीन नहीं है और लागू भी नहीं किया जाएगा। किसी राजपत्र में ऐसी कोई जानकारी प्रकाशित नहीं हुई है।'

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बता दें कि दो साल पहले कमलनाथ सरकार के दौरान भी बच्चों को अंडा देने की बात की थी। तत्कालीन महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री इमरती देवी ने आंगनबाड़ियों में बच्चों को अंडा देने की सिफारिश की थी। इसके बाद इस मामले पर बवाल मच गया था। हालांकि, चौतरफा विरोध के बाद महिला बाल विकास विभाग ने इस फैसले को लागू नहीं किया था। इमरती बीजेपी ज्वाइन करने के बाद भी बच्चों को अंडा देने की बात दोहरा चुकी हैं।

केंद्र सरकार के मॉडल रूल में भी बच्चों को चिकन और अंडे का प्रावधान है, लेकिन मध्य प्रदेश में चिकन, अंडे के बजाय शाकाहारी मेन्यू चलाया जा रहा है। क्योंकि प्रति बच्चे का बजट कम है। 2015 के नियम में भी यह शामिल था, लेकिन परोसा कभी नहीं गया। इस बार जो अधिसूचना जारी हुई है, उसमें भी प्रमुखता से इसे शामिल किया गया है। मध्य प्रदेश में करीब 2160 रुपए प्रतिमाह एक बच्चे पर खाने का खर्च आता है।