ऑक्सीजन के अभाव से मर रहे लोग, खौफ़ज़दा बुज़ुर्ग ने पीपल के पेड़ पर ही डाल लिया डेरा

अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से लोगों की मौत की खबर सुनकर 67 वर्षीय राजेंद्र पाटीदार ने हवा की आपूर्ति के लिए अपनाया अजीबोगरीब रास्ता, पिछले 15 दिन से पीपल के पेड़ पर बैठ रहे हैं

Updated: May 15, 2021, 08:02 PM IST

इंदौर। कोरोना कि दूसरी लहर में सबसे ज्यादा लोगों की मौत ऑक्सीजन लेवल गिरने की वजह से हो रही हैं। प्रतिदिन देशभर में कई लोग समय पर ऑक्सीजन न मिल पाने की वजह से असमय मौत के मुंह में चले जा रहे हैं। चारों ओर लोग बस इस बात को लेकर चिंतित हैं कि तबियत बिगड़ने पर वे ऑक्सीजन जुगाड़ पाएंगे या नहीं। इस डर की वजह से लोगों ने घरों में ऑक्सीजन सिलिंडर तक रखना शुरू कर दिया है। इन सब प्रयोगों के बीच इंदौर के एक बुजुर्ग ने ऑक्सीजन के लिए पीपल के पेड़ पर डेरा डाल दिया है।

मामला, मध्यप्रदेश में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित इंदौर जिले के राऊ रंगवासा का है। महामारी के इस दौर में खुद को स्वस्थ और जीवित रखने के लिए 67 वर्षीय राजेंद्र पाटीदार ने अपना ठिकाना बदल लिया है। राजेंद्र करीब पिछले 15 दिनों से अपना अधिकांश समय पीपल के पेड़ पर गुजारते हैं, ताकि उनके शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति होती रहे। उम्र के इस पड़ाव में भी वह हर समय पेड़ के ऊपर चढ़कर बैठे रहते हैं।

पाटीदार ने पेड़ पर इत्मीनान से बैठने के लिए पेड़ के ऊपर एक कुर्सी बांध रखी है, ताकि घंटों बैठे रहने में उन्हें दिक्कत न हो। इस कुर्सी पर बैठे-बैठे ही वे कपालभाति व अन्य योग भी कर लेते हैं। राजेंद्र का दावा है कि पेड़ पर बैठने की वजह से 67 की उम्र में भी उनका ऑक्सीजन लेवल 99 तक बना रहता है। पेशे से किसान राजेंद्र पाटीदार का मानना है कि पेड़ से शुद्ध प्राकृतिक हवा लेने से लोगों को कोरोना नहीं हो सकता और न ही कभी SP02 लेवल कम हो सकता है।

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राजेंद्र बताते हैं कि शुरुआत में जब वे पेड़ पर बैठने लगे तो उनके परिजन परेशान हो गए थे। लेकिन अब उनकी इस आदत से वे भी खुश हैं और पेड़ पर ही जरूरत का सारा सामान उन्हें लाकर देते हैं। उनका पोता कनिष्क भी उनकी मदद में जुटा रहता है। गांव के लोग भी उनकी आदत से खुश हैं और उन्हें प्रकृति से जुड़ने का संदेश मिल रहा है और वे भी इस अभ्यास को लेकर प्रेरित हो रहे हैं। राजेंद्र को यदि किसी से बात भी करनी होती है तो वे ऊपर बैठे-बैठे ही बातें करते हैं, और लोग नीचे खड़े होकर उन्हें सुनते हैं।

वैसे तो यह सर्वविदित है कि पीपल के पेड़ से अच्छा ऑक्सीजन दाता कोई नहीं हो सकता। अन्य पेड़ के मुकाबले पीपल का पेड़ ज्यादा ऑक्सीजन देता है। हालांकि, बिना अनुभव के पेड़ों पड़ चढ़ना खतरनाक भी हो सकता है। डॉक्टर बताते हैं कि स्वस्थ लोगो ही ऑक्सीजन के श्रोतों के तौर पर पेडों के आसपास रह सकते हैं। यदि, कोरोना संक्रमण की वजह से किसी का SP02 लेवल डाउन हो रहा है ऐसी स्थिति में मेडिकल ऑक्सीजन ही एक मात्र विकल्प बचता है। यदि किसी को सांस लेने में दिक्कत हो तब अस्पताल जाने के बजाए पेड़ का रुख करना जानलेवा साबित हो सकता है।