होशंगाबाद में NAPM का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू, 10 राज्यों के सोशल एक्टिविस्ट्स हो रहे शामिल

जल, जंगल, जमीन पर आघात को ध्यान में लेकर आगे की दिशा अपने विचार और सुझाव, अनुभव और प्रस्ताव रखेंगे एक्सपर्ट्स, रविवार को होशंगाबाद में होगा जनसभा का आयोजन।

Updated: Apr 01, 2023, 11:26 AM IST

होशंगाबाद। मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में नर्मदा तट पर स्थित बांद्रा धाम में आज से NAPM का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हो गया है। जन आंदोलनों के इस राष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेने देशभर से 10 राज्यों के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता, आदिवासी, किसान, मजदूर, मछुआरों के प्रतिनिधि भी होशंगाबाद पहुंचे हैं।

जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि सम्मेलन में नर्मदा घाटी में दशकों से चल रहे आंदोलन, आसाम, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, छत्तीसगढ़ सहित हर राज्य में बांध, खदान, औद्योगीकरण, शहरीकरण जैसे विकास के नाम पर विविध रूप में हो रहे जल, जंगल, जमीन पर आघात ध्यान में रखकर विचार- विमर्श किया जाएगा तथा आगे की रणनीति तय की जाएगी।

यह भी पढ़ें: रविवार से RKMP-निजामुद्दीन के बीच चलेगी वंदे भारत, जानें भोपाल से दिल्ली का कितना होगा किराया

विज्ञप्ति में कहा गया है कि देशभर में जब संवैधानिक मूल्यों, समता और न्याय तथा सतत संसाधनों का उपभोग होता है, तब विकास की अवधारणा पर विमर्श करना जरूरी हो जता है। जनतांत्रिक प्रक्रिया में अधिकार किसका यह बताने वाले कानून आजादी के 75 सालों में बने हैं, लेकिन ये अब बदल रहे हैं। मानवीय अधिकार कुचले जा रहे है। संसाधनों का विकास नहीं विनाश होता है और पीढ़ियों पुराने समुदाय का विस्थापन। संविधान भी इन प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षा और विकास का निर्देश राज्य / शासन को देता है। 

जन आंदोलनों के इस राष्ट्रीय सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय पर्यावरणविद प्रफुल्ल सामन्तरा (ओडिसा), छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के प्रमुख संस्थापक आलोक शुक्ला, अंतरराज्य नदी घाटी मछुआरा संगठन के प्रदीप चटर्जी, वन अधिकार और पंचायती राज विशेषज्ञ एडवोकेट सुरेखा दलवी, किसान संघर्ष समिति की अधिवक्ता आराधना भार्गव, गांधीवादी कार्यकर्ता विदिता विद्रोही, बिहार के कोसी क्षेत्र में कार्यरत महेंद्र यादव, कैलाश मीणा समेत राजकुमार सिन्हा, अमूल्य निधि और नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर आदि विशेष रूप से शामिल हो रहे हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार सिन्हा ने इस सम्मेलन को कर कहा कि, 'आज मध्यप्रदेश में नर्मदा घाटी में दशकों से चल रहे आंदोलन तथा आसाम, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, छत्तीसगढ़ सहित हर राज्य में बांध, खदान, औद्योगीकरण, शहरीकरण जैसे विकास के विविध रूप में हो रहे जल, जंगल, जमीन पर आघात ध्यान में लेकर अनुभवी कार्ययकर्ता आगे की दिशा अपने विचार, सुझाव, अनुभव और प्रस्ताव रखेंगे। इस सम्मेलन के बाद 2 अप्रैल की शाम 4:00 होशंगाबाद जिलाधिकारी कार्यालय के पास स्थित चौपाल पर जनसभा का आयोजन भी किया गया है। इस दौरान सम्मेलन में उभरे विचार और निर्णय आम जनता के समक्ष रखे जाएंगे।