एक मिनट में कोरोना वायरस साफ़, नीलभस्मी दिखाएगा कमाल

आठ अल्ट्रा-वॉयलेट लैंप वाला डिवाइस नीलभस्मी अब इंदौर एयरपोर्ट को करेगा सैनेटाइज, दिल्ली और उत्तराखंड में पहले से हो रहा है उपयोग, एक घंटे में 60 मीटर एरिया होगा सैनिटाइज

Updated: Mar 04, 2021, 12:45 PM IST

Photo Courtesy: twitter
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इंदौर। कोरोना वायरस के संक्रमण वाली जगहों को अब केमिकल की बजाय अल्ट्रा-वायलट किरणों के जरिए भी सैनेटाइज किया जा रहा है। इसके लिए यूवी लैंप से लैस एक खास उपकरण बनाया गया है, जिसे नीलभस्मी नाम दिया गया है। यह डिवाइस अल्ट्रावायलेट किरणों से किसी भी एरिया को सैनिटाइज कर सकता है। इसे इंदौर के राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र याने आरआरकैट ने तैयार किया है। अब इससे इंदौर के देवी अहिल्याबाई होलकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को सैनिटाइज करने की तैयारी की जा रही है।

कोरोना महामारी के पीक टाइम में सितंबर 2020 में इसका सफल परीक्षण हुआ था। कमर्शियल यूज के लिए इस डिवाइस का निर्माण करने वाली कंपनी का दावा है कि इसकी टेस्टिंग 20 कोरोना पॉजिटिव सैंपल पर की गई है।जहां यह कोरोना वायरस के खात्मा करने में सफल रही है।

कंपनी के प्रोडक्शन मैनेजर की मानें तो रूई, कपड़ा, लकड़ी, कांच समेत अलग-अलग सर्फेस पर कोरोना वायरस संक्रमण के बाद वहां डिवाइस के जरिए यूवी रेज भेजी गई। इस बारे में हैदराबाद के ESIC मेडिकल कॉलेज ने पाया कि इसका बायो सेफ्टी लेवल थ्री था। पिछले साल 10 सितंबर 2020 को इसे सर्टीफाय किया गया था। जिसके बाद अब इसका कर्मर्शियल यूज किया जा रहा है। 

 8 अल्ट्रा वायलेट लैंप लगे हैं, एक लैंप की लाइफ 9 हजार घंटे

इस नीलभस्मी डिवाइस में आठ अल्ट्रा वायलेट लैंप लगाए गए हैं। इससे करीब 928 वॉट प्रति सेंटीमीटर वर्ग एरिय में यूवी रेड निकलती हैं। जो कि एक मिनट में एक मीटर का एरिया सैनिटाइज करने की क्षमती रखती है। नीलभस्मी का लैंप का लाफइ 9 हजार घंटे है, जिसके बाद ये खराब हो जाते हैं। बल्ब बदलने के बाद इन्हें दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है।

 दिल्ली, उत्तराखंड में हो रहा सफल उपयोग

इस नीलभस्मी डिवाइस का उपयोग इंदौर के राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र के अलावा दिल्ली स्थित भाभा एटामिक सेंटर के गेस्ट हाउस में किया जा रहा है। वहीं उत्तराखंड की 10 से ज्यादा प्राइवेट इंडस्ट्रीज में हो रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस नीलभस्मी यूवी डिवाइस से अस्पतालों, आपरेशन थियेटर्स और संक्रमण वाली जगहों को सैनेटाइज किया सकेगा।

 दो लाख की लागत से तैयार होता है एक नीलभस्मी

इस नीलभस्मी डिवाइस को आरआर कैट द्वारा तैयार किया गया है। जबकि इसका व्यावसायिक निर्माण रिसर्च इंडिया द्वारा किया जाता है। रिसर्च इंडिया ने इसकी कई मशीनें तैयार की हैं, जिन्हें डिमांड के अनुसार विभिन्न संस्थाओं को मुहैया करवाया जा रहा है। यह डिवाइस दो लाख रुपये की लागत से तैयार होता है।

एक घंटे में 60 मीटर एरिया हो सकेगा सैनेटाइज

यह एक मीटर दूर से ही हवा और किसी भी सर्फेस को सैनेटाइज करती है। एक मिनट नें एक मीटर का एरिया स्टरलाइज करता है। याने एक घंटे में 60 मीटर का एरिया वायरस मुक्त हो सकेगा। अल्ट्रा वायलेट रेडिएशन का इंसान के शरीर पर किसी तरह का दुष्प्रभाव ना हो इसलिए इस डिवाइस का उपयोग खाली परिसर में करने की बात की जा रही है। कैमिकल के उपयोग से होने वाले नुकसान से बचन के लिए यह नीलभस्मी काफी कारगऱ हो रहा है। लगातार इसकी डिमांड बढ़ती जा रही है।