दमोह को छोड़कर पूरे मध्य प्रदेश में लॉकडाउन, जानिए कोरोना से क्यों सेफ़ है शहर

मध्यप्रदेश के दमोह विधानसभा क्षेत्र में 17 अप्रैल को होने वाले हैं चुनाव, दमोह छोड़कर पूरे मध्यप्रदेश में सरकार ने लगाई रात्रिकालीन लॉकडाउन, सोशल मीडिया पर एक बार फिर लोगों ने लिए चटकारे

Updated: Apr 08, 2021, 01:06 PM IST

दमोह। चुनाव वाले इलाकों में क्या सच में कोरोना नहीं आता है? क्या चुनाव के दौरान बड़े-बड़े नेताओं के भाषण और रैलियों में उमड़ी भीड़ से डरकर कोरोना भाग जाता है? मध्यप्रदेश में एक बार फिर इस बात को लेकर बहस छिड़ गई है। इसकी वजह है राज्य सरकार का वह आदेश जिसमें दमोह छोड़कर पूरे मध्यप्रदेश में नाइट कर्फ्यू यानी रात्रिकालीन लॉकडाउन लागू करने की बात कही गयी है। दरअसल, आगामी 17 अप्रैल को मध्यप्रदेश के दमोह में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। 

मध्यप्रदेश सरकार ने कोरोना महामारी को काबू करने के लिए आज नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। सरकारी आदेश के मुताबिक प्रदेश के समस्त नगरीय क्षेत्रों में प्रतिदिन रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे तक रात्रिकालीन लॉकडाउन रहेगा। साथ ही शनिवार और रविवार को वीकेंड लॉकडाउन भी घोषित किया गया है। खास बात यह है कि सरकार ने इस आदेश में दमोह को शामिल नहीं किया है। आदेश में स्पष्ट तौर पर इस बात का जिक्र है कि दमोह को छोड़कर सभी जगह लॉकडाउन प्रभावी रहेगा। हालांकि, आदेश में इस बात की व्यवस्था दी गई है कि दमोह को लेकर जिला निर्वाचन अधिकारी निर्णय ले सकते हैं। 

क्या चुनाव से डरकर कोरोना ने ली छुट्टी?

राज्य सरकार के इस आदेश के बाद सोशल मीडिया पर कोरोना और चुनाव को लेकर एक बार फिर से बहस छिड़ गई है। सोशल मीडिया यूजर्स इस बात का दावा कर रहे हैं कि कोरोना ने चुनाव से डरकर छुट्टी ले ली है। ट्वीटर यूजर देवेंद्र पटेल गुड्डू ने लिखा, 'दमोह को छोड़कर प्रदेश के सभी नगरीय क्षेत्रों में शनिवार और रविवार का लाकडॉउन रहेगा। ये कोरोना वायरस भी कितना समझदार है न जो चुनावी क्षेत्रों में नही जाता है।' 

मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अब्बास हफीज ने भी इस आदेश को लेकर तंज कसा है। उन्होंने ट्वीट किया, 'काश पूरे मध्य प्रदेश में आज चुनाव हो जाएँ सरकार कह रही है मध्य प्रदेश में पूर्ण लॉक्डाउन रहेगा केवल दमोह को छोड़ कर। क्यूँ? वहाँ चुनाव हैं इसलिए कोरोना डर गया?' 

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कांग्रेस विधायक ने की थी चुनाव कराने की मांग

बता दें कि हाल ही में आगर-मालवा से कांग्रेस विधायक विपिन वानखेड़े ने निर्वाचन आयोग को चिट्ठी लिखकर प्रदेश भर में चुनाव कराने की मांग की थी। वानखेड़े ने तर्क दिया था कि अबतक के कोरोना आंकड़ों को देखा जाए तो यह पता चलता है कि जहां चुनाव होते हैं वहां वायरस नहीं जाता। उन्होंने तंज के लहजे में इसका कारण बताया था कि बड़े नेताओं की रैलियों से डरकर कोरोना भाग जाता है। कांग्रेस नेता ने चुनाव आयोग से मांग की थी कि इस भयानक महामारी से मध्यप्रदेश के लोगों को बचाने के लिए राज्यभर में चुनाव कराएं जाएं। उन्होंने चुनाव को कोरोना से बचने का विकल्प बताया था।

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कोर्ट तक पहुंच चुका है मामला

बता दें कि यह मामला सिर्फ जोक्स और मिम्स तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसे लेकर कोर्ट में भी बाकायदा सुनवाई हो रही है। आज ही दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार और भारतीय चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर पूछा है कि चुनावी रैलियों में मास्क पहनना जरूरी क्यों नहीं है? न्यायालय ने इस बारे में केंद्र और निर्वाचन आयोग को जवाब देने के लिए 30 अप्रैल तक का समय दिया है।