चुनाव प्रचार और रैलियों में मास्क पहनना जरूरी क्यों नहीं? कोर्ट ने मोदी सरकार और चुनाव आयोग से मांगा जवाब

यूपी के पूर्व डीजीपी और सीएएससी के चेयरमैन की चुनाव में कोरोना दिशानिर्देश उल्लंघन संबंधित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस, 30 अप्रैल तक केंद्र और चुनाव आयोग को देना होगा जवाब

Publish: Apr 08, 2021, 09:31 AM IST

Photo Courtesy : IndiaToday
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नई दिल्ली। जिन राज्यों में चुनाव होते हैं वहां कोरोना नहीं फैलता। चुनावी रैलियों की लोगों की भीड़ और नेताओं के भाषण से डरकर कोरोना भाग जाता है। सोशल मीडिया पर इस तरह के जोक्स और मिम्स आपने बहुत देखा होगा, लेकिन अब यह मामला कोर्ट तक पहुंच चुका है। दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर पूछा है कि चुनावी रैलियों में मास्क पहनना जरूरी क्यों नहीं है? न्यायालय ने इस बारे में केंद्र और निर्वाचन आयोग को जवाब देने के लिए 30 अप्रैल तक का समय दिया है।

दरअसल, उत्तरप्रदेश के पुलिस महानिदेशक रहे विक्रम सिंह ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनावी प्रक्रिया के दौरान कोरोना दिशानिर्देशों के उत्ल्लंघन संबंधित याचिका दायर किया है। वर्तमान में थिंक टैंक सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी ऐंड सिस्टेमेटिक चेंज के चेयरमैन सिंह ने अपनी याचिका में मांग की है कि निर्वाचन आयोग को अपने आधिकारिक वेबसाइट, मोबाइल एप्लीकेशन सहित अन्य प्लेटफॉर्म्स पर चुनाव से संबंधित कोरोना प्रोटोकॉल के बारे में जानकारी देनी चाहिए। 

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इसके वाला विक्रम सिंह ने अपनी याचिका में मांग की है कि न्यायालय निर्वाचन आयोग को डिजिटल, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए चुनाव के दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल के बारे में जागरूकता फैलाने का आदेश जारी करे। याचिका में ऐसे प्रचारकों एवं प्रत्याशियों को विधानसभा चुनावों के दौरान प्रचार से रोकने का भी अनुरोध किया गया है जो वैश्विक महामारी कोरोना से जुड़े गाइडलाइंस का उल्लंघन कर रहे हैं।

याचिका में आगे कहा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को जीवन का मौलिक अधिकार है और चुनाव प्रचार के दौरान नेताओं और उम्मीदवारों द्वारा मास्क न पहनने की वजह से उनका यह मौलिक अधिकार प्रभावित होता है। साथ ही यह भी कहा गया है कि राजनेताओं को मास्क न पहनने की छूट मिली हुई है। आम लोगों और नेताओं के बीच यह अंतर करना संविधान के अनुच्छेद 14 की मूल भावना के खिलाफ है। इस मामले पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने पूछा कि आखिर चुनाव प्रचार व राजनीतिक रैलियों के दौरान लोग बिना मास्क के क्यों दिख रहे हैं। न्यायालय ने प्रचार के दौरान मास्क की अनिवार्यता को लेकर 30 अप्रैल तक भारतीय निर्वाचन आयोग और केंद्र सरकार से जवाब देने को कहा है।

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गौरतलब है कि कल ही दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में निजी कार को भी पब्लिक प्लेस करार देते हुए अकेले ड्राइविंग के वक्त भी मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि 'कोरोना संक्रमण को देखते हुए गाड़ी के अंदर फेस मास्क पहनना अनिवार्य है चाहे गाड़ी में एक व्यक्ति बैठा हो या एक से ज्यादा। आखिर कार भी तो पब्लिक प्लेस ही है। कोर्ट ने तर्क दिया है कि अगर कार सार्वजनिक स्थानों से गुजरती है तो वहां मौजूद लोगों के लिए संक्रमण का खतरा पैदा हो सकता है। इतना ही नहीं अदालत ने तो यहां तक कहा है कि घरों में भी यदि बुजुर्ग लोग रहते हों या किसी अन्य बीमारी से पीड़ित व्यक्ति हों तो घर के अंदर भी मास्क को बढ़ावा देना चाहिए। कोर्ट ने इसे सुरक्षा कवच बताते हुए माना है कि मास्क से लाखों लोगों की जान बची है।