बसनिया बांध का विरोध तेज, मंडला-डिंडोरी के आदिवासियों ने खोला मोर्चा, बांध निरस्त करने की मांग

बसनिया बांध निर्माण से 31 गांव के 2700 परिवार होंगे विस्थापित, मंडला और डिंडोरी जिले के आदिवासियों ने खोला शिवराज सरकार के खिलाफ मोर्चा, बांध को तत्काल निरस्त करने की मांग

Updated: Dec 28, 2022, 03:43 AM IST

मंडला। मध्य प्रदेश के मंडला जिले के घुघरी तहतसील के अंतर्गत ग्राम ओढारी में स्वीकृत बसनिया बांध का विरोध लगातार जारी है। नर्मदा घाटी ने प्रस्तावित इस बांध के खिलाफ मंगलवार को भी बड़ा विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। मंडला जिला मुख्यालय में हजारों की संख्या में आदिवासी महिला और पुरुषों ने रैली निकाली।

प्रदर्शन कर रहे आदिवासी समुदाय के लोग नगर के मुख्य मार्गों से होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे। जहां उन्होंने बांध को निरस्त किए जाने की मांग करते हुए राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम पर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। दरअसल, बसनिया बांध की वजह से मंडला और डिंडौरी जिले के लगभग 31 गांव डूब में आएंगे। इस वजह से 2700 परिवारों को विस्थापन का दर्द झेलना पड़ेगा। इसी कारण ग्रामीण इस बांध का लगातार विरोध कर रहे हैं।

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ग्रामीणों का कहना है कि किसी भी हाल में बसनिया बांध का निर्माण नहीं होने देंगे। ग्रामीणों के विरोध के बाद भी परियोजना को निरस्त नहीं किया जा रहा है। जिससें ग्रामीणों में भारी आक्रोश पनप रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि ओढारी में बनने वाले बसनिया बांध के सबंध में ग्राम सभा में कोई चर्चा नहीं की गई। जबकि मंडला पांचवी अनुसूची में आता है जहां पेसा कानून अधिसूचित है।

हाल ही में शिवराज सरकार ने पेसा कानून के नए नियम लागू किए हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मौजूदगी में शहडोल में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में इसका ऐलान किया गया। सरकार ने दावा किया कि यह आदिवासियों के हित में है। ग्राम पंचायतों की मर्जी के बिना कोई उनसे जमीन नहीं ले सकता। लेकिन हैरानी की बात ये है कि हजारों आदिवासी लोग बांध निर्माण के खिलाफ सड़कों पर हैं। बावजूद पेसा एक्ट के तहत बांध को निरस्त नहीं किया जा रहा है।

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यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व आदिवासी नेता विक्रांत भूरिया ने कहा कि "शिवराज सरकार आदिवासियों को लगातार धोखा दे रही है। जल, जंगल और जमीन आदिवासियों की आजीविका का मुख्य साधन है। इसके खत्म होने से पलायन और भुखमरी जैसी स्थिति निर्मित होती है। बार-बार विस्थापन के कारण आदिवासी समाज के लोग मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक रूप से टूट रहे हैं। पेसा कानून लागू होने के बावजूद प्रदेश में ग्राम सभाओं की अवहेलना करके आदिवासियों को सरकार द्वारा जानबूझकर नुकसान पहुंचाया जा रहा है। आदिवासियों के अधिकारों का हनन किया रहा है। बसनिया बांध को तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए।"