भोपाल में संविदा स्वास्थ्यकर्मियों का महाआंदोलन, नीलम पार्क में भूख हड़ताल पर बैठे हजारों कोरोना योद्धा

राज्य सरकार संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की वैधानिक मांगों को अविलंब मानें ताकि उनके साथ न्याय हो सके और राज्य में पहले से बदहाल स्वास्थ्य संरचना ध्वस्त होने से बच जाये: कमलनाथ

Updated: May 08, 2023, 04:03 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के 32 हजार संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी बीते 20 दिन से विभिन्न जिलों में हड़ताल पर हैं। लेकिन हड़ताल पर बैठे इन कर्मचारियों की कोई सुध नहीं ले रहा है। इससे अब संविदाकर्मियों के सब्र का बांध टूट गया है। हड़ताल कर रहे प्रदेशभर के हजारों संविदा स्वास्थ्यकर्मी सोमवार को राजधानी भोपाल पहुंचे और यहां उन्होंने नीलम पार्क में महाधरणा शुरू कर दिया। पीसीसी चीफ कमलनाथ ने संविदाकर्मियों की मांगों का समर्थन किया है।

पूर्व सीएम कमलनाथ ने ट्वीट किया, "मध्य प्रदेश में हज़ारों संविदा स्वास्थ्य कर्मी 20 दिन से हड़ताल पर हैं। कोरोना माहमारी के दौरान सरकार इन्हें कोरोना योद्धा बता रही थी और आज ये अपनी माँगों को लेकर आंदोलनरत हैं। स्वास्थ्य सेवाएँ बदहाल है ऐसे में संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल से आम जनता को बहुत परेशानी हो रही है।"

कमलनाथ ने कहा, "कांग्रेस पार्टी मानवीय और नैतिक आधार पर संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की वाजिब माँगों का समर्थन करती है। मैं मुख्यमंत्री और सरकार से अनुरोध करता हूँ कि संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की वैधानिक मांगों को अविलंब मानें ताकि उनके साथ न्याय हो सके और राज्य में पहले से बदहाल स्वास्थ्य संरचना ध्वस्त होने से बच जाए।"

बता दें अपनी विभिन्न मांगों के लिए प्रदेश भर के जिले और तहसील स्तर पर संविदा स्वास्थ्य कर्मी हड़ताल पर बैठे हैं। नियमितीकरण की मांग को लेकर संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की ओर से बीते 18 अप्रैल से हड़ताल की जा रही है, लेकिन अब तक इनकी किसी ने सुध नहीं ली है। बीते 18 अप्रैल से अनिश्चितकालीन क्रमिक भूख हड़ताल कर रहे हैं। साथ ही मंत्रियों के बंगले का घेराव और भोपाल स्थित जेपी हॉस्पिटल कैम्पस में धरना प्रदर्शन कर रहे थे। अब वे परिवार के साथ नीलम पार्क में क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं।

प्रदर्शन कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों की मांग है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से हटाकर आउटसोर्स ठेका प्रथा खत्म की जाए। सपोर्ट स्टॉफ कर्मचारियों को पुनः राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में मर्ज किया जाए अथवा विभाग में रिक्त पदों पर समायोजन किया जाए। साथ ही निष्कासित कर्मचारियों को शत-प्रतिशत वापस लिया जाए। इसके अलावा 5 दिसंबर से 3 जनवरी तक की गई अनिश्चितकालीन हड़ताल के दौरान जिन कर्मचारियों पर पुलिस प्रकरण दर्ज किए गए हैं, उन्हें तत्काल वापस लिया जाए।