सजा पूरी होने के बाद भी रेप के दोषी की नहीं हुई रिहाई, सुप्रीम कोर्ट ने 25 लाख मुआवजा देने का दिया आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने रेप के मामले में मध्य प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट का कहना है कि जब सजा पूरी हो गई तो उसे अधिक सजा क्यों दी गई। इस मामले में कोर्ट मध्य प्रदेश सरकार पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

Updated: Sep 08, 2025, 06:51 PM IST

नई दिल्ली/भोपाल। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को एक व्यक्ति को 25 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है। उस व्यक्ति को सजा पूरी होने के बाद भी चार साल और सात महीने तक जेल में रहना पड़ा था। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने मध्यप्रदेश सरकार की लापरवाही के लिए कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने इसे गंभीर चूक बताते हुए कहा कि इस तरह की अवैध हिरासत किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं है।

दरअसल, सागर जिले के सोहन सिंह उर्फ बबलू को रेप के मामले में ट्रायल कोर्ट ने 2004 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ सोहन सिंह ने हाईकोर्ट में अपील दायर की। अक्टूबर 2007 में हाईकोर्ट ने सजा को उम्रकैद से घटाकर 7 साल कर दी थी। 2021 में वो सजा के 7 साल पूरे हो गए बावजूद उनकी रिहाई नहीं हुई।

लीगल एड के जरिए वरिष्ठ अधिवक्ता महफूज ए नाजकी के पास इस केस की फाइल पहुंची। नाजकी ने पुलिस और लीगल एड टीम से बातचीत की जिसके बाद 6 जून 2025 को वह जेल से छूट गया। यानी उसे सजा पूरी होने के बाद भी 4 साल 7 महीने तक गैरकानूनी तरीके से जेल में रखा गया। अतिरिक्त सजा काटकर निकलने के बाद कोर्ट ने सोहन ने अधिक सजा काटने के बदले मुआवजे की मांग की। जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया।

सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में मध्य प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने इसे काफी चिंताजनक और गंभीर प्रशासनिक विफलता बताया। कोर्ट ने मप्र सरकार, गृह विभाग, जेल महानिदेशक और संबंधित जेल अधीक्षक से पूछा है कि सजा पूरी होने के बाद भी रिहाई क्यों नहीं हुई? बेंच ने कहा कि इस तरह किसी को ज्यादा समय तक जेल में रखना मौलिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। इसे माफ नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने दोषी को 4 साल 7 महीने अतिरिक्त जेल में रखने के मामले में मप्र सरकार को 25 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया है।