37 एकड़ खेत पर 10 घंटे जेसीबी चलाकर नष्ट की फसल, सीहोर प्रशासन का दावा सरकारी ज़मीन पर हुई थी खेती

किसान द्वारका जाट का दावा, ज़मीन का मालिकाना हक़ कोर्ट से जीतकर आने के बावजूद नहीं माना प्रशासन, राजनीतिक बदले की भावना का आरोप लगाया

Updated: Dec 27, 2020, 09:40 PM IST

सीहोर। भोपाल से महज 40 किलोमीटर की दूरी पर बसे सीहोर में बासुदेव निवासी किसान द्वारका जाट ने स्थानीय प्रशासन पर अपनी 37 एकड़ की फसल को नष्ट करने का आरोप लगाया है। किसान का कहना है कि 24 दिसंबर को नसरुल्लागंज के बगवाड़ा गांव में प्रशासन ने नोटिस देने के दो दिन के भीतर ही उसकी चने की फसल पर जेसीबी चला दी। नष्ट की गई चने की फसल की कीमत किसान के मुताबिक तकरीबन 20 लाख रुपए  है।

किसान द्वारका जाट का आरोप है कि उनके खेत पर इस तरह की कार्रवाई राजनीतिक विद्वेष की वजह से की गई है। द्वारका जाट सीहोर में कांग्रेस के स्थानीय नेता हैं और उनका इलाका मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में आता है।

पीड़ित किसान का आरोप है कि उनकी फसल पर कार्रवाई मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी सांसद रमाकांत भार्गव के इशारे पर हुई है। 'मुख्यमंत्री और रामकांत भार्गव की मिलीभगत और दोनों के इशारे पर ही स्थानीय प्रशासन ने  फसल को बर्बाद किया है।' 

 

क्या है मामला  
बासुदेव निवासी द्वारका जाट का कहना है कि बीते 18 दिसंबर को नसरुल्लागंज तहसील कार्यालय द्वारा उन्हें और उनके परिवार के अन्य सदस्यों को बगवाड़ा स्थित उनकी ज़मीन पर मालिकाना हक प्रमाणित करने हेतु  कारण बताओ नोटिस जारी किया था। चूंकि बगवाड़ा स्थित 37 एकड़ भूमि पर कथित मालिकाना हक द्वारका जाट के पिता और उनके चार भाइयों का है, लिहाज़ा यह नोटिस कुल पांच लोगों को भेजा गया था। नोटिस में कहा गया था कि 22 दिसंबर को नायब तहसीलदार के समक्ष पेश हो कर ज़मीन पर अपना मालिकाना हक प्रमाणित करें अन्यथा प्रशासन उनके अवैध अतिक्रमण पर कार्रवाई करेगा। 

द्वारका जाट बताते हैं कि 21 दिसंबर की शाम को नसरुल्लागंज तहसील कार्यालय का चपरासी उनके हाथों में नोटिस थमा कर गया था। नोटिस मिलने के अगले दिन यानी 22 दिसंबर को द्वारका जाट नायाब तहसीलदार के कार्यालय सभी कागजात के साथ हाज़िर हुए। द्वारका जाट के साथ रमेश चंद्र भुजराम, रामेश्वर और राम विलास नायाब तहसीलदार अजय झा के समक्ष पेश हुए थे। चूंकि द्वारका जाट के पिता हरिराम और उनके चाचा तुलसीराम वृद्धावस्था में हैं, लिहाज़ा दोनों की तरफ से उनके वकील पेश हुए थे। द्वारका जाट ने बताया कि उन्होंने 23 दिसंबर को नायाब तहसीलदार अजय झा को भूमि के मालिकाना हक से जुड़े सभी दस्तावेज़ उपलब्ध करा दिए थे। इसके साथ ही उन्होंने नसरुल्लागंज सिविल कोर्ट की डिक्री भी तहसीलदार को दिखाई थी, जिसके अनुसार ज़मीन का मालिकाना हक द्वारका जाट के पिता हरिराम और उनके चार भाइयों के नाम पर है। 

द्वारका जाट ने कहा कि 80 के दशक में उनकी पारिवारिक ज़मीन सीलिंग एक्ट के तहत आ गई थी। ज़मीन के मालिकाना हक को लेकर प्रशासन और उनके परिवार में खींचतान होने पर उनके परिवार ने 1985 में नसरुल्लागंज सिविल कोर्ट का रुख किया था। 1990 में सिविल कोर्ट ने अपनी डिक्री में यह माना है कि बगवाड़ा स्थित 37 एकड़ की भूमि पर उनके परिवार का ही मालिकाना हक है। इसके अलावा द्वारका जाट ने जनवरी 2019 में ग्राम सभा बगवाड़ा द्वारा जारी प्रमाण पत्र भी दिखाया था, जिसके मुताबिक ग्राम सभा ने यह माना था कि बगवाड़ा स्थित 37 एकड़ की भूमि द्वारका प्रसाद जाट की पुश्तैनी भूमि है और इस भूमि पर उनका परिवार पिछले 50 वर्षों से खेती कर रहा है। 

द्वारका जाट ने कहा कि 22 दिसंबर की शाम करीब पांच बजे वे नायब तहसीलदार के कार्यालय में ज़मीन पर अपने परिवार का मालिकाना हक प्रमाणित कर आए थे। उन्होंने नायाब तहसीलदार के कार्यालय में ज़मीन से जुड़े सभी दस्तावेज सौंपे थे। लेकिन अगले ही दिन यानी 23 दिसंबर को उन्हें नायाब तहसीलदार द्वारा भेजा गया बेदखली का नोटिस मिल गया। और गुरुवार 24 दिसंबर को एसडीएम दिनेश तोमर की मौजूदगी में द्वारका जाट की 37 एकड़ की पुश्तैनी ज़मीन पर उपजाई गई चने की खड़ी फसल पर जेसीबी चला दी गई। इस दौरान एसडीएम दिनेश तोमर के साथ करीब 200 की संख्या में पुलिस बल भी मौजूद था। द्वारका जाट का कहना है कि 37 एकड़ की पारिवारिक ज़मीन पर उन्होंने चने की फसल बोयी गई थी, जिसकी कीमत 20 लाख रुपए थी। 

प्रशासन को इतनी भी क्या जल्दी थी 

इस पूरे घटनाक्रम पर पीड़ित किसान द्वारका जाट कहते हैं कि 'आखिर प्रशासन को इतनी भी क्या जल्दी थी कि नोटिस जारी करने के दो दिन के भीतर ही मेरी फसल को नष्ट कर दिया गया।' और यह तब हुआ जब नायाब तहसीलदार, द्वारका जाट द्वारा दिए गए प्रमाणपत्रों से संतुष्ट थे।

हालांकि इस प्रकरण पर नायाब तहसीलदार अजय झा ने कहा कि द्वारका प्रसाद जाट की भूमि पर की गई कार्रवाई पूरी तरह से न्यायसंगत है। वो ज़मीन शासकीय है लिहाज़ा प्रशासन ने न्यायिक प्रक्रिया के तहत ही कार्रवाई की है। अजय झा ने कहा कि 18 दिसंबर को भूमि पर कारण बताओ नोटिस जारी कर हमने मालिकना हक का दावा करनेवाले पक्ष को 22 दिसंबर को 2 बजे बुलाया था। उन्हें भूमि पर मालिकाना हक़ सिद्ध करने के लिए पूरा समय भी दिया था। लेकिन वे अपना मालिकाना हक साबित नहीं कर पाए। हमसमवेत ने अजय झा से जब यह पूछा कि पेशी वाले दिन ही द्वारका प्रसाद जाट की भूमि पर कार्रवाई करने के आदेश कैसे जारी हुए तो अजय झा ने न्यायिक प्रक्रिया और खुद के किसी कार्यक्रम में व्यस्त होने का हवाला देकर फोन काट दिया। 

द्वारका जाट के मुताबिक नायाब तहसीलदार द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी करने से लेकर बेदखली का नोटिस जारी होने और प्रशासन द्वारा फसल नष्ट किए जाने तक, ज़िले के कलेक्टर अजय गुप्ता छुट्टी पर रहे और वे अभी भी अवकाश पर हैं। द्वारका जाट ज़िले के कलेक्टर के अवकाश पर होने को भी प्रशासन, मुख्यमंत्री और उनके करीबी सांसद की एक सुनियोजित साजिश बताते हैं। जब हमने इस मामले पर कलेक्टर कार्यालय फोन किया तो अजय गुप्ता से संपर्क नहीं हो पाया। 

प्रशासन का रुख

कुछ स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 22 दिसंबर यानी मंगलवार देर रात को प्रदेश कांग्रेस नेता के खेत से वन विभाग ने लाखों रुपए की सागौन जब्त की थी। जाट के खेत पर शासन की तरफ से हुई यह कार्रवाई शासकीय जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने के मकसद से हुई है। प्रशासन ने कृषि भूमि पर 6 जेसीबी चलवाकर फसल नष्ट की और इसके बाद राजस्व विभाग का एक बोर्ड भी लगा दिया, जिसमें फसल नष्ट की गई भूमि को शासकीय जमीन बताया गया है। बोर्ड में लिखा है कि शासकीय भूमि पर किसी भी तरह का अतिक्रमण किया जाना दंडनीय अपराध है।

राजनीतिक बदले की भावना से हुई कार्रवाई: द्वारका जाट

द्वारका जाट सीहोर में कांग्रेस के ज़िला प्रवक्ता हैं। उनका आरोप है कि इस पूरे घटनाक्रम के पीछे एक सुनियोजित राजनीतिक साजिश है, जो कि स्थानीय बीजेपी सांसद रमाकांत भार्गव और खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इशारे पर हुई है। क्योंकि वे स्थानीय स्तर पर अवैध रेत उत्खनन और इसमें जारी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते रहते हैं, इसलिए उनके खिलाफ बदले की राजनीति के तहत यह कार्रवाई की गई है। इसके लिए वो बीजेपी नेताओं पर आरोप लगा रहे हैं। 

((यह खबर पीड़ित किसान द्वारका प्रसाद जाट के आरोपों, दावों और प्रस्तुत दस्तावेज़ों के आधार पर लिखी गई है, द्वारका प्रसाद के आरोपों की हमसमवेत न तो पुष्टि करता है और न ही इसका खंडन करता है))