अवैध खनन से खोखली हो रही नर्मदा, संरक्षण के नाम पर शिवराज सरकार खर्च करेगी 350 करोड़ रुपए

MP की लाइफ लाइन नर्मदा नदी को सरकार ने 6 साल पहले जीवित इकाई (लाइव एंटिटी) भी घोषित कर दिया लेकिन अवैध उत्खनन और प्रदूषण पर अंकुश नहीं लग पाया है।

Updated: Mar 20, 2023, 07:32 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश की लाइफ लाइन नर्मदा नदी में अवैध खनन जोरों पर है। रेत माफिया नर्मदा की छाती चीरकर उसे छलनी कर रहे हैं। नर्मदा नदी को जीवित इकाई (लाइव एंटिटी) घोषित करने के बाद भी अवैध उत्खनन पर अंकुश नहीं लग पाया है। अब शिवराज सरकार धर्म और आस्था के केंद्र नर्मदा नदी के संरक्षण के नाम पर साढ़े तीन अरब रुपए खर्च करने की तैयारी में है। इन रुपयों को रेत उत्खनन और प्रदूषण को रोकने में खर्च किया जाएगा।

मध्य प्रदेश पर्यावरण विभाग ने नर्मदा नदी के संरक्षण को लेकर विशेष प्रोजेक्ट तैयार किया है। इस प्रोजेक्ट के तहत नर्मदा नदी की वास्तविक स्थिति का सर्वे किया जाएगा। विभाग का दावा है कि इसके तहत जिलेवार घाटों के आधार पर नर्मदा की गहराई, तट की स्थिति, कैचमेंट का जीआईएस सर्वे, वनस्पति के साथ नदी पर आश्रित जंगलों का पूरा खाका तैयार किया जाएगा। नर्मदा के जलीय जीवों का अपडेट डाटा भी सरकार के पास होगा। प्रोजेक्ट पर चरणबद्ध तरीके से काम होगा।

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इस प्रोजेक्ट के पहले फेज में ही करीब 350 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। नर्मदा नदी के वनों की स्थिति जानने के लिए वर्तमान सेटेलाइट इमेज का डाटा तैयार होगा। इस प्रोजेक्ट के तहत नर्मदा नदी को पथरीले, मैदानी, दलदली, मिट्टी, रेतीले जैसे श्रेणियों में घाटों को वर्गीकरण किया जाएगा। पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक नर्मदा नदी का यह प्रोजेक्ट एक तरह से पायलेट प्रोजेक्ट होगा। फिर प्रदेश की अन्य बड़ी नदियों में शामिल चंबल, सोन, ताप्ती, बेतवा समेत अन्य नदियों के संरक्षण संबंधित कवायद की जाएगी

मध्य प्रदेश में नर्मदा की कुल लंबाई 1 हजार 77 किलोमीटर है। प्रदेश के 16 जिलों को छूकर निकलने वाली नर्मदा नदी में अवैध उत्खनन की भयावहता की कहानी 4 जिले के आंकड़े ही कह देते हैं। खनिज साधन विभाग ने केवल सीहोर, हरदा, नर्मदापुरम और देवास जिले में 10 माह के दौरान अवैध उत्खनन और परिवहन के 588 प्रकरण दर्ज किए हैं। जुर्माने के तौर पर 5 करोड़ 63 लाख से अधिक की वसूली की गई है। पोकलेन मशीनें, डंपर और बड़ी संख्या में ट्रक-ट्रेक्टर ट्रालियां भी जब्त की गई है।

नर्मदा नदी में हो रहे अवैध उत्खनन और परिवहन का मुद्दा मप्र विधानसभा के बजट सत्र में भी उठ चुका है। हालांकि, शासकीय तंत्र के साथ मिलीभगत के कारण रेत माफियाओं पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
नर्मदा नदी की प्रवाह के लिए उसकी 41 सहायक नदियां भी जरूरी हैं। इसके अलावा ऐसी भी कई छोटी नदियां, झरने, उप सहायक नदियां सैकड़ों की संख्या में हैं जिनका विलय नर्मदा में होता है। हालांकि, इनके संरक्षण के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। 

नर्मदा की प्रमुख सहायक नदियों में गौर नदी शामिल है। लेकिन मौजूदा हालात ये हैं कि इसे गोबर नदी कहा जाने लगा है। बताया जाता है कि करीब 50 साल पहले मंडला से निकलने वाली इस नदी का पानी लोग पीने में उपयोग करते थे। आज के समय में यह नदी जबलपुर की सीमा में आकर यहां किनारों पर स्थित डेयरियों की गंदगी लेकर जमतरा पुल के पास नर्मदा में मिलती है। नर्मदा में गौर नदी का प्रदूषित पानी न मिले, इसके लिए आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इससे नर्मदा का जल काफी दूषित हो रहा है।

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प्रदूषण और अवैध खनन के चलते नर्मदा नदी का ईको सिस्टम बेहद प्रभावित हो रहा है। कई जलचर गायब हो गए हैं। पर्यावरणविदों ने पिछले दिनों अपने सर्वे में पाया कि नर्मदापुरम, हरदा और खंडवा क्षेत्र में नदी से इंडियन टेंट प्रजाति के कछुए गायब हो गए हैं। ये कछुए नदी स्वच्छता कर्मी हैं जो कि काई और शैवाल आदि खाकर जीवित रहते हैं और पानी में आक्सीजन की मात्रा बढाते हैं। नर्मदा में पाई जाने वाली मछलियों की कई प्रजाति भी कम हो गई हैं।

दूसरी तरफ प्रदेश के 4 दर्जन से अधिक स्थानों पर नर्मदा जल की गुणवत्ता परीक्षण की जो सैंपलिंग हुई है उसमें भी प्रदूषण का स्तर कम होता नजर नहीं आ रहा। नर्मदा को जीवित इकाई घोषित करते समय सीएम शिवराज ने कहा था कि नर्मदा मइया के भी अधिकार होंगे उसे नुकसान पहुंचाने वाले को दंडित किया जाएगा। लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ सामने नहीं आया। रेत माफिया बेखौफ नर्मदा माई का सीना छलनी करते रहे। बहरहाल, अब देखना यह होगा कि 350 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद नर्मदा की स्थिति में सुधार होता है या नहीं?