ऑक्सीजन की किल्लत से जूझ रहा है आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश, दूसरे राज्यों पर निर्भर है शिवराज सरकार

प्रदेश में 4 अप्रैल तक 60 टन ऑक्सीजन की मांग थी, लेकिन अब यह प्रतिदिन 177 टन हो गई है, गुजरात और उत्तर प्रदेश से ऑक्सीजन की सप्लाई होने की चर्चा है, दावा है कि भिलाई स्टील प्लांट और राउरकेला स्टील प्लांट से भी ऑक्सीजन की चर्चा हो चुकी है

Updated: Apr 10, 2021, 06:58 AM IST

Photo Courtesy: BBC.com
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भोपाल। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के दावों के बीच मध्यप्रदेश ऑक्सीजन की किल्लत से जूझ रहा है। राज्य सरकार के पास प्रदेश में पर्याप्त ऑक्सीजन मुहैया कराने की व्यवस्था नहीं है। आलम यह है कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा ऑक्सीजन की सप्लाई रोकी जाने के बाद शिवराज सरकार को उत्तर प्रदेश और गुजरात से ऑक्सीजन मंगवा कर ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करनी पड़ रही है। उधर भिलाई और राउरकेला स्टील प्लांट से भी ऑक्सीजन आपूर्ति की चर्चा किए जाने की खबर है। 

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दरअसल पिछले कुछ दिनों से राज्य के शासकीय अस्पतालों ऑक्सीजन की भारी किल्लत की खबरें आ रही हैं। ऑक्सीजन की किल्लत की वजह से अस्पतालों में मरीजों के मौत के दावे भी किए जा रहे हैं। चर्चा यह भी है कि प्रदेश में ऑक्सीजन की भारी किल्लत इस वजह से हो रही है क्योंकि महाराष्ट्र सरकार ने मध्यप्रदेश को ऑक्सीजन की सप्लाई रोक दी है। एक हिंदी अख़बार की रिपोर्ट के मुताबिक तीन दिन पहले महाराष्ट्र सरकार ने शिवराज सरकार को पत्र लिखकर सूचना दी है कि वो मध्यप्रदेश को ऑक्सीजन की सप्लाई रोक रही है। 

महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले के बाद मध्यप्रदेश सरकार खुद इतनी आत्मनिर्भर नहीं है कि वो राज्य में ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था कर सके। इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश और गुजरात का रुख किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस समय प्रदेश में प्रतिदिन 177 टन ऑक्सीजन की आवश्यकता है। हालांकि खुद मुख्यमंत्री और उनके अधिकारियों का कहना है कि ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था कर ली गई है। 

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रिपोर्ट्स के मुताबिक शिवराज सरकार ने उत्तर प्रदेश, गुजरात, भिलाई स्टील प्लांट और राउरकेला स्टील प्लांट से ऑक्सीजन सप्लाई का करार किया है। कुल मिलकर 250 टन प्रतिदिन ऑक्सीजन के सप्लाई की व्यवस्था कर ली गई है। लेकिन इन सब के बीच बड़ा सवाल और समस्या यही है कि राज्य की शिवराज सरकार खुद अपने राज्य में ऑक्सीजन की आपूर्ति कराने में सक्षम नहीं है। 

4 अप्रैल तक मध्यप्रदेश में प्रतिदिन 60 टन ऑक्सीजन की आवश्यकता थी। लेकिन पांच दिनों के भीतर ही प्रदेश भर में लगभग 177 टन तक ऑक्सीजन की मांग बाढ़ गई। शिवराज सरकार ने गाहे बगाहे ऑक्सीजन की व्यवस्था तो कर ली लेकिन खुद सरकार का एमएसएमई विभाग प्रतिदिन 80 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति की ही क्षमता रखता है।