सिकलसेल बीमारी है तो बच्चे पैदा न करें, अबॉर्शन करा लें, MP के राज्यपाल का अजीबोगरीब सुझाव

मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने अबॉर्शन को बताया बीमारी का इलाज, सिकलसेल बीमारी से पीड़ित दंपत्तियों को दिया बच्चे न पैदा करने का सुझाव

Updated: Dec 11, 2021, 04:06 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल अपने अजीबोगरीब बयानों के लिए अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। इस बार वे अबॉर्शन को बीमारी का इलाज बताकर सुर्खियां बटोर रहे हैं। महामहिम ने सिकलसेल नामक बीमारी से पीड़ित दंपत्तियों को बच्चे न पैदा करने की सलाह दी है। महामहिम ने कहा है कि यदि पति-पत्नी इस बीमारी से पीड़ित हैं तो वे अबॉर्शन करा लें।

राज्यपाल मंगू भाई पटेल शुक्रवार को मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बाल पोषण पर अपनी बात रख रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा, 'जो कपल सिकलसेल बीमारी से ग्रस्त हैं, वे आपस में शादी कतई ना करें। वरना उनकी संतान भी बीमारी लेकर पैदा होगी। उनका लाइफ स्पेन भी कम रहेगा। गर्भ में ही इसका जांच हो जाए तो उसका सही इलाज है कि मां-बाप को समझाकर अबॉर्शन करा दें। ताकि ऐसे बच्चे का जन्म ही न हो।'

यह भी पढ़ें: MP: महामहिम के गले में भाजपा का पट्टा, संवैधानिक मूल्यों की अवहेलना के लगे आरोप

पटेल ने आगे कहा कि, 'गुजरात में हम आदिवासियों को बोलते थे की यदि किसी के पास सिकलसेल वाला यलो कार्ड है तो उससे शादी मत करना। दोनों यलो कार्ड वालों की शादी हुई तो उनसे जो बच्चा आएगा, वह सिकलसेल वाला ही आएगा। मां के गर्भ में ही बच्चे का इलाज हो तो ही फायदा है। नहीं तो बाद में इलाज का कोई मतलब नहीं। आगे जाकर कितना भी अच्छा खिलाओ, उसका भी कुछ असर नहीं होता है।'

एक्सपर्ट्स के मुताबिक सिकलसेल एक जेनेटिक बीमारी है। इसमें शरीर में रेड ब्लड सेल बनने बंद हो जाते हैं। नतीजतन शरीर में खून की कमी होने लगती है और मरीज को बार बार खून चढ़ाना पड़ता है। इसमें शरीर भी पिला हो जाता है। सिकलसेल का पूर्ण परमानेंट इलाज तो संभव नहीं है, मगर दवा के सेवन व खानपान में सावधानी बरतकर पीड़ित मरीज जीवित रह सकता है, लेकिन स्वस्थ व्यक्ति से इनकी आयु कम ही होती है। डॉक्टर भी सिकलसेल पीड़ितों को अबॉर्शन का सुझाव नहीं देते। एमपी के 22 जिलों में इस बीमारी का प्रभाव है।