कोरोना की थर्ड वेब के बीच डेंगू का कहर, प्रदेश में अब तक मिले 2400 से ज्यादा मरीज

मंदसौर, जबलपुर, भोपाल और इंदौर में मिले सबसे ज्यादा मरीज, समझाइश से नहीं बन रहा काम, नगर निगम ने भोपाल, जबलपुर में किया औचक निरीक्षण, लार्वा मिलने पर लगाया जुर्माना

Updated: Sep 12, 2021, 01:08 PM IST

Photo courtesy: Hindustan
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भोपाल। प्रदेश में डेंगू संक्रमितों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। राज्य में इस साल जनवरी से अब तक करीब 2400 से ज्यादा डेंगू के मरीजों की पुष्टि हुई है। जिनमें से 95 मरीजों का इलाज प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों हो रहा है। सबसे ज्यादा चिंताजनक हालत मंदसौर की है। सरकारी रिकार्ड के अनुसार मंदसौर में सबसे ज्यादा डेंगू 800 मरीज सामने आए जिनमें से 150 मरीजों को अस्पतालों में भर्ती कराना पड़ा। दूसरे नंबर पर जबलपुर जहां 325 मरीजों की पुष्टि हुई। वहीं भोपाल में 173 मरीज मिले हैं। इंदौर में 122 लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। आगर मालवा, रतलाम समेत अन्य जिलों में डेंगू के केस मिले हैं। प्रदेश में अब तक डेंगू से 4 लोगों के मारे जाने की खबर है।  

स्वास्थ्य विभाग वेक्टर जनित रोगों के नियंत्रण की हर संभव कोशिश में जुटा है। इस बारे में विभाग के जिम्मेदारों का कहना है कि घर-घर सैंपल लिए जा रहे हैं। लोगों से अपील की जा रही है कि अपने आसपास सफाई बनाए रखे। जनवरी से अब तक जिन लोगों को डेंगू संक्रमण हुआ था उनमें से 20 प्रतिशत को अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आई थी।

डॉक्टरों का कहना है कि डेंगू के मच्छर काटता है तब मरीज को बुखार, बॉडी पेन, जोड़ों में दर्द, रैसेज, आंख में दर्द जैसी दिक्कतें होती है। अगर शुरुआत में डॉक्टर की सलाह नहीं ली गई तो खून में प्लेटसेट्स कम हो जाते हैं। जिससे कई बार जान का खतरा हो जाता है।

प्रदेश में लोगों को डेंगू से बचाव के लिए उपाय अपनाने को कहा गया है। इसी कड़ी में भोपाल, जबलपुर समेत कई जिलों में नगर निगम ने घरों का सर्वे किया। जिन घरों में डेंगू के मच्छर का लार्वा मिला उनपर 200 रुपये का जुर्माना लगाया गया। भोपाल में इसका लार्वा खत्म करने के लिए फॉगिंग और स्प्रे का काम भी जारी है।   

 वहीं मीडिया रिपोर्ट्स का दावा है कि पहले डेंगू शहरी इलाकों में ही पाया जाता था, लेकिन अब यह ग्रामीण क्षेत्रों में भी पैर पसार रहा है। वेक्टर जनित रोग कहा जाने वाला डेंगू फैलने का मुख्य कारण रुका हुआ पानी है। इसके मच्छर रुके हुए पानी में फैलते हैं। जैसे सड़कों के गड्ढ़ों, कूलरों में भरा पानी, नारियल के खोल, पौधे इसलिए इन जगहों पर पानी को रुकने नहीं देना  चाहिए। पानी में नीम का तेल और गुंबजा मछलियां छोड़ी डाली जाती है,  यह मछली डेंगू मच्छर के लार्वा को चट कर जाती है। लोगों से अपील की गई है कि वे मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, फुल आस्तीन के कपड़े पहनें बर्तनों में पानी लगातार बदलते रहें। डेंगू का मच्छर दिन में काटता है, यह मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है, इस मच्छर के शरीर पर धारियां होती हैं।