रतलाम में आदिवासियों ने घेरा कलेक्ट्रेट, समाज के नेताओं के विरुद्ध जिला बदर कार्रवाई का विरोध

सैलाना से आए बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोगों ने रतलाम कलेक्ट्रेट के बाहर जमीन पर बैठकर धरना दिया और शासन के खिलाफ नारेबाजी की।

Updated: Jan 08, 2024, 06:05 PM IST

रतलाम। मध्य प्रदेश के रतलाम में सोमवार को आदिवासी समुदाय के लोगों का बड़ा प्रदर्शन देखने को मिला। सैलाना विधानसभा क्षेत्र के बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग रतलाम पहुंचे। यहां उन्होंने रतलाम कलेक्ट्रेट के बाहर जमीन पर बैठकर धरना दिया और शासन के खिलाफ नारेबाजी की। दरअसल, वे आदिवासी समाज के दो लोगों को जिला बदर किए जाने का विरोध कर रहे थे।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि विधानसभा चुनाव के समय समाज के दो लोगों को तत्कालीन कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी ने गलत तरीके से जिला बदर कर दिया था। इनमें बाजना तहसील के लांबी सादड़ गांव के विलेश खराड़ी और देवली गांव के वीपी हारी शामिल हैं। दोनों सामाजिक नेता हैं। हमारी ग्राम सभा ने फैसला लिया है कि कलेक्टर की कार्रवाई गैर संवैधानिक है।

आदिवासी समाज के लोग 'न लोकसभा और न विधानसभा, सबसे बड़ी ग्राम सभा' के बैनर के साथ रतलाम आए थे। प्रदर्शन के दौरान पहले अपर कलेक्टर आदिवासियों से बात करने आए, लेकिन वे कलेक्टर को बुलाने की बात पर अड़े रहे। इसके बाद कलेक्टर भास्कर लाक्षाकर वहां पहुंचे। जिला बदर आदिवासी युवक की मां ने कलेक्टर से पूछा कि ऐसी कौन सी गलती की मेरे बेटे ने, वो तो समाज की बात करता है, इसमें कौन सी गलती है?

काफी देर रात बातचीत के बाद आदिवासियों ने प्रशासन को सात दिन का मोहलत देकर प्रदर्शन खत्म किया। प्रदर्शन खत्म होने पर कलेक्टर भास्कर लाक्षाकार ने कहा कि पूर्व में जो जिला बदर की कार्रवाइयां हुई हैं, उनके संबंध में लोग अपनी बात कहने आए थे। उन्हें समझाया है कि न्यायालय प्रक्रिया में अगर वे किसी आदेश से व्यथित हैं तो उसके लिए हाई कोर्ट ही सही रास्ता है।