स्पॉन्सरशिप योजना की सच्चाई उजागर, सरकार खुद नहीं जनता से चंदा लेकर देगी अनाथ बच्चों को सहारा

कोरोना और अन्य कारणों से अनाथ हुए बच्चों की स्पॉन्सरशिप के लिए लोगों से मांगी जा रही रकम, रीवा कलेक्टर ने सोशल मीडिया पर रेडक्रॉस समिति का खाता नबंर जारी कर लोगों से चंदा देने को कहा, जिम्मेदारों ने दी सफाई टारगेट से ज्यादा बच्चों को दे रहे योजना का लाभ इसलिए ले रहे चंदा

Updated: Jul 13, 2021, 11:50 AM IST

Photo Courtesy: The Economic Times
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रीवा। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों के लिए एक स्पॉन्सरशिप योजना की शुरुआत की गई है। लेकिन कई जिलों में सरकार खुद नहीं बल्कि जनता से इसका खर्च उठाने की अपील करती नजर आ रही है। रीवा कलेक्टर का नाम इसमें सबसे ऊपर है। रीवा कलेक्टर डॉक्टर इलैयाराजा टी. का एक ट्वीट सामने आया है। जिसमें लोगों से स्पॉन्सरशिप योजना के तहत दान मांगा गया है। इस ट्वीट के जरिए लोगों से अपील की गई है कि वे अनाथ हुए बच्चों के पालन पोषण और पढ़ाई में होने वाले खर्चे में सहयोग करें।

दरअसल रीवा जिले में आंगनबाड़ियों के माध्यम से मार्च महीने में 40 बच्चों का चयन कर लिया गया है। इस स्पॉन्सरशिप योजना के तहत 40 बच्चों का जिम्मा सरकार ने उठाया है, वहीं अब जिले में बड़ी संख्या में अनाथ बच्चों की जानकारी आने पर जुलाई महीने में 40 के अलावा 70 बच्चों को इस योजना में शामिल किया गया है। अब इन बच्चों की मदद के लिए फंड जुटाने का काम किया जा रहा है।

रीवा महिला बाल विकास विभाग के सहायक संचालक आशीष द्विवेदी का कहना है कि 40 बच्चों को साल भर में 9 लाख 60 हजार रुपए का खर्चा होगा, वहीं 70 नए बच्चों को और शामिल किया गया है, जिन पर करीब 16 लाख 80 हजार रुपए का खर्चा आना है। जिले के पास इस महीने का तो इंतजाम तो है लेकिन इस योजना को आगे सुचारू रूप से चलाने के लिए और अगले एक साल तक बच्चों के खाते में पैसे भेजे जा सके उसके लिए अब फंड जुटाने की कवायद की जा रही है। इस स्पॉन्सरशिप योजना के तहत एक साल तक बच्चों को हर महीने 2-2 हजार रुपए दिए जाएंगे। यह राशि बच्चे के 18 साल की उम्र के होने तक देने की तैयारी है।

इस योजना में अनाथ बच्चों को शामिल किया जा रहा है, जो कि कोरोना के साथ-साथ किसी अन्य वजहों से माता पिता को खो चुके हैं। बच्चों को सरकार की ओर से दो हजार रुपए महीना दिया जाएगा। रीवा कलेक्टर ने सोशल मीडिया पर रेडक्रास समिति का खाता नंबर जारी कर अपील की है कि सक्षम लोग आगे आएं और अनाथ बच्चों की मदद करें ताकि उनका कोरोना, दुर्घटना और किसी अन्य कारण से अनाथ हुए बच्चों के पालन पोषण और पढ़ाई के लिए उन्हें सतत रूप से राशि दी जा सके।  

इस बारे में प्रतिभा पांडेय जो कि रीवा जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास विभाग के पद पर हैं, उनका कहना है कि मार्च महीने में जिन 40 बच्चों का चयन किया गया था, उनमें से 36 बच्चों के माता-पिता की मौत हो चुकी है। वहीं 4 बच्चे एडस पीड़ित हैं। इसी कड़ी में जुलाई में जिन 70 गरीब बच्चों को शामिल किया गया है, उनमें कोरोना की वजह से अनाथ हुए बच्चे, दुर्घटना में घर का कमाऊ सदस्य खोने वाले बच्चे, या फिर ऐसे बच्चे भी हैं, जिनके पिता किसी वजह से जेल में हैं, मां मानसिक रूप से विक्षिप्त है, और आर्थिक रूप से कमजोर हैं।

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महिला बाल विकास विभाग ने आंगनबाड़ियों और बाल समितियों के माध्यम से ऐसे बच्चों को चिन्हित किया है। उनके बैंक खाते खुलवाए गए हैं। अब हर महीने उसमें दो हजार रुपए दिए जाएंगे। फिलहाल यह योजना एक साल तक चलाई जाएगी। वहीं अगर लोगों से लगातार मदद मिलती रही और फंडिंग होने पर अनाथ बच्चों के 18 साल की उम्र तक हर महीने दो हजार रुपए की राशि दिए जाने की योजना है।

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सरकार के पास पैसे नहीं है, लेकिन योजना का संचालन तो किया जाना है, अब जिला प्रशासन उसी की जुगाड़ में लगा है। मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को घोषणावीर कहा जाता है, वे जनता से मुखातिब होते हुए एक के बाद एक इतनी घोषणाएं कर जाते हैं कि उन्हें लागू करवाने में उनके अधिकारियों के माथे का पसीना तलवों तक आ जाता है। सरकार का दावा है कि प्रदेश का खजाना खाली है। वहीं वाहवाही लूटने के लिए एक के बाद जनहितैषी घोषणाएं कर दी जाती है। लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए अफसरों को जनता के पास हाथ फैलान पड़ता है।