SC की फटकार के बाद केंद्र ने पलटा फैसला, अब 18-44 आयुवर्ग को भी मुफ्त वैक्सीन देने को तैयार

राष्ट्र के नाम संबोधन में पीएम मोदी का बड़ा ऐलान, अब 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए भी राज्यों को फ्री वैक्सीन देगी केंद्र, सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद मोदी सरकार ने बदला फैसला

Updated: Jun 07, 2021, 03:41 PM IST

Photo Courtesy: Livelaw
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नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान कई बड़ी घोषणाएं की हैं। प्रधानमंत्री ने कहा है कि 21 जून से 18 साल से अधिक आयु के सभी लोगों को मुफ्त में कोरोना की वैक्सीन दी जाएगी। इसके लिए केंद्र सरकार कंपनियों से वैक्सीन खरीदकर राज्यों को मुहैया कराएगी। पीएम मोदी ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है जब हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा था कि सभी लोगों को मुफ्त वैक्सीन क्यों नहीं दिया जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब पेश करने से एक हफ्ते पहले प्रधानमंत्री मोदी ने देश के नाम संबोधन में सभी को फ्री वैक्सीन देने का ऐलान कर दिया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने एक जून को वैक्सीन को लेकर सुनवाई के दौरान केंद्र को फटकारते हुए पूछा था कि, 'क्या देश की 50 फीसदी 18 से लेकर 45 की आयु के लोग वैक्सीन खरीदने में सक्षम हैं? संविधान का अनुच्छेद-1 कहता है कि भारत यूनियन ऑफ स्टेट है। जब संविधान ऐसा कहता है तो सरकार को वैक्सीन खरीद कर राज्यों में वितरण करना चाहिए। राज्यों पर इसकी जिम्मेदारी नहीं छोड़नी चाहिए।'

25 फीसदी टीके निजी अस्पतालों को मिलेंगे

पीएम मोदी ने आज इसी बात का ऐलान करते हुए कहा कि, 'राज्यों को 25 फीसदी टीकों की जो जिम्मेदारी दी गई थी, उसे भी केंद्र सरकार ही उठाएगी। देश में 30 अप्रैल तक जो व्यवस्था लागू थी, वही फिर से शुरू होगी। हालांकि निजी अस्पतालों को 25 फीसदी टीकों की सप्लाई पहले की तरह से जारी रहेगी। निजी अस्पताल कोरोना वैक्सीन की एक डोज की तय कीमत के अलावा 150 रुपये से अधिक सर्विस चार्ज नहीं वसूल सकेंगे।'

पुराने फैसले पर पीएम ने दिया स्पष्टीकरण

प्रधानमंत्री ने कहा, 'कोरोना के लगातार कम होते मामलों के बीच कहा जाने लगा कि आखिर राज्य सरकारों को टीकों और लॉकडाउन के लिए छूट क्यों नहीं मिल रही है। इसके लिए संविधान का जिक्र करते हुए यह दलील दी गई कि स्वास्थ्य तो राज्य का विषय है। तो हमने राज्यों को छूट दे दी कि वे अपने स्तर पर प्रतिबंध लागू कर सकें। वैक्सीनेशन का कार्यक्रम हमारी देखरेख में हो रहा था तो राज्यों की मांग पर डिसेंट्रलाइज करने के लिए हमने अधिकार दे दिया। हमने सोचा कि यदि राज्य सरकारें अपनी ओर से प्रयास करना चाहती हैं तो भारत सरकार क्यों ऐतराज करे।'

उन्होंने आगे कहा, 'हमने 1 मई से 25 फीसदी भार राज्यों को सौंप दिया था। उसे पूरा करने के लिए उन्होंने प्रयास भी किए। लेकिन अब उन्हें पता चल गया कि इतने बड़े अभियान में क्या समस्याएं आती हैं। दुनिया में टीकों की स्थिति को देखते हुए राज्यों की राय फिर से बदलने लगी। राज्य कहने लगे कि पहले वाली व्यवस्था ही अच्छी थी। हमने भी सोचा कि राज्यों को दिक्कत न हो इसलिए पहले वाली व्यवस्था को लागू करने का निर्णय लिया है। अब केंद्र सरकार ही राज्यों को दी गई वैक्सीनेशन की 25 फीसदी जिम्मेदारी भी उठाएगी।'

विपक्ष पर भ्रम फैलाने का लगाया आरोप

प्रधानमंत्री ने इस दौरान विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, 'कुछ लोगों ने वैक्सीन को लेकर ऐसी बात कही कि लोग भ्रमित हों और इसे तैयार करने वाले लोगों का हौसला टूट जाए। टीके न लगवाने के लिए कई तरह के तर्क दिए गए, इन्हें भी देश देख रहा है। टीकों पर अफवाह फैलाने वाले लोग भोले-भाले भाई-बहनों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। मैं देश के सभी नागरिकों से अनुरोध करता हूं कि ऐसे लोगों से सतर्क रहें और आप भी वैक्सीन को लेकर जागरुकता बढ़ाने में सहयोग करें।'

प्रधानमंत्री के देश के नाम संबोधन से एक हफ्ते पहले सुप्रीम कोर्ट ने सख्त निर्देस दिया था कि सरकार स्पष्ट करे कि उसकी वैक्सीन पॉलिसी क्या है और 35000 करोड़ के खर्चे का हिसाब दे। असल में देश के युवा वर्ग खासकर 18-44 साल के लोगो को टीके के लिए बेहद मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक कि देश की राजधानी में भी सभी सरकारी अस्पताल और डिस्पेंसरीज ने हाथ खड़े कर दिे हैं। जिन प्राइवेट अस्पतालों में टीका लग भी रहा है, वहां अनाप शनाप चार्ज वसूले जा रहे हैं।