केंद्र के कृषि कानूनों को बेअसर करने के लिए राजस्थान विधानसभा में बिल पेश

Agricultural Laws: मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ बिल पेश होने के बाद विधानसभा की कार्यवाही सोमवार तक स्थगित, बीजेपी ने किया विरोध

Updated: Nov 01, 2020, 01:49 AM IST

Photo Courtesy: National Herald
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जयपुर। केंद्रीय कृषि और मंडी कानूनों को बेअसर करने के लिए पंजाब और छत्तीसगढ़ की तर्ज पर राजस्थान सरकार ने भी अपना बिल विधानसभा में पेश कर दिया है। राजस्थान विधानसभा का सत्र शुरू होते ही सरकार ने चार महत्वपूर्ण विधेयक विधानसभा के पटल पर रख दिए। 

शनिवार को सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सबसे पहले विधानसभा सचिव ने उन बिलों की सूची सदन में रखी, जिनके लिए राज्यपाल की अनुमति मिल गई है। इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने चार बिल पेश किए। इनमें कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य संवर्धन संशोधन विधेयक, कृषक कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार संशोधन विधेयक, आवश्यक वस्तु विशेष उपबंध और राजस्थान संशोधन विधेयक के साथ ही सिविल प्रक्रिया संहिता राजस्थान संशोधन विधेयक शामिल हैं। 

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इन बिलों को रखने की अनुमति लेने के लिए जैसे ही स्पीकर ने सदन से राय जाननी चाही तो विपक्ष ने इन बिलों का विरोध किया। इसके बाद चारों विधेयकों पर स्पीकर को दो बार सदन से राय लेनी पड़ी और ध्वनि मत के आधार पर संसदीय कार्य मंत्री को बिल रखने की अनुमति दी गई। धारीवाल ने सदन में कुछ और विधेयक भी पेश किए जिनमें राजस्थान महामारी संशोधन बिल भी शामिल हैं। इसके बाद सदन की कार्यवाही को आगामी सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया। 

बता दें कि केंद्र की बीजेपी सरकार ने कोरोना महामारी के बीच नाटकीय रूप से तीन विवादास्पद कृषि और मंडी कानून पारित करवा लिए, जिनका विपक्षी दलों के अलावा देश भर के किसान संगठन भी कड़ा विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इन कानूनों को किसान विरोधी बताते हुए अपनी सभी राज्य सरकारों से इन्हें बेअसर करने वाले विधेयक पारित करने को कहा है। राजस्थान ने भी इसी दिशा में कदम उठाते हुए शनिवार को अपनी तरफ से कृषि और मंडी बिल पेश किए हैं। 

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कई राज्य सरकारें कर चुकी है बदलाव की पहल

पंजाब और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की राज्य सरकारों ने केंद्रीय कृषि और मंडी कानूनों को बेअसर करने वाले विधेयक पहले ही अपनी विधानसभाओं से पारित करवा लिए हैं। विपक्ष का कहना है कि केंद्र सरकार के नए कृषि और मंडी कानून न सिर्फ किसानों के हितों के खिलाफ हैं, बल्कि इन्हें जबरन पास करके मोदी सरकार ने संविधान में दिए गए राज्यों के अधिकारों का भी उल्लंघन किया है। बता दें कि भारतीय संविधान में कृषि का विषय राज्यों की सूची में शामिल है। विपक्ष का आरोप यह भी है कि केंद्र के नए कानूनों में कृषि उत्पादों की भंडारण की सीमा खत्म किए जाने से उनकी जमाखोरी को बढ़ावा मिलेगा, जिसके नतीजे आलू-प्याज़ और दाल जैसी ज़रूरी चीजों की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी के रूप में अभी से देखने को मिलने लगे हैं। इस लिहाज से देखें तो मोदी सरकार के नए कृषि और मंडी कानून आम उपभोक्ताओं के हितों के भी खिलाफ हैं।