भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने कुतुब मीनार परिसर में मंदिरों के पुनरुद्धार की याचिका का किया विरोध, कहा इस स्थान पर पूजा करने का कोई अधिकार नहीं दिया जा सकता

एक स्मारक में पूजा के पुनरुद्धार की अनुमति नहीं दी जा सकती है क्योंकि जब इस स्मारक को "संरक्षित" होने का दर्जा दिया गया था उस समय यहाँ पूजा करने की प्रथा प्रचलित नही थी

Updated: May 24, 2022, 07:25 AM IST

Photo Courtesy: The Indian Express
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दिल्ली। एएसआई ने दिल्ली के साकेत कोर्ट में कुतुब मीनार परिसर में मंदिरों के पुनरुद्धार से संबंधित अंतरिम अर्जी में हलफनामा दायर किया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने कुतुब मीनार परिसर में मंदिरों के पुनरुद्धार की याचिका का विरोध किया, कहा संरक्षित स्मारक की संरचना को नहीं बदला जा सकता, वहां किसी भी धर्म को पूजा की इजाजत नहीं दी जा सकती। एएसआई ने बताया कि कुतुब मीनार 1914 से संरक्षित स्मारक है और अब इसकी संरचना को बदला नहीं जा सकता है, एक स्मारक में पूजा के पुनरुद्धार की अनुमति नहीं दी जा सकती है क्योंकि जब इस स्मारक को "संरक्षित" होने का दर्जा दिया गया था उस समय यहाँ पूजा करने की प्रथा प्रचलित नही थी।

 

 

कुतुब मीनार एक स्मारक है इस तरह की संरचना पर कोई भी मौलिक अधिकार का दावा नहीं कर सकता है और इस स्थान पर पूजा करने का कोई अधिकार नहीं दिया जा सकता है, AMASR अधिनियम 1958 के तहत संरक्षित स्मारक में पूजा शुरू करने का कोई प्रावधान नहीं है, माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिनांक 27/01/1999 के आदेश में स्पष्ट रूप से इसका उल्लेख किया है।
इससे पहले केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी के रेड्डी ने स्पष्ट किया कि कुतुब मीनार में खुदाई करने के लिए कोई आदेश एएसआई को नहीं दिया गया है। कुछ दिनों पहले एएसआई के पूर्व क्षेत्रीय संचालक धर्मवीर शर्मा ने कहा था कि कुतुब मीनार वास्तविकता में चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य द्वारा बनवाई एक सूर्य स्मारक थी।