Bihar Election 2020: क्या बीजेपी की शह पर नीतीश का पत्ता काटने निकले हैं चिराग पासवान

Chirag Paswan: एलजेपी का ऐलान, बीजेपी के साथ रहेंगे पर जेडीयू के खिलाफ लड़ेंगे चुनाव, क्या इस रणनीति को बीजेपी नेतृत्व का भी है 'मौन समर्थन'

Updated: Oct 05, 2020, 11:02 PM IST

Photo Courtesy: English Jagran
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पटना। लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने सीएम नीतीश कुमार को सत्ता से बेदखल करने की ठान ली है। एलजेपी ने एलान किया है कि वह जेडीयू के खिलाफ अपनी उम्मीदवार उतारेगी, हालांकि बीजेपी के साथ उसका गठबंधन कायम रहेगा। एलजेपी के इस रुख से बहुत से लोग असमंजस में पड़ गए हैं कि एक तरफ तो बीजेपी और एनडीए के साथ भी है और दूसरी तरफ एनडीए के घटक दल जेडीयू के खिलाफ चुनाव भी लड़ रही है। 

एलजेपी ने सोमवार को कहा कि बिहार में चुनाव के बाद बीजेपी-एलजेपी मिलकर सरकार बनाएंगे। अब सवाल यह है कि जब बीजेपी जेडीयू के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है, तो सरकार एलजेपी के साथ कैसे बनेगी? इस बारे में लोग अलग-अलग तरह के कयास लगा रहे हैं। जानकारों की मानें तो चिराग के इस फैसले को बीजेपी का भी मौन समर्थन मिला हुआ है। 

पहले से लिखी जा रही थी पटकथा

चिराग का यह फैसला अचानक लिया हुआ नहीं है बल्कि इसकी पटकथा काफी पहले से लिखी जा रही थी। पिछले कुछ महीनों से एलजेपी प्रवक्ता और खुद चिराग भी सीएम नीतीश के खिलाफ हमलावर रहे हैं। वह नीतीश सरकार की नीतियों, कोरोना के दौरान मैनेजमेंट और अन्य मुद्दों पर सरकार को लगातार घेरते रहे हैं। वहीं दूसरी ओर वे बीजेपी, केंद्र सरकार और पीएम मोदी की तारीफ करते नहीं थकते।

कई अन्य मौकों पर भी यह देखा गया कि एलजेपी का स्टैंड जेडीयू से बिल्कुल अलग है। बिहार चुनाव की ही बात करें तो एलजेपी ने कोरोना और बाढ़ के बीच चुनाव कराने का पुरजोर विरोध किया था। खुद चिराग पासवान ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर यह तक कह दिया था कि चुनाव कराने का मतलब जानबूझकर लोगों को मौत के मुंह में धकेलना है। जबकि जेडीयू ने तय समय पर चुनाव कराने का समर्थन किया था। उधर, बीजेपी का रुख यह था कि चुनाव आयोग जो भी फैसला करेगा, हम उससे सहमत हैं।

बीजेपी का मौन समर्थन

बिहार में जेडीयू के खिलाफ लेकिन बीजेपी के साथ रहने के चिराग के फैसले में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व का मौन समर्थन माना जा रहा है। इसके पीछे कारण यह है कि अगर बीजेपी चाहे तो एलजेपी के इस फैसले से नाराज होकर उसे एनडीए गठबंधन से बाहर कर सकती है। ऐसे में चिराग के पिता रामविलास पासवान का केंद्रीय मंत्री का पद भी चला जाएगा। लेकिन ऐसा करना तो दूर बीजेपी नेता चिराग के खिलाफ एक शब्द नहीं बोल रहे हैं। उलटे पीएम मोदी, अमित शाह से लेकर जेपी नड्डा तक, तमाम बड़े नेताओं के साथ लगातार उनकी मुलाकात या फोन पर बातें हो रही हैं।

चिराग को क्या होगा इसका फायदा

दरअसल, राजनीति के मौसम वैज्ञानिक माने जाने वाले रामविलास पासवान के बेटे के इस फैसले के पीछे बड़ा खेल माना जा रहा है। यह तो कोई भी समझ सकता है कि अकेले चुनाव लड़ने पर एलजेपी को काफी नुकसान हो सकता है। लेकिन इसका फायदा यह है कि जेडीयू के ज्यादा विधायक चुनाव नहीं जीत पाएंगे, जिससे पार्टी सूबे में बेहद कमजोर हो जाएगी। इन्हीं हालात का सीधा फायदा चिराग उठाना चाहते हैं। 

एलजेपी इसके पहले भी कर चुकी है ऐसा

बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब एलजेपी ने इस तरह का अजीबो-गरीब फैसला लिया हो। साल 2005 के विधानसभा चुनाव में भी उसने अपने इसी रणनीति से आरजेडी को सत्ता से बेदखल किया था। उस दौरान प्रदेश में आरजेडी और कांग्रेस का गठबंधन था और एलजेपी भी कांग्रेस का समर्थन कर रही थी। एलजेपी ने चुनाव के दौरान आरजेडी के खिलाफ उम्मीदवार उतारे, लेकिन कांग्रेस को समर्थन दिया था। इसका नतीजा ये हुआ कि आरजेडी को सत्ता से बेदखल कर नीतीश सीएम बन गए थे। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या एलजेपी ने जिस रणनीति से नीतीश को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया था, वही रणनीति नीतीश को कुर्सी से नीचे भी उतारेगी?