543 में से 250 क्षेत्र चुनती है BJP, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने बताया कैसे होता है EVM मैनिपुलेशन

देश के लोकतंत्र में निष्पक्ष चुनाव ही हमारी शक्ति है और देश के हर नागरिक का यह हक़ है कि उसका दिया हुआ मत सही व्यक्ति को मिले और उसकी सही गणना हो। संविधान ने यह हमें हक़ दिया है और इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्रीय चुनाव आयोग की है: दिग्विजय सिंह

Updated: Aug 30, 2023, 12:16 PM IST

नई दिल्ली। देश में आगामी लोकसभा चुनाव से पहले निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया को लेकर बहस छिड़ गई है। कांग्रेस की ओर से EVM को लेकर बनाई गई कमेटी की अध्यक्षता कर रहे राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा है कि ईवीएम ही मोदी की ताकत है। सिंह के मुताबिक बीजेपी मैनिपुलेशन के लिए 543 में से 250 क्षेत्र चुनती है। उन्होंने सिलसिलेवार ट्वीट के माध्यम से बताया है कि किस तरह ईवीएम का यह पूरा खेल होता है।

राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने एक ट्वीट थ्रेड के माध्यम से इस पूरे खेल को समझाया है। सिंह लिखते हैं, 'EVM ही मोदी की शक्ति है। जब हम यह कहते हैं तो जवाब मिलता है राज्यों के चुनाव में भाजपा कैसे हार जाती है? इसका जवाब है। कोई भी मशीन जिसमें चिप डाला हो वह हैक की जा सकती है। वह चिप में डाला हुआ सॉफ्टवेर मानती है। जब रुस व बांग्लादेश के रिज़र्व बैंक से अनजान लोगों ने अरबों डॉलर चुरा लिए और आज तक नहीं पकड़े गये। तो फिर EVM से वोट चुराना कौन बड़ी बात है। कैसे चुराते हैं मैं बताता हूँ।'

दिग्विजय सिंह के मुताबिक भाजपा लोक सभा के 543 क्षेत्रों में से लगभग 250 क्षेत्र चुनती है जहां भाजपा को जीतने की उम्मीद है। सर्वप्रथम वे उन क्षेत्रों में प्रत्येक मतदान केंद्र को तीन केटेगरी में बाँटते हैं। A-जहां से लगातार भाजपा जीतती है। B- जहां बराबर की स्थिति रहती है। C- जहां वे लगातार हार रहे हैं। इसके बाद वे मतदाता सूची से B व C केटेगरी से लोगों के नाम कटवाते हैं और A केटेगरी वाले क्षेत्रों में फ़र्ज़ी नाम जुड़वाते हैं। सिंह बताते हैं कि इस पूरे अभियान में भाजपा अन्य राजनीतिक दलों से बहुत आगे है। क्योंकि हर मतदान केंद्र पर भाजपा के BLA तैनात हो जाते हैं। जनवरी के माह में मतदाता सूची के पुनरीक्षण के समय उनके ही BLA शासन के BLO के साथ घर घर जा कर मतदाता सूची में हेरा फेरी करते हैं। दूसरे राजनीतिक दल इस पूरे अभियान में इतने सक्रिय नहीं रहते। नतीजतन इस अभियान में भाजपा को 3 से 5% लीड मिल जाती है।

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सिंह के मुताबिक इसके बाद EVM का खेल शुरू होता है। भाजपा अब प्लान बी पर काम करती है। उम्मीदवार तय हो जाने के बाद उनके नाम और सिंबल लोड करने के लिए लैपटॉप द्वारा VVPAT यूनिट में लोड किए जाते हैं। जिसमें सॉफ़्टवेयर लोड किया जाता है। सॉफ्टवेर क्या है? यह कुछ लोगों को ही पता रहता है। वे लोग कौन है? केवल कुछ लोग ही जानते हैं। वे कुछ लोग कौन हैं? पता नहीं। सॉफ्टवेर लोड करने का कार्य ECI के इंजीनियर्स या उनके द्वारा चयनित लोग ही करते हैं। यह केवल उम्मीदवारों के नाम व सिंबल ही लोड करते हैं। नाम और सिंबल लोड करने वालों को नहीं पता होता है कि उसमें क्या सॉफ्टवेयर है। बैलट यूनिट जिसमें हम बटन दबा कर अपना मत देते हैं उसमें चिप नहीं होता। कंट्रोल यूनिट जो की वोट काउंट करता है उसमें चिप होता है। वही किस को कितना वोट मिला कितने VVPAT स्लिप छापने हैं यह तय करता है।

सिंह बताते हैं कि वोट डालने के बाद वोटर्स को 7 सेकंड के लिए स्क्रीन पर वोट की VVPAT स्लिप दिखती है और सील्ड डब्बे में गिर जाती है। सिंह के मुताबिक उन्होंने इसका काफ़ी अध्ययन किया है। वे कहते हैं कि देश के लोकतंत्र में निष्पक्ष चुनाव ही हमारी शक्ति है और देश के हर नागरिक का यह हक़ है कि उसका दिया हुआ मत सही व्यक्ति को मिले और उसकी सही गणना हो। संविधान ने यह हमें हक़ दिया है और इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्रीय चुनाव आयोग को है। संविधान ने हमें लोकतंत्र दिया है और उसकी सुरक्षा का अधिकार न्याय पालिका को दिया गया है। उन्होंने पूछा कि यदि न्याय पालिका केंद्रीय चुनाव आयोग के सदस्यों का चयन निष्पक्षता से करने के लिए यह निर्देश देता है कि चयन समिति में प्रधानमंत्री विपक्ष के नेता व उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहें तो पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को क्या आपत्ति होना चाहिए? न्यायपालिका के निर्देशों को नहीं मान कर संसद में यह क़ानून लाने की क्या आवश्यकता थी कि उच्चतम न्यायालय मुख्य न्यायाधीश को ना रख कर प्रधान मंत्री द्वारा मनोनीत मंत्री हो? आप समझ सकते हैं कि वह मंत्री कौन होगा। अब बताइए दाल में कुछ काला है या नहीं?

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सिंह आगे लिखते हैं, 'इसका हल क्या है? हम हमारे संविधान में दिये हुए लोकतंत्र की सुरक्षा कैसे करें? हम इतना ही चाहते हैं कि हमारा दिया हुआ मत हम जिसे चाहें उसे जाये और उसकी सही गिनती हो जाये। इसमें केंद्रीय चुनाव आयोग को क्या आपत्ति होना चाहिए? लेकिन वे देश के विशिष्ट ग़ैर राजनीतिक समाज सेवी लोगों के प्रश्नों के जवाब नहीं देना चाहते। उनसे मिलने के लिए तैयार नहीं हैं। INDIA Alliance के राजनीतिक दलों से मिलने के लिए तैयार नहीं हैं। आख़िर क्यों? केंद्रीय चुनाव आयोग किसके दबाव में है? क्या बताने की ज़रूरत है? हम माननीय केंद्रीय आयोग से क्या चाहते हैं? EVM से चुनाव ना कराना हमारा उद्देश्य नहीं है। हमारा उद्देश्य भारत में लोकतंत्र बचाना है भारतीय संविधान बचाना है। हम चाहते हैं हमारा मत हम जिसे चाहें उसे जाये और उसकी सही गिनती हो जाये। यह हमारा संवैधानिक अधिकार है।'

सिंह ने निर्वाचन आयोग को दिए पांच सुझाव

1. VVPAT स्लिप सील्ड डब्बे में गिरने के बजाय मतदाता के हाथ में मिल जाये। 
2. वो VVPAT स्लिप मतदाता बिना चिप वाले सील्ड बैलट बॉक्स में डाल दे। क्योंकि हमें किसी भी चिप वाली मशीन पर भरोसा नहीं है। वह उसमें डाला गया सॉफ्टवेर का निर्देश मानती है हमारा नहीं।
3. चुनाव पूरे हो जाने पर जो 17 C फॉर्म जिसमें कितने वोट गिरे की संख्या दी जाता है उसी में 17 A रजिस्टर में कितने मतदाताओं ने हस्ताक्षर किए उसका अनिवार्य तौर पर उल्लेख करने के निर्देश दें।
4. मतगणना बैलट बॉक्स में VVPAT स्लिप और कंट्रोल यूनिट के नंबर एक समान होने पर नतीजा घोषित कर दें। 
5. पोस्टल बैलट की गिनती सबसे पहले होना चाहिए जिसके निर्देश भी हैं लेकिन नहीं होती। 

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सिंह आगे कहते हैं, 'क्या हमारे सुझाव मानने योग्य नहीं हैं? फिर केंद्रीय चुनाव आयोग मिलने से क्यों कतरा रहा है? कुछ दाल में काला ज़रूर है।' अब सवाल ये है कि क्या केंद्र की बीजेपी सरकार चुनाव जीतने के लिए ईवीएम को हैक कराती है? क्या अलग-अलग राज्य में चुनाव जीतने के लिए बीजेपी ने ईवीएम को हैक कराया? यह सवाल इसलिए अब मजबूती से पूछा जा रहा है कि क्योंकि तेलंगाना से बीजेपी सांसद डी अरविंद कुमार ने पिछले हफ्ते ही कहा था कि बटन कोई भी दबाओ लेकिन वोट कमल को ही जाएगा। उनके इस बयान के बाद विपक्ष के आरोपों को और मजबूती मिल गई है।